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ओबीसी महासभा द्वारा बनाई गई लोक माता अहिल्याबाई होल्कर की जयंती

ओबीसी महासभा द्वारा बनाई गई लोक माता अहिल्याबाई होल्कर की जयंती

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मासिक बैठक सभी जिलों में रोटेशन में किए जाने पर आम सहमति बनी

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ओबीसी महासभा प्रदेश इकाई छत्तीसगढ़ के द्वारा गूगल मीट के माध्यम से लोकमाता अहिल्याबाई होलकर की जयंती मनाई गई जिसमें प्रदेश भर के पदाधिकारी ने भाग लिया। बैठक की शुरुआत जय जवान, जय किसान ,जय ओबीसी,जय संविधान की जयकारे के साथ परिचय सत्र से हुआ। बैठक में जुड़े सभी साथियों के द्वारा लोकमाता अहिल्याबाई होलकर जयंती के अवसर पर प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए ओबीसी महासभा के आगामी रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में अधिकांश जिला अध्यक्षों ने भाग लिया। बैठक का स्वागत भाषण एमसीबी के जिला अध्यक्ष एडवोकेट रामनरेश पटेल के द्वारा दिया गया, साथ ही उनके द्वारा सुझाव दिया गया कि प्रत्येक जिले में प्रदेशव्यापी बैठक बारी-बारी से रोटेशन में हो ,इस पर सभी पदाधिकारी ने सहमति जताई है। आचार संहिता हटने पर बैठक किए जाने का भी सुझाव दिया गया। बैठक को सभी पदाधिकारी के द्वारा राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए संबोधित किया गया ,जिसमें प्रमुख रूप से सरगुजा संभाग अध्यक्ष मनीष दीपक साहू ,प्रदेश सहसचिव ओम प्रकाश यादव, रायपुर संभाग अध्यक्ष हेमंत कुमार साहू ,बिलासपुर संभाग अध्यक्ष हरिश साहू,सरगुजा संभाग प्रवक्ता आनंद सिंह यादव ,बस्तर संभाग उपाध्यक्ष तुलसीराम ठाकुर ,बिलासपुर संभाग उपाध्यक्ष चैतुराम साहू, कोरबा जिला अध्यक्ष नकुल राजवाड़े ,रायगढ़ जिला अध्यक्ष नंदलाल चंद्रा, मानपुर मोहला चौकी जिला अध्यक्ष जितेंद्र पटेल ,मुंगेली जिला अध्यक्ष लोकेंद्र साहू ,सरगुजा जिला अध्यक्ष पंकज गुप्ता ,राजनांदगांव जिला अध्यक्ष नरेश गंजीर, महासमुंद जिला अध्यक्ष परशुराम नायक ,जीपीएम जिला अध्यक्ष अशोक कश्यप ,शक्ति जिला अध्यक्ष खेमराज कश्यप ,बिलासपुर जिला अध्यक्ष सुनील यादव, कोंडागांव जिला अध्यक्ष मंगऊराम देवांगन, नवनियुक्त बिलासपुर संभाग उपाध्यक्ष तेज प्रताप राठौड़ ,गरियाबंद जिला अध्यक्ष फलेंद्र कुमार साहू, रायपुर जिला अध्यक्ष किशोर कुमार सोनी, खैरागढ़ जिला अध्यक्ष किशोर कुमार निषाद ,दंतेवाड़ा जिला महासचिव पीला राम सिन्हा, बेमेतरा जिला उपाध्यक्ष दिनेश गंगबेर, रायगढ़ जिला कोषाध्यक्ष श्रीमंत राव आदि ने संबोधित किया। उक्त बैठक में कोरिया जिला अध्यक्ष राजेश साहू, जांजगीर-चांपा जिला अध्यक्ष हरीश गोपाल ,प्रदेश सचिव महिला मोर्चा खीर साहू ,अंबिकापुर से गीता रजक, माहेश्वरी राजवाड़े ,दूर्ग जिला के संरक्षक ब्रह्म देव पटेल, बालोद जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा भगवती सोनकर, गरियाबंद जिला अध्यक्ष महिला मोर्चा लता सोनी ,देवेंद्र साहू ,रायगढ़ जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा दिनेश कुमार यादव, राजनांदगांव से लेखूराम साहू ,कोरिया जिला सचिव महेश साहू, मधुसूदन साहू ,जिला महासचिव शिव कुमार राजवाडे ,सरगुजा से राजू राजवाड़े, नामिक राजवाड़े जगदलपुर से शिवचरण कुंभकार ,बालकृष्ण गुप्ता, भानु राम साहू ,शक्ति जिला के विधानसभा अध्यक्ष इंदल सिंह श्रीवास ,बालोद से भास्कर साहू, पवन साहू ,मनोज कुमार साहू ,सारंगढ़ बिलाईगढ़ से सीताराम साहू, महेंद्र निषाद ,ओमप्रकाश कश्यप ,बस्तर से मनोज कुमार ठाकुर, राजा चंद्राकर, तोकापाल से रामकुमार बीसाई, देवेंद्र कुमार गंजीर, उत्तम साहू ,बिलासपुर से चंद्रदीप राठौर ,जिला उपाध्यक्ष कोरबा अशोक दास महंत सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी ने भाग लिया । बैठक कोऑर्डिनेटर राजनांदगांव जिला अध्यक्ष एडवोकेट नरेश जंजीर जी के प्रयास से प्रदेश के अधिकांश जिला अध्यक्षों ने बैठक में भाग लिया। बैठक का सफल संचालन प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी राधेश्याम के द्वारा किया गया बैठक का संचालन करते हुए उन्होंने अहिल्याबाई होल्कर की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अहिल्याबाई होलकर साधारण से किसान के घर पैदा हुई एक महिला थी ,जिन्होंने सदैव अपने राज्य और वहां के लोगों के हित में ही काम किया ।उनके कार्य की प्रणाली बहुत ही सुगम और सरल है अर्थात इन्होंने अपने राज्य के लोगों के साथ बड़े ही प्रेम पूर्वक एवं दया के साथ व्यवहार किया ।उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया और हाथी पर सवार होकर वीरता के साथ लड़ी। वे मालवा प्रांत की महारानी थी। वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर ने समाज की सेवा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई 1725 ई.को महाराष्ट्र राज्य की चौढ़ी नामक ग्राम में हुआ था। उनके पिता मैंकोजी शिंदे एक सामान्य किसान थे। अहिल्याबाई होल्कर उनकी इकलौती पुत्री थी ।अहिल्याबाई होल्कर भगवान में विश्वास रखने वाली और प्रतिदिन शिवजी के मंदिर में पूजन करने जाती थी। उन्होंने आगे कहा कि होलकर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हार राव होलकर के पुत्र खंडेराव के साथ परिणय सूत्र में बंध गई थी ।अपनी कर्तव्य निष्ठा से उन्होंने सास -ससुर, पति व अन्य संबंधियों के हृदय को जीत लिया। समय के साथ एक पुत्र और एक पुत्री की मां बनी। अपनी योन अवस्था की दहलीज पर ही थी कि उनके पति का देहांत हो गया। सन 1766 ईस्वी में ससुर मल्हार राव भी चल बसे। अहिल्याबाई होलकर के जीवन से एक महान साया उठ गया। शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। कालांतर में देखते ही देखते पुत्र मालेराव और पुत्री मुक्ता भी मां को अकेला ही छोड़ चल बसे। परिणामत:मां अपने जीवन से हताश हो गई ,परंतु प्रजा हित में उन्होंने स्वयं को संभाला और सफल दायित्व पूर्ण राज संचालन करती हुई 13 अगस्त 1795 को नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर के किले में भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख कर सदैव के लिए महानिद्रा में सो गई। वक्ताओं ने संबोधित करते हुए कहा की छोटे से गांव इंदौर को एक खूबसूरत शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी उन्होंने यहां पर सड़कों की दशा सुधारने गरीबों और भूकंप के लिए खाने की व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया अहिल्याबाई होल्कर की बदौलत की आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध और विकसित शहरों में होती है उन्होंने समाज में विधवा महिलाओं की स्थिति पर भी खास काम किया और उनके लिए उस वक्त बनाए गए कानून में बदलाव किया था। दरअसल अहिल्याबाई होल्कर की मराठा प्रांत का शासन संभालने से पहले यह कानून था कि अगर कोई महिला विधवा हो जाए और उसका पुत्र न हो तो उसकी पूरी संपत्ति सरकारी खजाना या फिर राजकोष में जमा कर दी जाती थी, लेकिन अहिल्याबाई होल्कर ने इस कानून को बदलकर विधवा महिला को अपने पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया, इसके अलावा इन्होंने महिला शिक्षा पर भी खासा जोर दिया । अपने जीवन में तमाम परेशानियां को झेलने के बाद जिस तरह महारानी अहिल्याबाई ने अपनी अदम्य नारी शक्ति का इस्तेमाल किया था वह काफी प्रशंसनीय है। अहिल्याबाई होल्कर कई महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। अहिल्याबाई होल्कर ने देश के कई हिस्सों में काफी काम की ,जिसके चलते भारत सरकार के द्वारा कई जगहों पर रानी की प्रतिमा अपनी लगवाई गई है उनके नाम पर कई योजनाएं संचालित है। उनके सम्मान और उनकी याद में ही मध्य प्रदेश के इंदौर में हर साल भाद्रपद कृष्ण चतुर्दशी के दिन अहिल्या उत्सव का आयोजन किया जाता है ।
बैठक के समापन अवसर पर दंतेवाड़ा जिला महासचिव पीलाराम सिन्हा ने आभार व्यक्त करते हुए सभा समाप्ति की घोषणा की।

Ashish Sinha

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