
डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती विशेष: संघर्ष, समर्पण और संविधान के शिल्पी को श्रद्धांजलि
डॉ. अंबेडकर की जयंती पर एक प्रेरणादायक लेख — जिसमें उनके जीवन के अनसुने प्रसंग, सामाजिक समानता के लिए किए गए संघर्ष और आज के समाज में उनकी प्रासंगिकता को उजागर किया गया है। पढ़िए उनके विचारों और छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं से जुड़ी यह विशेष रिपोर्ट।
(14 अप्रैल जयंती पर विशेष)
“जो समाज पिछड़ा हुआ है, उसका नेता अगर सो जाएगा तो वो समाज कैसे आगे बढ़ेगा” — डॉ. अंबेडकर
लेखक: छगन लोन्हारे, उपसंचालक
सामाजिक समानता के अग्रदूत और भारतीय संविधान के शिल्पकार भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन प्रेरणा का अद्वितीय स्रोत है।
विदेशी पत्रकारों के बीच का प्रसंग
एक बार विदेशी पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत भ्रमण पर आया। जब वे बाबा साहेब के नई दिल्ली स्थित निवास पर पहुँचे, तब आधी रात को उन्हें डॉ. अंबेडकर अपने अध्ययन कक्ष में पढ़ते हुए मिले। पत्रकारों ने आश्चर्यचकित होकर पूछा—“हम अन्य नेताओं से मिलने गए तो वे आराम कर रहे थे, आप इतनी रात को भी जाग रहे हैं, क्यों?”
बाबा साहब का जवाब था:
“वे इसलिए सो रहे हैं क्योंकि उनका समाज जागा हुआ है। लेकिन जो समाज पिछड़ा हुआ है, उसका नेता अगर सो जाएगा तो वह समाज कैसे आगे बढ़ेगा?”
संविधान निर्माता की महानता
भारत रत्न डॉ. अंबेडकर ने भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों की ऐसी व्यवस्था की है, जो विश्व में अद्वितीय है। उनका पूरा जीवन कर्मयोग की मिसाल है। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से शोषितों और दलितों का उद्धार कर अपने संकल्प को पूरा किया।
शिक्षा का महत्व
बाबा साहब कहा करते थे:
“शिक्षा उस शेरनी के दूध के समान है, जो पियेगा वो दहाड़ेगा।”
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बाबा साहेब के सपनों को साकार करने की पहल
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए सक्रिय है:
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महतारी वंदन योजना के अंतर्गत महिलाओं को हर माह ₹1000 की सहायता।
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यूपीएससी होस्टल, नई दिल्ली में युवाओं के लिए सीटें 50 से बढ़ाकर 200 की गईं।
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अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण का गठन।
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प्रदेश में 486 छात्रावासों में 23,228 विद्यार्थी अध्ययनरत।
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अंतर्जातीय विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत ₹2.5 लाख की सहायता।
दलित चेतना के पुरोधा
डॉ. अंबेडकर का जन्म भले ही एक निर्धन परिवार में हुआ हो, लेकिन उन्होंने शिक्षा, संघर्ष और आत्मबल के बलबूते संविधान निर्माता जैसे गौरवशाली पद तक का सफर तय किया।
वे केवल ज्ञान के आलोक में नहीं जले, बल्कि उन्होंने समाज को भी आलोकित किया। उनके विचारों की मूल भावना समरसता और मानवतावाद थी।
संविधान निर्माण में ऐतिहासिक योगदान
संविधान निर्माण का कार्य उन्हें सौंपा गया, तो उन्होंने न्याय, समता और बंधुत्व के सिद्धांत पर आधारित विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान तैयार किया। उनके इस अद्वितीय योगदान को मान्यता देते हुए कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें एल.एल.डी. की मानद उपाधि से सम्मानित किया।
संघर्ष और आत्मोद्धार का प्रतीक
डॉ. अंबेडकर कहते थे:
“स्वतंत्रता भीख में नहीं मिलती, उसे शक्ति और सामर्थ्य से प्राप्त करना होता है।”
उन्होंने अछूतों के उद्धार और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए जीवन भर संघर्ष किया। ‘मूकनायक‘ समाचार पत्र से उन्होंने नेतृत्व की शुरुआत की।
अंतिम विचार
उन्होंने स्वयं कहा था:
“लोग मुझे अभी नहीं समझ पाए हैं… एक दिन आएगा जब देश के लोग मुझे समझेंगे और सम्मान देंगे।”
आज वह समय आ गया है। डॉ. अंबेडकर का त्याग, समर्पण और उनके विचार आज भी समाज को दिशा दे रहे हैं।