छत्तीसगढ़राज्यरायपुर

आयुर्वेद से रखें बच्चों की सेहत का ख्याल

रायपुर : आयुर्वेद से रखें बच्चों की सेहत का ख्याल

WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 6.10.42 PM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 6.30.06 PM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 6.53.54 PM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 6.35.56 PM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 7.00.17 PM
WhatsApp Image 2025-08-09 at 7.56.08 PM (1)

कुपोषण से बचाव के लिए विदारीकंद, अश्वगंधा, शतवारी चूर्ण, कुष्माण्ड रसायन लाभकारी

रायपुर. 9 मार्च 2022

पूरी दुनिया बाल स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील और गंभीर है। बच्चों को कुपोषण और विभिन्न रोगों से बचाने शासन स्तर पर व्यापक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। समुचित टीकाकरण सहित उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं। प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में नवजात शिशु से लेकर किशोरों की स्वास्थ्य सुरक्षा और रोगोपचार के व्यापक परामर्श मौजूद हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता ही स्वास्थ्य का मूल आधार है। इसलिए आयुर्वेद पद्धति में मुख्य रूप से बच्चों की इम्युनिटी को बढ़ाने और उनकी मेधाशक्ति को विकसित करने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार तथा औषधियों के साथ अंग मालिश व व्यायाम को प्रमुखता दी गई है।

बजट में सभी वर्ग के लोगों का हित समाहित: वन मंत्री मोहम्मद अकबर

बच्चों में खांसी, सर्दी- जुकाम जैसे मौसमी बीमारियों में आयुर्वेद है कारगर

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर के सहायक प्राध्यापक डॉ. लवकेश चंद्रवंशी ने बताया कि आयुर्वेद के आठ अंग यानि अष्टांग आयुर्वेद में बाल रोग (कौमारभृत्य) विशिष्ट शाखा है जिसमें नवजात शिशु से लेकर बढ़ते बच्चों के खान-पान, स्वास्थ्य रक्षा, माता का स्वास्थ्य, स्तनपान, शारीरिक व मानसिक विकृति, संक्रमण जन्य रोगों से बचाव और उपचार की विशद व्यवस्था उपलब्ध है। डॉ. चंद्रवंशी ने बताया कि बच्चों में होने वाले सामान्य मौसमी रोग जैसे खांसी, सर्दी-जुकाम के लिए आयुर्वेद पद्धति में सितोपलादी चूर्ण, हरिद्राखंड, बालचतुर्भद्र चूर्ण, शुंठी चूर्ण इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार चर्म रोगों में गंधक रसायन, आरोग्यवर्धनी वटी, रसमाणिक्य, मरिच्यादि तेल तथा मेधाशक्ति के विकास के लिए ब्राम्हीवटी, वचाचूर्ण, सारस्वतारिष्ट, कल्याणक घृत का प्रयोग किया जाता है। बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए विदारीकंद, अश्वगंधा, शतवारी चूर्ण, कुष्माण्ड रसायन एवं इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वर्णप्राशन, च्यवनप्राश, गिलोय, दालचीनी, मारिच का वर्णन है। इन आयुर्वेदिक औषधियों और रसायनों को आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श और निगरानी में ही लेना चाहिए, अन्यथा नुकसानदायक हो सकता है। डॉ. चंद्रवंशी ने बताया कि शासकीय आयुर्वेद कॉलेज रायपुर में इस विशिष्ट शाखा में स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध कार्य भी हो रहे हैं। महाविद्यालय स्थित चिकित्सालय में बाल स्वास्थ्य और बाल रोगों के चिकित्सा परामर्श के लिए नियमित ओपीडी का भी संचालन हो रहा है जिससे सैकड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

राज्यपाल से छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने मुलाकात की

डॉ. चन्द्रवंशी ने बताया कि कोविड लॉक-डाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा है। स्कूल इत्यादि लगातार बंद होने तथा लगातार घरों में रहने के कारण बच्चे जहाँ मोटापाजन्य रोगों का शिकार हुए हैं, वही चिड़चिड़ापन, भय, गुस्सा जैसे मानसिक विकारों से भी ग्रस्त हुए हैं। इन सभी विकारों को दूर करने का प्रभावी उपाय आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में है। अभिभावक इस पद्धति में बताए गए उपायों को बच्चों की दिनचर्या में शामिल करते हैं तो बच्चे न केवल शारीरिक व मानसिक रोगों से दूर रहेंगे, वरन उनकी बुद्धि भी कुशाग्र होगी।

मुख्यमंत्री ने जेएसपीएल फाउंडेशन द्वारा निर्मित दो चिल्ड्रन होम का किया वर्चुअल लोकार्पण

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)
WhatsApp Image 2025-08-07 at 11.02.41 AM

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!