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Ambikapur : संस्कृति मंत्री ने गाया- ’घर-घर दीया माता, घर-घर बाती ओ, घर-घर कलस मढ़ाई’………….

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा संभागीय स्तरीय छत्तीसगढ़ी राजभाषा सम्मेलन व साहित्यकार सम्मान-समारोह का आयोजन...................

संस्कृति मंत्री ने गाया- ’घर-घर दीया माता, घर-घर बाती ओ, घर-घर कलस मढ़ाई’………….

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पी0एस0यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के द्वारा सरगुजा संभागस्तरीय छत्तीसगढ़ी राजभाषा सम्मेलन और साहित्यकार सम्मान-समारोह का आयोजन स्थानीय राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत और अध्यक्षता डाॅ0 प्रीतम राम, अध्यक्ष, मेडिकल सर्विसेस काॅर्पोरेशन व विधायक लुण्ड्रा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में लक्ष्मी गुप्ता, सदस्य, तेलघानी बोर्ड, अटल यादव, सदस्य, गौसेवा आयोग, बदरूद्दीन एराकी, सदस्य, उर्दू बोर्ड, संजय गुप्ता, सदस्य, कृषक कल्याण परिषद्, अमृत टोप्पो, सदस्य, अनुसूचित जनजाति आयोग व प्रो. डाॅ0 एस के श्रीवास्तव, पीजी काॅलेज उपस्थित रहे।

आयोजन का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती की पूजा-अर्चना से किया। वरिष्ठ सरगुजिहा गीतकार व मधुर कंठ के धनी रंजीत सारथी ने सरस्वती-वंदना- घरी-घरी तोर पइंया बंदव, हमरो ले-ले जोहार दाई की प्रस्तुति दी। उन्होंने संस्कृति मंत्री के अनुरोध पर मां महामाया की वंदना में जसगीत- खोल केवारी दाई दरसन दे दे, मय जाहूं गोड़ ला धोए बर की मार्मिक प्रस्तुति देकर सबको भावविभोर कर दिया। स्वागत-गीत कवयित्री अर्चना पाठक व माधुरी जायसवाल और स्वागत-भाषण राजभाषा आयोग के सचिव डाॅ0 अनिल कुमार भतपहरी द्वारा किया गया। राजगीत की प्रस्तुति कवयित्री अर्चना पाठक, माधुरी जायसवाल, आशा पाण्डेय, पूनम दुबे व काॅलेज छात्र-छात्राओं ने दी। इसके पूर्व अतिथियों की अगुवाई पीजी काॅलेज की छात्र-छात्राओं और रामनारायण सिंह एवं साथी, ग्राम जमगला के नर्तक दलों के द्वारा की गई। डाॅ0 प्रीतम राम ने अपने उद्बोधन में अंग्रेज़ी भाषा को ज़्यादा अहमियत दिए जाने का पुरज़ोर विरोध करते हुए राजभाषा छत्तीसगढ़ी को अधिकाधिक मजबूत करने की आवश्यकता प्रतिपादित की तथा सरगुजा की विभिन्न जातियों की स्थानीय बोली, रहन-सहन, संस्कृति व लोककलाओं को प्रोत्साहन देने की बात कही। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने समारोह में संभागभर से आए सभी साहित्यकारों, कवियों व विद्वानों का स्वागत-अभिनंदन किया और कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा सुनने में बहुत मीठी लगती है। यह मन को गुदगुदाने वाली भाषा है।

उन्होंने अपने मधुर स्वर में मां महामाया की आराधना में जसगीत- घर-घर में दीया माता, घर-घर बाती ओ, घर-घर कलश मढ़ाई- सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। संस्कृति मंत्री ने छत्तीसढ़ी भाषा के विकास, संरक्षण व संवर्धन के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों का भी समुल्लेख किया और छत्तीसगढ़ी भाषा-संस्कृति की धाक पूरे देश-दुनिया में बनाये जाने हेतु सामूहिक प्रयास करने का आव्हान किया। साथ ही रायपुर के अलावा राज्य के सभी संभागों में छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति व साहित्य के उत्थान के लिए राजभाषा आयोग द्वारा सम्मेलन व कार्यशालाएं आयोजित किए जाने का निर्देश दिया। उन्होंने स्कूल-काॅलेज स्तर के बच्चों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति रूचि जगाने अध्ययन-अध्यापन कराने पर जोर दिया और साहित्यकारों से छत्तीसगढ़ी में साहित्य सृजन करने व उसे समृद्धिशाली बनाने का आव्हान किया।

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इस अवसर पर पीजी काॅलेज के छात्र-छात्राओं ने ‘हाय रे सरगुजा नाचे’ व ’करमा कुहकी गाबो मांदर के ताल में- जैसे सरगुजिहा गीतों पर संगीतमय लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। इन गीतों की सृजन गाथा कवि विजय सिंह दमाली ने सविस्तार सुनाई। तत्पश्चात अतिथियों द्वारा सरगुजा संभाग के वरिष्ठ साहित्यकार बंशीधरलाल, सुरेश प्रसाद जायसवाल, सुदामा राम गुप्ता, भोला प्रसाद मिश्रा, डाॅ सपन सिन्हा, डाॅ0 सुधीर राम पाठक, रंजीत सारथी और विजय सिंह दमाली को प्रशस्ति पत्र, राजकीय गमछा व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया तथा यशवंत साहू ’कोगनिहा’ की पुस्तक- ’वह धरा जहां पर सुर गूंजा’ का विमोचन भी किया गया।

आयोजन के दूसरे सत्र में विचार गोष्ठी व वक्तव्य का कार्यक्रम हुआ। कवि विजय सिंह दमाली ने छत्तीसगढ़ी और स्थानीय बोली के अंतर संबंध, रंजीत सारथी ने संस्कृति रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा में अध्ययन-अध्यापन जरूरी, डाॅ0 सपन सिन्हा नें छत्तीसगढ़ी साहित्य की दशा व दिशा और सुधीर राम पाठक ने आठवीं अनुसूची और राजकाज में छत्तीसगढ़ी विषय पर अपने सारगर्भित, प्रेरणादायी व विचारोतेजक आलेखों का पठन किया। सभी ने छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई। भोजनावकाश के पश्चात् तीसरे व अंतिम सत्र में सरगुजा संभाग से आए सभी कवियों ने छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा व विभिन्न बोली-भाषाओं में अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ कर समारोह को यादगार बना दिया।

कार्यक्रम का काव्यमय संचालन डाॅ0 सपन सिन्हा, अर्चना पाठक व माधुरी जायसवाल ने तथा आभार जिला समन्वयक राजेश तिवारी ने जताया। आयोजन को सफल बनाने में राजभाषा आयोग के सचिव डाॅ0 अनिल कुमार भतपहरी के अलावा जिला समन्वयक राजेश तिवारी, जिला सह समन्वयक रंजीत सारथी, अर्चना पाठक, माधुरी जायसवाल, मुकुंदलाल साहू, अजय श्रीवास्तव, पूनम दुबे, आशा पाण्डेय, डाॅ0 उमेश पाण्डेय, अभिनव चतुर्वेदी, अर्पण एक्का, निर्मल कुमार गुप्ता, सूरजपुर के समन्वयक मोहनलाल साहू, बलरामपुर के रामसेवक गुप्ता, जशपुर के मुकेश कुमार और कोरिया जिले के समन्वयक डाॅ0 सपन सिन्हा, पीजी काॅलेज के प्रोफेसर डाॅ0 एसके श्रीवास्तव, डाॅ0 आभा जायसवाल, डाॅ0 प्रतिभा सिंह, डाॅ0 अजयपाल सिंह, सुषमन्ना लकड़ा के अलावा काॅलेज के एनसीसी व एनएसएस कैडेट दलों का योगदान सराहनीय रहा। इस अवसर पर ब्लाॅक कांग्रेस अध्यक्ष तिलक बेहरा, लालचंद यादव, कलाम सिद्दीकी, बलराम सोनी, सत्यप्रकाश शर्मा, कमलेश यादव, आरीफ खान, अभ्युदय, सूरज, संदीप जायसवाल, फयान आलम सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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