
विश्व जल दिवस: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का जल संरक्षण पर जोर, प्रदेशवासियों से जागरूकता बढ़ाने की अपील
विश्व जल दिवस: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का जल संरक्षण पर जोर, प्रदेशवासियों से जागरूकता बढ़ाने की अपील
रायपुर, 21 मार्च 2025 – जल ही जीवन है, और इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। विश्व जल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों से जल संरक्षण को एक जनआंदोलन का रूप देने की अपील की। उन्होंने कहा कि जल का सतत प्रवाह ही जीवन की निरंतरता का आधार है और इसे बचाना हम सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।
जल संकट और इसकी चुनौती
आज पूरा विश्व जल संकट की ओर बढ़ रहा है। भारत जैसे देश में, जहाँ विशाल आबादी की जल पर निर्भरता अत्यधिक है, वहाँ जल संरक्षण न केवल एक आवश्यकता है बल्कि यह भावी पीढ़ियों के अस्तित्व से भी जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बढ़ती जनसंख्या, अनियंत्रित जल दोहन और जल स्रोतों के प्रदूषण के कारण जल संकट विकराल रूप ले रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें जल की हर बूँद को बचाने का संकल्प लेना होगा।
विश्व जल दिवस प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जल के महत्व और इसके संरक्षण की आवश्यकता के प्रति जनजागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष की थीम “जल की सुरक्षा, भविष्य की सुरक्षा” है, जो यह दर्शाती है कि जल को सहेजना हमारे आने वाले कल के लिए कितना जरूरी है।
छत्तीसगढ़ सरकार की जल संरक्षण पहलों पर विशेष ध्यान
छत्तीसगढ़ सरकार ने जल संरक्षण को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है और इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएँ लागू की हैं। राज्य में जल संसाधनों के पुनर्जीवन, जल प्रदूषण नियंत्रण और जनभागीदारी के माध्यम से जल संचय को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने जल संरक्षण से संबंधित कई अभियानों को प्रोत्साहन दिया है, जिसमें स्थानीय स्तर पर लोगों को जल प्रबंधन में भागीदार बनाया जा रहा है।
राज्य में जल संरक्षण की दिशा में उठाए गए कुछ प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
जल-जगार महोत्सव – धमतरी जिले में आयोजित यह कार्यक्रम जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने की एक अभिनव पहल थी। इस महोत्सव में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी रही और लोगों ने जल बचाने के संकल्प लिए।
नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम – प्रदेश में सूख रही नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
गांवों में जल संचय परियोजनाएँ – जल संग्रहण के लिए चेक डैम, तालाबों की खुदाई और वर्षा जल संचयन योजनाओं को बढ़ावा दिया गया है।
शहरी जल प्रबंधन – शहरी क्षेत्रों में जल पुनर्चक्रण (रीसाइक्लिंग) और अपशिष्ट जल उपचार (वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट) की दिशा में ठोस कदम उठाए गए हैं।
जल संकट से बचाव के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए सरकार के प्रयासों के साथ-साथ आम जनता की भी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जल की बर्बादी रोकने और इसके विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा में सभी को व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें कुछ आदतें विकसित करनी होंगी, जैसे:
नल का पानी बेवजह न बहने देना।
वर्षा जल संचयन को अपनाना।
जल पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
खेतों में जल-संरक्षण तकनीकों का उपयोग करना।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जहाँ लोगों ने मिलकर जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय कार्य किए हैं। उदाहरण के लिए, बस्तर के एक गाँव में किसानों ने मिलकर पारंपरिक जल संग्रहण तकनीकों को पुनर्जीवित किया, जिससे उनके खेतों की सिंचाई बेहतर हुई और जल संकट कम हुआ। इसी तरह, दुर्ग जिले में एक नगर पंचायत ने वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग की मिसाल पेश की है।
भविष्य की जल सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि जल संरक्षण को लेकर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में जल संकट और भी गंभीर हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए सरकार ने दीर्घकालिक रणनीतियाँ बनाई हैं। इनमें शामिल हैं:
सतही जल संसाधनों की सुरक्षा – नदियों, तालाबों और झीलों के संरक्षण पर विशेष जोर।
भूजल स्तर को बनाए रखना – जल रिचार्जिंग तकनीकों का अधिकाधिक उपयोग।
सख्त जल संरक्षण कानून – औद्योगिक और शहरी जल अपव्यय को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियम।
शिक्षा और जनजागरूकता अभियान – स्कूलों, कॉलेजों और पंचायतों में जल संरक्षण की अनिवार्यता पर जागरूकता कार्यक्रम।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया कि हम सभी को जल की हर बूँद को सहेजने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है, बल्कि इसमें जनता की भागीदारी भी उतनी ही आवश्यक है। उन्होंने सभी से संकल्प लेने का आग्रह किया कि हम जल का विवेकपूर्ण उपयोग करेंगे, इसे बचाने के उपाय अपनाएंगे और भविष्य की पीढ़ियों के लिए जल-समृद्धि का उपहार छोड़ेंगे।
“यदि हम आज जल नहीं बचाएंगे, तो कल जीवन को बचाना कठिन हो जाएगा। जल बचाएँ, जीवन बचाएँ!”