
SC में बोली केंद्र सरकार- कांग्रेस चीफ समेत विपक्षी नेताओं की जांच से विरोधी तिलमिलाए
बढ़ाने का फैसला सुर्खियों के साथ विवादों का कारण भी बना। विरोधी दलों ने केंद्र सरकार के फैसले पर सवाल खड़े कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। अब देश की सबसे बड़ी कोर्ट में अपने जवाब में केंद्र सरकार ने कहा है कि कांग्रेस चीफ व अन्य विपक्षी नेताओं की जांच से विरोधी दल / नेता तिलमिला गए हैं। सरकार ने अपील की है कि शीर्ष अदालत अपने निर्णय से फैसले को चैलेंज वाली याचिका खारिज करें।
याचिका में कई मेरिट नहीं
बता दें कि ईडी निदेशक के सेवा विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका के जवाब में दाखिल हलफनामे पर केंद्र सरकार ने चौंकाने वाली दलीलें दी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले का बचाव करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, चुनौती देने वाली याचिकाएं ‘प्रेरित’ हैं। केंद्र ने अदालत से याचिका खारिज करने का आग्रह किया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ईडी कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिका में कई मेरिट नहीं है। शीर्ष अदालत को ऐसी प्रेरित याचिका खारिज कर देनी चाहिए।
संबंधित अदालतों से संपर्क करें आरोपी
ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले का बचाव करते हुए केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि याचिका स्पष्ट रूप से किसी जनहित याचिका के बजाय एक अप्रत्यक्ष व्यक्तिगत हित से प्रेरित है। याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 का दुरुपयोग है, जो स्पष्ट रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की तरफ से इसके पदाधिकारियों की ओर से प्रतिनिधि के रूप में दायर की जा रही है। केंद्र के फैसले को ऐसे लोग चैलेंज कर रहे हैं, जिनके खिलाफ ईडी जांच कर रही है। जांच का सामना कर रहे लोग दंड प्रक्रिया संहिता (Cr.PC) के तहत उचित वैधानिक राहत और उपाय के लिए संबंधित अदालतों से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र और सक्षम हैं।
जबरन बनाई गई जनहित याचिका !
केंद्र ने कहा कि याचिका ‘राजनीतिक आकाओं’ को बचाने के लिए दायर की गई है। ऐसे समय में याचिका दायर की गई जब संबंधित व्यक्तियों को किसी भी उचित राहत के लिए सक्षम अदालतों का दरवाजा खटखटाने से रोका नहीं जा रहा है।
केंद्र ने कहा कि वर्तमान रिट याचिका, जिसे जनहित याचिका के रूप में स्टाइल किया गया है, स्पष्ट रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य कुछ राजनीतिक रूप से एक्सपोज व्यक्तियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही वैधानिक जांच को रोकना है।
वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता पर खतरा
केंद्र ने कहा कि याचिका का असली मकसद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के कुछ पदाधिकारियों के खिलाफ की जा रही जांच पर सवाल उठाना है। सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा, यह सर्वविदित तथ्य है कि भ्रष्टाचार, काला धन और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपराध और ड्रग्स, आतंकवाद और अन्य आपराधिक अपराधों के साथ इसके जटिल संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे देश की वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इसके अलावा, सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण अक्सर आम लोगों के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का हनन होता है।