
Navratri 2023: नवरात्र के प्रथम दिन जयकारे से गूंजे माता के मंदिर, घरों में हुई कलश स्थापना,विधि-विधान से पूजन
Navratri 2023: नवरात्र के प्रथम दिन जयकारे से गूंजे माता के मंदिर, घरों में हुई कलश स्थापना,विधि-विधान से पूजन
कानपुर;नवरात्र के पहले दिन भक्तों ने घरों में कलश स्थापना कर मां शैलपुत्री की स्तुति करते हुए भजन गाए। घरों में महिलाओं ने विधि-विधान से दुर्गा चालिसा का पाठ कर मां से परिवार के कष्ट हरने की प्रार्थना की। शहर के देवी मंदिरों में दर्शन व पूजन को लेकर भक्तों का तांता लगा रहा।
नवरात्र के पहले दिन बुधवार को सुबह से ही माता के मंदिरों के बाहर भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज उठे। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों के मां शेरावाली के मंदिरों में भक्तों की कतार दर्शन को लगी रही। बड़ी संख्या में पहुंचे भक्तगणों ने पहले दिन मां शैलपुत्री को नारियल, चुनरी, फूल-माला, श्रृंगार का सामान व प्रसाद चढ़ाकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि व उन्नति का आशीर्वाद लिया।
घरों में भी भक्तों ने नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना कर मां शैलपुत्री की स्तुति करते हुए भजन गाए। घरों में महिलाओं ने विधि-विधान से दुर्गा चालिसा का पाठ कर मां से परिवार के कष्ट हरने की प्रार्थना की। शहर के बिरहाना रोड के पटकापुर में तपेश्वरी देवी मंदिर, दक्षिण में बारादेवी मंदिर, शास्त्रीनगर स्थित काली मठिया, गोविन्दनगर के दुर्गा मंदिर, दामोदरनगर स्थित वैष्णोदवी मंदिर, किदवईनगर के जंगलीदेवी मंदिर, नवाबगंज के मां उजियारी देवी मंदिर, बुद्घादेवी मंदिर समेत अन्य मंदिरों में दर्शन व पूजन को लेकर भक्तों का तांता लगा रहा।
मनोकामना के लिए लोगों ने अखंड ज्योति जलाई
नवरात्र में पहला दिन मां शैलपुत्री का होता है। ऐसे में बिरहानारोड के पटकापुर का तपेश्वरी मंदिर मां शैलपुत्री का ही मंदिर है। ऐसे में पहले दिन यहां पर भक्तों की भारी भीड़ दर्शन व पूजन को उमड़ी। भक्तों ने अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अखंड ज्योति भी जलाई। भक्तों ने बड़ी संख्या में मंदिर के पुजारी को ज्योति जलाने के लिए देशी धी भी दान किया, ताकि मां की अखंड ज्योति पूरे नवरात्र भर रोशन रहे।
27 मार्च को जंगली देवी में बंटेगा खजाना
किदवईनगर स्थित जंगली देवी मंदिर में 27 मार्च को षष्ठी के दिन मां का खजाना शाम 4 से 6 बजे तक बांटा जाएगा। यह जानकारी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक पं. विजय पांडे ने दी।
22 मार्च को कलश स्थापना व मां शैलपुत्री की पूजा व चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि रात 8:20 बजे तक रहेगी।
23 मार्च को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि शाम 6:20 बजे तक रहेगी। पूरा दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।
24 मार्च को मां चंद्रघंटा की पूजा चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि शाम 4:59 तक रहेगी। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:21 से दोपहर 1:22 तक और रवि योग दोपहर 1:22 से अगले दिन तक रहेगा।
25 मार्च को मां कूष्मांडा देवी की पूजा चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि शाम 4:23 बजे तक रहेगी। रवि योग सुबह 6:20 से दोपहर 1:19 बजे तक रहेगा।
26 मार्च मां स्कंदमाता की पूजा चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि शाम 4:32 बजे तक रहेगी। रवि योग दोपहर 2:01 बजे से अगली सुबह तक रहेगा।
27 मार्च मां कात्यायनी की पूजा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि शाम 5:27 बजे तक रहेगी। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। रवि योग दोपहर 3:27 बजे तक रहेगा, वहीं अमृत सिद्धि योग दोपहर 3:27 बजे से अगली सुबह तक रहेगा।
28 मार्च मां कालरात्रि की पूजा चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि शाम 7:02 बजे तक रहेगी। इस दौरान द्विपुष्कर योग सुबह 6:16 बजे से शाम 5:32 बजे तक रहेगा।
29 मार्च मां महागौरी की पूजा चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि शाम 9:07 बजे तक रहेगी। इस दौरान रवि योग रात 8.07 बजे से अगली सुबह तक रहेगा।
30 मार्च मां सिद्धिदात्री की पूजा चैत्र शुक्ल नवमी तिथि रात 11:30 तक रहेगी। पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग रहेगा।
मां तपेश्वरी के दर्शन करने से मिलता संतान सुख
तपेश्वरी देवी मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मां की अखंड ज्योति जलाने वाले भक्त की हर मनोकामना को पूर्ण होती है। यहां पर बच्चों का मुंडन संस्कार होता है। मां दर्शन करने से संतान सुख मिलता है। नवरात्र में मां के 108 नामों का जाप करना चाहिए। यहां पर कानपुर देहात, उन्नाव, लखनऊ, घाटमपुर आदि इलाकों से मां के दर्शनों के लिए भक्त आते हैं। पुजारी पं. शिव मंगल ने बताया कि जब लंका पर विजय प्राप्त करके प्रभु राम अयोध्या पहुंचे थे, तो धोबी के ताना मारने पर मां सीता को उन्होंने त्याग दिया था। तब लक्ष्मण ने मां सीता को ब्रह्मवर्त स्थित वाल्मीकि आश्रम के पास छोड़ दिया था। यही स्थान वर्तमान में तपेश्वरी माता मंदिर का स्थान है। मां सीता ने यहां पर पुत्र कामना के लिए तप किया था और उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई थी। मां सीता ने लव-कुश का मुंडन व कर्ण छेदन यहीं पर करवाया था। इसलिए तपेश्वरी मंदिर मुंडन संस्कार के लिए प्रसिद्ध है।