गरियाबंदछत्तीसगढ़राज्य

मैनपुर क्षेत्र ग्राम पंचायत फरसरा दबनई व आश्रित ग्रामो में दर्जन भर से ज्यादा हेडपम्प है, लेकिन आयरन युक्त लाल पानी निकलने के कारणकमार आदिवासी नदी नाले झरिया का पानी पीनेको मजबूर सुध लेने वाला कोई भी नहीं

रिपोर्ट-रिखीराम नागेश ब्यूरो चीफ/गरियाबंद?

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मैनपुर विकासखंड

सरकार और जिला प्रशासन पेयजल समस्या से निपटने का लाख दावा कर ले लेकिन जमीन हकीकत कुछ और ही है अभी भी मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र के फरसरा ,छिन्दौला, धोबीपारा, लूठापारा, लेडीबाहर जैसे कई ग्रामों मे पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है और प्रशासनिक अमला जरूरतमंदो तक शुध्द पेयजल पहुंचाने नाकाम है,,बूंद बूंद पानी की किमत क्या होती है इसी ग्राम फरसरा,धोबीपारा, खोलापारा और लुठापारा के ही आदिवासी कमार ग्रामीण जानते है,

बुंद बूंद पानी के लिए यहा के ग्रामीणो को दो से तीन किलोमीटर पैरी नदी तक पैदल जाना पडता है तब कही जाकर उन्हे पीने के लिए बामुशिकल एक से दो हंडी पानी नसीब हो पाता है, ग्रामीणो का आधा दिन तो सिर्फ पानी की व्यवस्था करने मे निकल जाती है तहसील मुख्यालय मैनपुर से महज 15 किलोमीटर दुर मैनपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत दबनई के आश्रित ग्राम फरसरा , छिन्दौला, लूठापारा, लेडीबाहर, धोबीपारा मे इन दिनो पीने के पानी को लेकर लोगो को काफी जदोजहद करनी पड रही है ऐसा नही की मामले की जानकारी संबधित विभाग व जिले के आधा अधिकारियो को न हो सभी को ग्रामीण पेयजल समस्या से अवगत करा चुके है लेकिन क्यो यहा ग्रामीणो को शुध्द पेयजल उपलब्ध कराने शासन प्रशासन ध्यान नही दे रही समझ से परे है .

ग्रामीणो मे अपने किमती वोटो से चुने हूए जनप्रतिनिधियो के प्रति काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है क्योकि समस्या से कई बार सांसद विधायक व अन्य जनप्रतिनिधियो को भी अवगत करा चुके है लेकिन समस्या का अब तक समाधान नही हो पाया ग्राम फरसरा के ग्रामीणों ने बताया इन ग्रामों की जनसंख्या 830 के आसपास है और यहा विशेष पिछडी कमार जनजाति के लोग भी निवास करते है गांव मे कहने को तो इन ग्रामों में एक दर्जन से ज्यादा हेडपमप है जिसमें आधा हेडपम्प खराब पडे हुए है और जो हेडपम्प चालू है उसमेें आयरन युक्त लाल पानी निकलने के कारण मजबूरन ग्रामीणों को झरिया का पानी उपयेाग करना पड रहा है, हेडपम्प से जो पानी निकल रहा है वह बेहद आयरन युक्त लाल पानी है पानी को निकालने के बाद वह लाल हो जा रहा है जिसमे खाना बनाना तो दुर नाहने वालो की शरीर काला हो जा रहा है और कई ग्रामीण जो इन हेडपम्पो के पानी का उपयोग कर रहे है, यह गांव बेहद पेयजल संकट से जुझ रही है गांव से दो किलोमीटर दुर पैरी नदी मे झरिया खोदा गया जहा सुखी नदी से रेत को हटाकर पानी की व्यवस्था सुबह 4 बजे से दोपहर तक ग्रामीण करते रहते है तब कही जाकर पीने के लिए पानी की व्यवस्था हो पाती है, ग्रामीण महिला गायत्री, रमुला, जानकी, यशोदा बाई ,बिमला बाई, पंन्कीन बाई, राधिका बाई और परमिला ने  संवाददाता को बताया जंगल के भीतर गांव से दुर नदी है जहा अकेले पानी लाने के लिए जा भी नही सकते महिलाओ को समुह के साथ पानी के लिए जाना पडता है सुबह से दोपहर तक सिर्फ पानी के लिए झरिया मे भीड लगी रहती है।

बारिश में सुखे कुआ में भरा पानी ग्रामीणो को मिली राहत

ग्राम फरसरा में कुआ पुरी तरह सुख चुका था, इसके चलते ग्रामीणों को गांव के वरिष्ठ नागरिक रोशन रौठार के घर के कुअें से पानी की व्यवस्था करना पड रहा था, साथ ही झरिया से पानी लाना इनकी मजबूरी है, सबसे ज्यादा बुरी स्थिति ग्राम छिन्दौला, धोबीपारा, लूठापारा, डडईपानी की है यहा के कमार जनजाति के लोगो को झरिया के पानी से ही पीने की पानी की व्यवस्था करना पड रहा है।

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पी.एच ई विभाग के अधिकारियाें ने सौर उर्जा से नल जल संचालित करने का कई बार दे चुके है आश्वासन

शासन प्रशासन ने इन ग्रामो में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए हेडपम्प खनन करवाया है लेकिन यह के पत्थरीली ईलाका होने के कारण हेडपम्पो का पानी लाल रंग का आयरन युक्त निकल रहा है यह समस्या अभी का नही है यह पिछले चार पांच वर्षो से बनी हुई है और लगातार ग्रामीण इसकी जानकारी जिला के अधिकारियों व पी.एच.ई विभाग के अधिकारियों से करते आ रहे है हर बार पीएची विभाग के अधिकारी इन ग्रामो में पहुंचे है बकायदा ग्राम के हेडपम्पों का निरीक्षण भी करते है और ग्रामीणो को पिछले चार पांच वर्षो से आश्वासन देते आ रह है कि इन ग्रामों में सौर उर्जा संचालित होने वाले नल जल प्रारंभ किया जायेगा जिससे हेडपम्पों से लगातार पानी निकलते रहने से साफ पानी और शुध्द पेयजल लोगो को मिलेगी लेकिन पिछले चार पांच वर्षो में पीएची विभाग द्वारा सिर्फ कार्ययोजना ही बनाया जा रहा है जमीनी स्तर पर ग्रामीणों को शुध्द पेयजल उपलब्ध कराने अब तक कोई ठोस पहल नही किया गया है ।

क्या कहते है सरपंच

ग्राम पंचायत दबनई के सरपंच धनसाय नागेश ने news24 कैरेट संवाददाता को बताया कि ग्राम पंचायत दनबई, के आश्रित ग्राम फरसरा, छिन्दौला, लूठापारा, धोबीपारा, डडईपानी, लेडीबाहर की जनसंख्या लगभग 830 के आसपास है यहा विशेष पिछडी कमार जनजाति के लोग बडी संख्या में निवास करते है और इन ग्रामो में शासन द्वारा हेडपम्प तो लगाया है लेकिन हेडपम्मों से लाल आयरन युक्त पानी निकलने के कारण ग्रामीण झरिया का पानी पीने मजबूर हो रहे है, कई बार इस समस्या से जिला प्रशासन, और क्षेत्र के विधायक, सांसद तक को समस्या से अवगत करा चुके है, हर बार इस गांव में पीएई विभाग द्वारा सौर उर्जा से संचालित होने वाले पेयजल योजना प्रारंभ करने की बात कही जाती है, लेकिन अब तक नही लगाने से लोग खासकर गर्मी के दिनो में दो से तीन किलोमीटर पैदल नदी तक पहुंचकर झरिया का पानी पीने मजबूर होते है, सरपंच श्री नागेश ने बताया कि अभी चार पांच दिनाें से लगातार हुई बारिश के कारण गांव के कुआ में थोडा पानी भर गया है अब लोगो को इससे काफी राहत मिल रही है, तो वही गांव में एक हेडपम्प में मोटर पम्प लगाया गया है, जो लो वोल्टेज के कारण नही चल पाता लेकिन छिन्दौला, लूठापारा, धोबीपारा, डडईपानी में पेयजल को लेकर भारी दिक्कत है उन्होने कहा कि कई बार इस समस्या से अवगत करा चुके है।

 

क्या कहते है ग्राम पंचायत के सचिव

ग्राम पंचायत दबनई के सचिव संजय राजपुत ने बताया कि गांव में हेडपम्प तो है लेकिन आयरन युक्त लाल पानी निकलने के कारण ग्रामीण इसका उपयोग नही करते, गर्मी के दिनो में ग्राम पंचायत द्वारा सुखे नदी में एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर झरिया खोदवाकर लेागो के लिए पानी की व्यवस्था किया गया था।

 

क्या कहते है अधिकारी

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सबइंजीनियर गोपाल ध्रुव ने  संवाददाता को बताया कि ग्राम फरसरा में छिन्दौला, लूठापारा, धोबीपारा में पर्याप्त हेडपम्प है लेकिन हेडपम्पों से आयरन युक्त पानी निकल रहा है, यहा आयरन युक्त पानी को फिल्टर करने के लिए सौर उर्जा से पेयजल सप्लाई के लिए कार्ययोजना बनाकरं शासन स्तर पर भेजा जा चुका है स्वीकृत होने पर कार्य प्रारंभ किया जायेगा जिससे ग्रामीणो को सुविधा मिलेगी।

Pradesh Khabar

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