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सावन का सातवां सोमवार आज : शिव जी और नाग देवता एक साथ देंगे आशीर्वाद, 24 साल बाद बना है ऐसा दुर्लभ संयोग, जानिए पूजा विधि

श्रावण मास में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। श्रावण सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना करने से और उपवास का पालन करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है। श्रावण मास के सातवें सोमवार व्रत के दिन शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है।हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन सोमवार के दिन श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पड़ रही है। इस दिन पंचमी तिथि 21 अगस्त रात्रि 12:21 से 22 अगस्त रात्रि 02 बजे तक रहेगी। साथ ही इस दिन चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जो पूर्ण रात्रि तक रहेगी। साथ ही इस विशेष दिन पर शुभ और शुक्ल योग का भी निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिष शास्त्र में पूजा-पाठ के लिए श्रेष्ठ माना गया है।

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श्रावण सोमवार 2023 महत्व

सनातन धर्म में भगवान शिव की उपासना के लिए श्रावण मास में सोमवार दिन को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। बता दें कि सावन मास में सातवें सोमवार व्रत के दिन नाग पंचमी व्रत भी रखा जाएगा। जिस वजह से इस दिन साधकों को भगवान शिव और नाग देवता की उपासना का सौभाग्य प्राप्त होगा। मान्यता है कि सोमवार व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से और महादेव का रुद्राभिषेक करने से साधक को जीवन में सुख, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ कई प्रकार के ग्रह दोष और समस्याएं दूर हो जाती है। साथ ही नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

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24 साल बाद सावन सोमवार पर नाग पंचमी

21 अगस्त 2023 को सावन के 7वें सोमवार पर नाग पंचमी भी रहेगी. साथ ही इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं. 21 अगस्त को शुभ नामक योग बनेगा और चित्रा नक्षत्र भी रहेगी. इस साल नाग पंचमी का पर्व अधिकमास के बाद  दिन पड़ रहा है. माना जा रहा है कि ऐसा संयोग पूरे 24 साल बाद बना है.

सावन सोमवार पूजा सामग्री

फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।

सावन सोमवार पूजा विधि

  • सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
  • साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
  • पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेल पत्र अर्पित करें।
  • शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं। इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
  • प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।
  • आखिर में धूप, दीप से भगवान भोलेनाथ की आरती करें और पूरे दिन फलाहार हर कर शिव जी  का स्मरण करते रहें।
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