
केंद्रीय मंडल कारा मेदिनीनगर मैं होता है कैदियों का सोशन भरपेट भी नहीं मिलता है भोजन कैदी की जुबान
Medninagar plamu
जेल की ऊंची ऊंची दीवारों में दब कर रह गई कैदियों की आवाज****हालात केंद्रीय कारा प्रमंडल डाल्टेनगंज मेदनीनगर कोइड कोरोंटांव सेंटर के नाम पर भेड़ बकरियों जैसा रखा जाता है आने वाले कैदियों को कैदियों को नहीं मिलती है भरपेट खाना सब्जी और दाल के नाम पर होती है सिर्फ खानापूर्ति कैदियों का जो डेट्स है नहीं मिलता है उन लोगों को पर्याप्त भोजन जेल मेनाऊ डेट्स का भी पालन नहीं किया जाता है पतली दल और पतली झोर सब्जी मिलती है कैदियों को अगर आप भात चावल सब्जी को एक जगह रखें तो एक प्लेट में तो दाल अलग बहती है सब्जी अलग बहती है अगर आपको दूसरे वार्ड जाना है तो देना पड़ेगा 500 से 1000 रुपए कैदियों के आने वाले पैसों में भी होती है कटौती ₹1000 अगर कैदियों का आ रहा है तो 250 ₹कटेगा जेल के कैदी के दलाल के दुवारा कैंटीन मैं होती है मनमानी वसूली अगर आपके पास पैसे हैं आप पकड़ सक्षम है तो 200 देने के लिए तो आप जेल जेल के स्टडी में दो कॉल डेली बात कर सकते है वहां के जमादार चलाते हैं अपनी मनमानी पैसे और रसूखदार ओ के लिए होती है मनमानी वार्ड वीआईपी खाना और वीआईपी बेड के नाम पे होती है अवैध वसूलीइतना ही नहीं जेल अधीक्षक जितेंद्र कुमार के द्वारा माननीय राज्य सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भी पुराने बंदी जो पिछले साल पैरोल पर मुक्त
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थे सिर्फ उन्हीं 28 कैदियों को छोड़कर बाकी नए सजा बार बंदी जो पैरोल का अहर्ता पूरा करते थे उन लोगों को अभी तक मुक्त नहीं किया गया है इसके अलावा जेल अधीक्षक की मनमानी यहीं पर नहीं रुकती है पलामू जेल में बंद सजा बार बंदी जिनको पूर्व के अधीक्षक के द्वारा 105 दिन परिहार दिया जाता था जब से जितेंद्र कुमार अधीक्षक आए हैं इनके द्वारा मात्र 70 दिन परिहार दिया जा रहा है एवं कारा महानिरीक्षक का भी परिहार मंगाया नहीं जा रहा है एवं जहां तक मुझे ज्ञात है जेल मैनुअल में अभी तक किसी प्रकार का कोई संशोधन नहीं हुआ है एवं नया जेल मैनुअल भी नहीं बना है तो सजा वार बंधुओं के साथ यह अत्याचार क्यों मैं पप्पू तिवारी मेरा ओपन जेल जाने का प्रस्ताव पूर्व के अधीक्षक के द्वारा बढ़ा दिया गया था जिसके आलोक में जिला जज गढ़वा के द्वारा मेरे बारे में ओपिनियन कारा अधीक्षक को भेज दिया गया है इसके बावजूद भी पलामू एसपी एवं उपायुक्त के साथ मीटिंग नहीं करते मेरा काम पेंडिंग रखे हुए हैं इसके बाद सजा बार बंधुओं को जो बंदी पारस मिक मिलता है वह भी नवंबर माह के बाद अभी तक 2020 के दिसंबर माह से लेकर अभी वर्तमान तक हम लोगों का बंदी पारिश्रमिक भी नहीं दिया गया है जबकि जेल के अकाउंट में पैसा आकर पड़ा हुआ है मगर इनके द्वारा लगातार नए हथकंडे अपनाकर शोषण किया जा रहा है मुझे जब ओपन जेल नहीं भेजना था तो यह प्रक्रिया क्यों अपनाई गई एवं कारा अधीक्षक के द्वारा जेल के सुरक्षा में जो हथियार सरकार द्वारा मुहैया कराए गए हैं वह हथियार लेकर कारा अधीक्षक अपने निजी काम से विभिन्न शहरों एवं विभिन्न राज्यों में मैं भ्रमण करते रहते हैं कारा सुरक्षा में मुहैया सुरक्षाकर्मियों को भी अपना निजी बॉडीगार्ड बनाकर आउट ऑफ स्टेशन लेकर जाते रहते हैं यह इनके पर एवं पावर का दुरुपयोग करना हो सकता है इन पढ़े-लिखे अपराधियों से समाज को बचाएं जेल में अपराधी बंद हैं इस बात का बाहरी दुनिया में जॉब भ्रम फैला हुआ है उसका लाभ कारा अधीक्षक पूरे झारखंड के जेलों में बंदियों पर व्यय की जाने वाली राशि थोड़ी बहुत खर्च कर ज्यादा से ज्यादा राशि सिर्फ कागज कलम पर दिखाकर लगभग 70 लाख रुपया प्रतिमा कारा अधीक्षक को नाजायज़ आए होता है कारा अधीक्षक जितेंद्र कुमार के द्वारा पटना में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कराया जा रहा है इनके पास इतनी मोटी रकम लगभग कमोबेश झारखंड के सभी जिला अध्यक्ष एवं जिला की पॉपुलेशन के आधार पर एक मोटी एवं गाड़ी कमाई प्राप्त होती है यह समाज के सबसे बड़े क्रिमिनल से इन पढ़े लिखे लिखे क्रिमिनल लॉ से समाज को कैसे बचाया जाए माननीय मुख्यमंत्री जी एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश लोगों से नम्र निवेदन है कि पढ़े-लिखे अपराधियों से अशिक्षित अपराधियों पर हो रहे शोषण को कैसे बंद किया जाए मैं इसका जीता जागता उदाहरण हूं मैं कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 90 दिनों के लिए पैरोल पर अपने घर आया हूं इतना ही नहीं बंदियों को साबुन तेल बर्तन धोने का साबुन साप्ताहिक मीट एवं शाकाहारी लोगों को साप्ताहिक पनीर एवं प्रतिदिन दही पापड़ चटनी अचार यह सभी चीजें दो-दो दिन पर बदल बदल कर देना है मगर यह सब सभी चीजें कागज में दिया जाता है बदले में रकम भी दिया दिखा दिया जाता है मगर बंधुओं को मिलता नहीं है आखिर अपराधी बंद हैं इसका लाभ पढ़े-लिखे अपराधी कब तक उठाते रहेंगे माननीय सीएम महोदय से अनुरोध है कि वहां पर बंद बंदियों से अगर पूछताछ करेंगे तो कोई भी बंदी कुछ नहीं बोलेगा क्योंकि उसे जेल में ही रहना है और अगर वह बोल देगा तो उसे अनेक तरह का हथकंडा अपनाकर प्रताड़ित किया जाएगा एवं उसे अन्यत्र जेलों में आरोप लगाकर स्थानांतरित भी कर दिया जाएगा पेट तो काट ही रहा था जीवन भी काट रहा है परिहार नहीं देगा तो समय पर बंदी मुक्त नहीं होंगे आखिर हम सब बंधुओं पर हो रहे अत्याचार पर हमारे युवा मुख्यमंत्री से उम्मीद है एवं माननीय युवा मंत्री जी से भी अनुरोध है की हम लोगों के अनुरोध पर विचार करते हुए एक ठोस एवं गुप्त तरीके से कार्रवाई करने की आवश्यकता है जिससे अपराधियों की शिनाख्त हो सके और जुल्म करने वालों का अंत हो सके । निवेदक अनुरोध करता पप्पू तिवारी ग्राम हनुमान नगर जिला गढ़वा राज्य झारखंड दिनांक 13 8 2021 को अनुरोध पत्र समर्पित