
खैरागढ़ नगर पालिका में आर्थिक घोटाला उजागर, EOW जांच की मांग तेज
खैरागढ़ नगर पालिका में दुकानों की नीलामी घोटाले से हड़कंप। आधे दाम पर दुकाने बेचकर पालिका को 64 लाख का नुकसान। विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने मुख्य सचिव से शिकायत की घोषणा की। जनता में आक्रोश और EOW जांच की मांग तेज।
खैरागढ़ नगर पालिका में नीलामी घोटाला! 64 लाख का नुकसान, रिश्तेदारी का राज उजागर
खैरागढ़ से आशीष सिन्हा की रिपोर्ट
खैरागढ़ नगर पालिका में एक बार फिर भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। इस बार मामला दुकानों की नीलामी का है, जिसमें नगर पालिका को करीब 64 लाख 77 हजार रुपए का नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकारियों और कुछ पार्षदों की मिलीभगत से पूरे खेल को “पूर्व नियोजित” तरीके से अंजाम दिया गया।
जानकारी के मुताबिक, फतेह मैदान और धरमपुरा मणिकंचन केंद्र की दुकानों की नीलामी दो चरणों में की गई थी। पहली नीलामी 12 मई 2022 और दूसरी 14 जुलाई 2023 को हुई थी। पहली बार दुकानों की अंतिम बोली 1 करोड़ 48 लाख 42 हजार रुपए तक पहुंची थी, लेकिन बोलीकर्ताओं ने रकम जमा नहीं की। नियमों के अनुसार, ऐसे बोलीदाता दोबारा नीलामी में शामिल नहीं हो सकते थे — लेकिन नगर पालिका ने इन्हीं लोगों को फिर से मौका दिया।
“पहले तय थी बोली और बोलीदाता”
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस नीलामी में “सेटिंग” पहले से हो चुकी थी। बोलीकर्ता, दरें और नाम तय थे। नीलामी सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह गई। कई दुकानों को आधे से भी कम कीमत पर उन्हीं लोगों को बेच दिया गया जिन्होंने पहले भुगतान नहीं किया था। यही से भ्रष्टाचार की बुनियाद रखी गई।
विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने आरोप लगाते हुए कहा —
“नगर पालिका में बंदरबांट के नए-नए प्रयोग चल रहे हैं। जिन लोगों ने पहली बार बोली लगाई और भुगतान नहीं किया, उन्हें दोबारा नीलामी में शामिल करना भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण है। इसकी शिकायत मैं मुख्य सचिव से करूंगा। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई रसूखदारों की भूमिका सामने आएगी।”
दुकानों की नीलामी में ऐसे हुआ घाटा
| दुकान क्रमांक | पहली बोली | दूसरी नीलामी की कीमत | खरीदार का नाम | नुकसान |
|---|---|---|---|---|
| 13 | ₹23.40 लाख | ₹25 लाख (खुलेश्वर सिन्हा) | मामूली लाभ ₹1.60 लाख | |
| 02 (फतेह मैदान) | ₹7 लाख (कैलाश नागरे) | ₹2.91 लाख (राजेश ध्रुवे) | ₹4.09 लाख घाटा | |
| 18 | ₹12 लाख | ₹3.90 लाख (आशीष सिंह) | ₹8.10 लाख घाटा | |
| 19 | ₹11.40 लाख | ₹3.35 लाख (त्रिलोक कोठले) | ₹8.05 लाख घाटा | |
| धरमपुरा दुकान 01 | ₹14.61 लाख (उमा धृतलहरे) | ₹11 लाख (उसी के नाम) | ₹3.61 लाख घाटा | |
| धरमपुरा दुकान 02 | ₹15 लाख (चंद्रकांत बिदानी) | ₹3.80 लाख (त्रिलोक कोठले) | ₹11.20 लाख घाटा | |
| धरमपुरा दुकान 03 | ₹12.81 लाख (नोहर ध्रुवे) | ₹4.02 लाख (राजू शाह) | ₹8.79 लाख घाटा | |
| दुकान 05 | ₹9.50 लाख (नरेंद्र वर्मा) | ₹3.90 लाख (वही व्यक्ति) | ₹5.60 लाख घाटा | |
| दुकान 06 | ₹10.50 लाख (नरेंद्र वर्मा) | ₹3.75 लाख (वही व्यक्ति) | ₹6.75 लाख घाटा | |
| दुकान 14 | ₹12.10 लाख (नदीम मेमन) | ₹3.72 लाख (छैल बिहारी तिवारी) | ₹8.38 लाख घाटा |
कुल मिलाकर, नगर पालिका को करीब 64 लाख 77 हजार रुपए का घाटा हुआ — और ये सब एक “कागजी प्रक्रिया” के ज़रिए पूरा किया गया।
“रिश्तेदारी का राज” खुला
इस घोटाले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कई दुकानों के खरीदार नगर पालिका के पार्षदों या उनके रिश्तेदारों के नजदीकी हैं। यही वजह है कि पूरी नीलामी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जनता अब पूछ रही है —
“क्या नगर पालिका जनता की सेवा के लिए बनी है या कुछ रसूखदारों की संपत्ति बढ़ाने के लिए?”
नागरिकों में गुस्सा, जांच की मांग तेज़
नगर के लोगों ने कहा कि “पालिका में भ्रष्टाचार अब प्रणाली बन चुका है।” सड़क निर्माण, भवन निर्माण, टेंडर और नीलामी — हर जगह कमीशन का बोलबाला है। इस मामले में जांच की मांग तेज़ हो गई है। कई सामाजिक संगठनों ने मुख्यमंत्री और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से जांच की मांग की है।
अगर आर्थिक अनियमितता साबित होती है, तो यह मामला सीधे EOW जांच के दायरे में आ सकता है।
जनता का भरोसा टूटा
लोगों का कहना है कि पहले भी कई घोटाले हुए, लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। “फाइलें दबा दी जाती हैं और दोषी बच निकलते हैं।” यही कारण है कि अब जनता का भरोसा टूटा हुआ है।
खैरागढ़ नगर पालिका की साख पहले ही कई विवादों से हिल चुकी है — चाहे सड़क निर्माण का मामला हो या भवन अनुमति का। लेकिन इस बार दुकानों की नीलामी घोटाले ने यह साबित कर दिया कि यहां “सिस्टम से ज़्यादा सेटिंग” चलती है।










