
महाराजा सरगुजा / मुख्य सचिव मध्यप्रदेश सरकार स्व. एम.एस. सिंह देव जी को उनके जयंती पर सादर प्रणाम स्मरण
सरगुजा महाराजा स्वर्ग. मदनेश्वर शरण सिंह देव जी
के जयंती पर आज सरगुजा सहित कई जगहों पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया व उनकी आत्मा को शांति के लिए प्रार्थना किया गया..
एक ऐसी सख्सियत जिन्हें लोग उनके त्वरित फैसले और सेवा के कारण जानते हैं. आज भी पूरे सरगुजा संभाग में अनेक ऐसे उदाहरण मिलेंगे जो महाराज साहब को औरों से अलग बनाते हैं , कैसे सरगुजा से हजारों किलोमीटर दूर भोपाल के सरगुजा हाउस को लोगो के विश्वास का केंद्र बनाया था , आम सरगुझिया को यदि कभी वल्लभ भवन में कोई काम हो तो घंटों का काम मिनटों में हो जाया करता था, सरगुजा में अनेक सिचाई को योजनाएं राजमाता साहब के मंत्री होने के काल मया,उन योजनाओं के तत्काल इम्प्लीमेंट कराने का श्रेय महाराज साहब को भी दिया जाना चाहिए , वो एक महान सख्सियत के साथ साथ एक मजबूत अधिकारी भी रहे ।
अविभक्त मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव तथा सरगुजा के महाराजा मदनेश्वर शरण सिंहदेव IAS. (02.06.1930-24.06.2001),
एक बार पण्डित जवाहर लाल नेहरू एक रैली निकालने इलाहाबाद आये थे, तब उनके बगल से खुली छत वाली लाल स्पोर्टिंग कार फर्राटे भर्ती निकल गई. अपनी रैली के लिए नेहरूजी वैसी हीं गाडी चाहते थे लिहाज़ा अफसरों से उस गाडी का पता लगा मगाने बोले. तब पता चला वह गाड़ी वहां अध्ययनरत उनके अभिन्न मित्र सरगुजा महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के पोते की है. गाडी मगाई गई शानदार रैली हुई.
रात डिनर में सरगुजा के हिज़हाईनेस महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव के कार वाले “पोते” के न दिखनें पर पंडित जवाहर लाल नेहरू नें उनसे मिलने की ईच्छा जाहिर की, तो पता चला वे आमन्त्रित हीं नहीं है. तब नेहरूजी नें कहा उनके आते तक वे इन्तज़ार करेंगे. सकते में आया पूरा प्रशासनिक अमला उनका पता लगाते सिनेमा हॉल पहुंच शो रुकवा एलाउंस करा कर ढूंढ़ नेहरूजी के सामनें ला कर खड़ा कर दिया.
एक समय बल्लभ भवन से सारे मध्यप्रदेश की प्रशासन अपनी मुट्ठी में रखने वाले, ताकतवर ब्यूरोक्रेट्स, सरगुजा की शान रहे, महाराजा मदनेश्वर शरण सिंहदेव IAS, को मधुर, विनम्र स्मरणांजलि …
छत्तीसगढ़ के क़द्दावर केबिनेट मन्त्री महाराजा टीएस सिंहदेव महाराजा एम. एस. सिंहदेव जी के पुत्र, एवँ हिजहाईनेस महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव जी के प्रपौत्र हैं…
जिस परिवार ने सरगुजा की सेवा (118 पीढ़ी ) पीढ़ियों पीढ़ियों से की और वो निरंतर जारी है ।