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“रामगढ महोत्सव“ का सरगुजा सांसद चिंतामणी महाराज के मुख्य आतिथ्य में भव्य शुभारम्भ

“रामगढ महोत्सव“ का सरगुजा सांसद चिंतामणी महाराज के मुख्य आतिथ्य में भव्य शुभारम्भ

पहले दिन, रामगढ़ में प्रमुख स्थानों पर शोधार्थियों द्वारा शोध पत्रों का वाचन, अल्कापुरी मेघों की यात्रा, कवि सम्मेलन और सुंदर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र थे।

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अम्बिकापुर//सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के सांसद चिंतामणी महाराज ने शनिवार को सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड में भारत की प्राचीनतम नाटयशाला रामगढ़ में दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का भव्य उद्घाटन किया। यहां हर वर्ष आषाढ़ माह के पहले दिन रामगढ़ महोत्सव मनाया जाता है। महाकवि कालिदास ने रामगढ़ की पहाड़ियों में खंडकाव्य मेघदूत लिखा था। महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर अतिथियों ने पहले विभिन्न विभागों द्वारा बनाए गए स्टॉल देखा।

कार्यक्रम की शुरुआत भगवान राम, छत्तीसगढ़ महतारी के चित्र पर माल्यार्पण करके हुई। सांसद श्री चिंतामणी महाराज ने इस अवसर पर रामगढ महोत्सव की सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सरगुजा के इस ऐतिहासिक स्थान में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान निवास किया था, जिसे सीता बेंगरा गुफा भी कहा जाता है। यहीं महाकवि कालिदास ने अपना खण्डकाव्य मेघदूतम लिखा था।

लगभग पाँच दशक से, इस ऐतिहासिक स्थान की विश्वव्यापी पहचान दिलाने के लिए यहां महोत्सव का आयोजन किया जाता है। उनका कहना था कि आने वाले वर्षों में यह कार्यक्रम और भव्य होना हमारा लक्ष्य रहेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मधु सिंह ने भी इस अवसर पर रामगढ़ महोत्सव को शुभकामनाएं दीं। जिला पुरातत्व संघ के आलोक दुबे ने सभी को रामगढ़ महोत्सव का एक संक्षिप्त परिचय दिया।

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कलेक्टर विलास भोसकर के मार्गदर्शन में आयोजित रामगढ़ महोत्सव के शुभारंभ समारोह में अपर कलेक्टर सुनील नायक ने प्रशासकीय प्रतिवेदन पढ़कर रामगढ़ के इतिहास और कार्यक्रम की योजना पर विस्तार से चर्चा की।

रामगिरी से अल्कापुरी तक मेघों का मार्ग: रामगढ़ राष्ट्रीय शोध सम्मेलन

छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आए शोधार्थी राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शोध पत्रों का वाचन करते थे। अन्य शोधार्थियों को भोपाल से डॉ. निलिम्प त्रिपाठी और रायपुर से डॉ. ललित शर्मा ने मार्गदर्शन दिया। स्थानीय कवियों ने इसके साथ कवि सम्मेलन में अपनी प्रस्तुतियां दीं।

स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों ने इस अवसर पर सुंदर गीत-संगीत की प्रस्तुतियां दीं। कथक नृत्यांगना रित्विका बनर्जी ने भी स्थानीय कलाकारों का मन मोह लिया। कलाकारों और शोधार्थियों को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह दिए गए।

उस समय अतिथियों ने मीना वर्मा द्वारा लिखित दो पुस्तकों का विमोचन किया: “रामगढ नाट्यशाला” खण्डकाव्य और “सन्दर्भ रामगढ- मेघदूतम की रचनास्थली सरगुजा का रामगढ़” श्रीश मिश्र द्वारा लिखित।

जिला पंचायत सदस्य राजनाथ सिंह, श्रीमती राधा रवि, जनपद पंचायत उदयपुर की अध्यक्ष श्रीमती भोजवंती सिंह, उपाध्यक्ष नीरज मिश्रा, करता राम गुप्ता और जिला और खंड स्तरीय अधिकारी महोत्सव का आनंद लेते हुए मौजूद थे।

Ashish Sinha

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