
छत्तीसगढ़ बजट 2025: संतुलन की कोशिश या जनता की अनदेखी?
छत्तीसगढ़ बजट 2025: संतुलन की कोशिश या जनता की अनदेखी?
रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णु देव सरकार का दूसरा बजट पेश किया गया, जिसमें आर्थिक संतुलन साधने की कोशिश तो की गई, लेकिन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपेक्षित घोषणाएँ नहीं दिखीं। विपक्ष ने इसे निराशाजनक बताते हुए सरकार को घेरा है। बजट को लेकर विभिन्न नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आई हैं, जिसमें राजकोषीय घाटे से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर तक कई सवाल खड़े किए गए हैं।
बजट का संतुलन और राजस्व स्रोतों की चुनौती
बजट को संतुलित बताने के बावजूद इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। पेट्रोलियम उत्पादों पर 1% वैट कटौती और रजिस्ट्री शुल्क में कमी को जनता को लुभाने का प्रयास माना जा रहा है, लेकिन इन कटौतियों से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई कैसे होगी, इस पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई है।
कुल बजट का 39% केंद्र सरकार से और 46% राज्य के स्रोतों से आएगा, यानी कुल 85% बजट इन्हीं दो स्रोतों पर निर्भर है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन डबल इंजन सरकार के बावजूद केंद्र से संतोषजनक सहयोग नहीं मिल रहा है।
सरकार ने दावा किया कि राजकोषीय घाटा 2.97% है, जो 3% के करीब पहुँच रहा है और यह चिंताजनक स्थिति है। घाटे का अनुमानित आंकड़ा 22,000 करोड़ रुपये के करीब है। राज्य को अपने आय के स्रोतों को बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि इस घाटे की भरपाई हो सके।
स्वास्थ्य बजट: कम राशि, बढ़ते सवाल
स्वास्थ्य बजट पर भी गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। कुल बजट का मात्र 4% यानी 8,040 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटित किए गए हैं। आयुष्मान योजना के लिए 1,500 करोड़ का प्रावधान किया गया है, लेकिन पुराना बकाया ही 2,500 करोड़ रुपये का है। ऐसे में इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ की जनता को कोई नया लाभ मिलने के बजाय पुरानी देनदारियों को ही समायोजित करने में यह राशि खप सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बजट से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद करना कठिन है। निजी अस्पतालों की महँगी सेवाओं से आम जनता को राहत नहीं मिलेगी, और सरकारी अस्पतालों की स्थिति बदतर हो सकती है।
रोजगार और शिक्षा पर निराशा
रोजगार के मोर्चे पर बजट को निराशाजनक बताया जा रहा है। कुछ पुलिस भर्तियों को छोड़कर शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग की भर्तियों पर कोई ठोस घोषणा नहीं की गई है। प्रदेश पहले से ही सेवा क्षेत्र में राष्ट्रीय औसत से 20% पीछे है। अगर शिक्षा और स्वास्थ्य में भर्ती की जाती, तो सेवा क्षेत्र का जीडीपी में योगदान बढ़ सकता था।
प्रदेश कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगार युवाओं के लिए डेढ़ लाख नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है।
कृषि और सिंचाई क्षेत्र की उपेक्षा?
कृषि क्षेत्र में पिछली कांग्रेस सरकार की नीतियों को जारी रखा गया है, लेकिन सिंचाई योजनाओं में सरगुजा क्षेत्र की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरगुजा में कोई नई सिंचाई योजना घोषित नहीं की गई, जिससे किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज: घोषणा बनाम हकीकत
बजट में अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लिए 110 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, लेकिन विपक्षी नेताओं का कहना है कि पिछले साल भी 118 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन काम की शुरुआत ही नहीं हुई। इससे बजट लेप्स हो जाता है और जनता को कोई फायदा नहीं मिलता।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सरकार से अनुरोध किया है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल भवन का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाए और इसे समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए।
सड़क और शहरी विकास पर सीमित बजट
सरकार ने पूरे प्रदेश में नई सड़कों के निर्माण के लिए केवल 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें सरगुजा के हिस्से मात्र 25 करोड़ रुपये आए हैं। यह राशि इतनी कम है कि इससे बड़े स्तर पर सड़क निर्माण संभव नहीं हो सकता।
नगर निगमों के लिए मुख्यमंत्री नगर उत्थान योजना में केवल 500 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है, जबकि प्रदेश में 12 से अधिक नगर निगम हैं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि इस बजट से अंबिकापुर शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना पूरा नहीं हो सकता, जबकि भाजपा ने नगर निगम चुनावों में इसे अपने घोषणापत्र का हिस्सा बनाया था।
डबल इंजन सरकार, लेकिन सरगुजा को नहीं मिला इंजन?
सरगुजा की जनता ने डबल इंजन सरकार पर भरोसा किया था, लेकिन कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार के बजट में सरगुजा को कोई विशेष लाभ नहीं मिला। न तो कोई नई रेल परियोजना आई, न कोई बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट।
कांग्रेस प्रवक्ता अनूप मेहता ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सिर्फ अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र में 5 साल में 2,750 करोड़ रुपये के विकास कार्य हुए थे, यानी हर साल औसतन 550 करोड़ रुपये। लेकिन इस बजट में पूरे जिले के लिए भी 500 करोड़ रुपये नहीं मिले हैं।
घोषणापत्र के वादे और बजट की सच्चाई
भाजपा सरकार ने चुनावी घोषणापत्र में कई बड़े वादे किए थे, लेकिन बजट में उनके लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं किया गया। कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाया है।
बजट में शामिल नहीं किए गए वादे:
1. महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की योजना का कोई जिक्र नहीं।
2. डेढ़ लाख बेरोजगार युवकों को रोजगार देने की योजना गायब।
3. गरीब तबके के छात्रों को इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ और सीए की पढ़ाई के लिए 50% छात्रवृत्ति देने की कोई घोषणा नहीं।
कांग्रेस मीडिया पैनलिस्ट दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि यह बजट कल्पना पर आधारित है और इसका छत्तीसगढ़ की जनता को कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा।
क्या जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा बजट?
सरकार का दावा है कि बजट संतुलित और विकासोन्मुखी है, लेकिन विपक्ष इसे अव्यावहारिक और जनता को गुमराह करने वाला बता रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बजट में ठोस योजनाओं का अभाव दिखता है।
अब देखना होगा कि सरकार आगामी महीनों में इन मुद्दों को कैसे संबोधित करती है और जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतरती है।