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हाट-बाजारों में खरीदारी के साथ अब सेहत भी दो महीने में 08 हजार से अधिक ग्रामीणों का हुआ उपचार

हाट-बाजारों में खरीदारी के साथ अब सेहत भी दो महीने में 08 हजार से अधिक ग्रामीणों का हुआ उपचार

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रायपुर, 18 अगस्त 2021दैनिक जीवन की आपा-धापी में सामान्यतः लोग स्वास्थगत परेशानियों की तब तक अनदेखी करते हैं, जब तक समस्या बढ़ न जाए। जरूरी न हो तब तक लोग अस्पतापल नहीं पहुंचते। कई बार ऐसी लापरवाही कई गंभीर बीमारियों को बढ़ा देती है और उसका पता भी नहीं चल पाता। इसलिए राज्य सरकार लागों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच को बढ़ावा दे रही है। आदिवासी अंचलों में हाट-बाजारों में दूर-दूर से ग्रामीण आकर अपने दैनिक जीवन में उपयोग का सामान खरीदते हैैंं। हाट-बाजारों के ग्रामीण जीवन में महत्व को देखते हुए राज्य सरकार ने 02 अक्टूबर 2019 से मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना की शुरूआत की है जिससे ग्रामीण आदिवासियों को खरीदारी के साथ अब सेहत मुफ्त मिलने लगी है। हाट-बाजारों में अधिक से अधिक ग्रामीण आसानी से स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। समय रहते बीमारियों की जानकारी होने से उनका समुचित इलाज भी संभव हो सका है ।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा जन-जन तक स्वास्थ सुविधा की पहुंच के लिए शुरू की गई इस मुहिम के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। योजना के तहत हाट-बाजारों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर ग्रामीणों को उपचार एवं चिकित्सा परामर्श दिया जा रहा है। यहां लोग सामानों की खरीदारी के साथ स्वास्थ्य संबंधी सलाह और मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं साथ ही अनुभवी चिकित्सकों से अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवा रहंे हैं। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के हाट-बाजारों में अब तक 80 हजार 742 मरीजो को उपचार एवं चिकित्सा परामर्श दिया गया है। इस साल जून एवं जुलाई के दो माह में ही 469 हाट-बाजारों में 08 हजार 460 मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार किया गया है। कांकेर जिले के 112 हाट-बाजारों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कैंप लगाकर ग्रामीणों को सर्दी, खांसी, बुखार, शुगर, ब्लड प्रेशर, मधुमेह, ग्रामीणों की मलेरिया की जांच, गर्भवती महिलाओं की जांच, नेत्र विकार सहित मौसमी बीमारियो का उपचार एवं चिकित्सा परामर्श दिया जा रहा है। इन शिविरों में ब्लड प्रेशर, खून जांच जैसी प्रारंभिक जांच की जाती है। गंभीर बीमारी का पता चलने पर चिकित्सक मरीज को आवश्यक्तानुसार स्वास्थ्य केन्द्रों या अस्पतालों में भेजते हैं।

Haresh pradhan

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