
आदित्य ठाकरे बोले – 26/11 की जगह पर ही तहव्वुर राणा को दी जाए फांसी
शिवसेना (यूबीटी) विधायक आदित्य ठाकरे ने मांग की कि आतंकवादी तहव्वुर राणा को मुंबई के उसी चौराहे पर फांसी दी जाए जहां 26/11 हमला हुआ था। पढ़ें पूरी खबर।
आदित्य ठाकरे का बड़ा बयान: “26/11 की जगह पर ही दी जाए तहव्वुर राणा को फांसी”, मुंबई हमलों को लेकर जताई नाराज़गी
रिपोर्ट: प्रदेश खबर डिजिटल टीम | दिनांक: 12 अप्रैल 2025 | स्थान: मुंबई
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने एक बार फिर 26/11 मुंबई आतंकी हमलों को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए देशभर में चर्चा छेड़ दी है। उन्होंने सार्वजनिक मंच से यह मांग की है कि आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा को मुंबई के उसी चौराहे पर फांसी दी जाए जहां 2008 में भीषण आतंकी हमला हुआ था।
आदित्य ठाकरे ने यह बयान एक स्थानीय कार्यक्रम में नागरिकों और मीडिया को संबोधित करते हुए दिया। उनका कहना था कि यह न केवल आतंकियों के लिए एक कड़ा संदेश होगा, बल्कि उन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी जिन्होंने अपनी जान देकर देश को बचाया।
क्या कहा आदित्य ठाकरे ने?
अपने बयान में आदित्य ठाकरे ने कहा –
“मैंने पहले भी कहा था और आज फिर दोहराता हूं – आतंकवादी तहव्वुर राणा को मुंबई के एक सार्वजनिक चौराहे पर फांसी दी जानी चाहिए, ठीक उसी जगह जहां 26/11 का हमला हुआ था। यह एक प्रतीकात्मक और निर्णायक कार्रवाई होगी जो देशवासियों की भावनाओं को सम्मान देगी और यह संदेश देगी कि भारत अपने शहीदों को भूलता नहीं।”
आदित्य ठाकरे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। उनके इस कड़े और भावनात्मक रुख को आम जनता से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक ने गंभीरता से लिया है।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर हुसैन राणा एक पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसे अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को मदद देने, फर्जी वीजा और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। 26/11 हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली के साथ उसके गहरे संबंध रहे हैं। हेडली ने जांच एजेंसियों के समक्ष दिए अपने बयानों में यह स्वीकार किया है कि राणा ने उसे भारत में सर्वेक्षण और लॉजिस्टिक सपोर्ट मुहैया कराया था।
भारत सरकार कई वर्षों से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है। फिलहाल अमेरिका की एक अदालत ने उसके भारत प्रत्यर्पण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया अभी जारी है।
ठाकरे के बयान के मायने: एक प्रतीकात्मक संदेश या राजनीतिक दबाव?
आदित्य ठाकरे का यह बयान केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक मांग है जो भारत के आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता के रुख को दर्शाती है। उन्होंने जनता की उस पीड़ा को स्वर दिया है, जो 26/11 जैसे जख्मों को अब भी सीने में समेटे हुए है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे का यह बयान आगामी लोकसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में भी अहम है। शिवसेना (यूबीटी) लगातार खुद को राष्ट्रवादी और जनभावनाओं के प्रति संवेदनशील दल के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है।
26/11 हमला: भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आतंकी हमला
26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समंदर के रास्ते भारत में घुसपैठ कर ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले में कुल 166 लोग मारे गए थे और 300 से ज्यादा घायल हुए थे। यह हमला न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चौंकाने वाला क्षण था।
एकमात्र जीवित पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब को भारतीय न्याय प्रणाली के तहत मुकदमा चलाकर 2012 में फांसी दी गई थी। लेकिन इस हमले के कई मास्टरमाइंड पाकिस्तान में खुलेआम घूमते रहे हैं।
शहीदों को न्याय दिलाने की मांग
आदित्य ठाकरे ने अपने बयान में मुंबई पुलिस और एनएसजी के उन जवानों का भी उल्लेख किया जिन्होंने 26/11 हमलों के दौरान अदम्य साहस दिखाते हुए कई निर्दोष लोगों की जान बचाई। उन्होंने कहा,
“26/11 का हमला केवल मुंबई पर नहीं, पूरे भारत की आत्मा पर हमला था। आज जब तहव्वुर राणा जैसे आतंकियों को सजा दिलाने का मौका हमारे पास है, तो हमें उसे केवल कानूनी प्रक्रिया के तहत ही नहीं, बल्कि जनभावनाओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए।”
जनता और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
आदित्य ठाकरे के इस बयान पर विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।
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बीजेपी नेता आशीष शेलार ने कहा, “आदित्य ठाकरे की भावना सही है, लेकिन न्याय प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान भी जरूरी है।”
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने भी इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि शहीदों को सम्मान देने का यही समय है।
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सामान्य जनता में खासकर सोशल मीडिया पर आदित्य ठाकरे के बयान को समर्थन मिल रहा है। ट्विटर और कू जैसे प्लेटफॉर्म पर #JusticeFor2611 और #TahawwurRana को लेकर ट्रेंड शुरू हो गया है।
क्या यह मांग व्यावहारिक है?
विधायक आदित्य ठाकरे की भावनाएं चाहे जितनी भी सही हों, लेकिन कानूनी जानकार मानते हैं कि ऐसी किसी भी सार्वजनिक फांसी की संभावना बेहद कम है। भारत का संविधान और न्याय व्यवस्था मृत्युदंड को “दुर्लभतम से दुर्लभ” मामलों के लिए सुरक्षित रखती है और वह भी गोपनीयता और गरिमा के साथ।
हालांकि, इस मांग ने आतंकवाद के खिलाफ जनभावनाओं को फिर से उभार दिया है और यह एक बार फिर 26/11 के घावों को ताजा कर गया है।
आदित्य ठाकरे का यह बयान भले ही कानूनी प्रक्रिया की सीमा में न आता हो, लेकिन यह जनता की आवाज़ को बुलंद करता है। मुंबई और भारतवासी आज भी 26/11 हमले को भूले नहीं हैं, और तहव्वुर राणा जैसे दोषियों को सज़ा दिलाना न्याय की एक आवश्यक कड़ी है।
अब देखना यह है कि भारत सरकार अमेरिका से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को कितनी तेजी से आगे बढ़ाती है, और क्या आदित्य ठाकरे की भावनात्मक अपील किसी ठोस कार्रवाई में तब्दील होती है।










