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सुकमा : विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर सुकुलधर कर रहे कृषि कार्य : केला, आम, भुट्टा, मूंग की फसल से कमाते हैं अतिरिक्त आमदनी।

सुकमा : विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर सुकुलधर कर रहे कृषि कार्य : केला, आम, भुट्टा, मूंग की फसल से कमाते हैं अतिरिक्त आमदनी

सुकमा 27 मार्च2021छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा कृषकों के उत्थान के लिए अनेकयोजनाओं का संचालन किया जा रहा है, इन योजनाओं कालाभ लेकर कृषक उन्नतशील खेती कर रहे हैं। इसी कड़ी मेंसुकमा जिले के विकासखण्ड छिन्दगढ़ के ग्राम पाकेलापेदापारा निवासी कृषक सुकुलधर नाग ने आधुनिक कृषितकनीक और विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर समृद्धि कीओर बढ़े। प्रति वर्ष अपने 4 एकड़ कृषि भूमि में धान लगाने केअलावा अपने घर की बाड़ी से आमदनी कमा रहे हैं।

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डेढ़ एकड़ बाड़ी में करते हैं मिश्रित खेती
कृषक सुकुलधर ने बताया कि अपने डेढ़ एकड़ बाड़ी में हरसाल धान की फसल के अलावा अलग-अलग फसल लेते हैं,पिछले तीन चार वर्षों से उन्होंने केले की फसल ली, वहीं पिछलेसाल बुट्टा (मक्का) और इस वर्ष मूंग की फसल ले रहे हैं। इसकेअलावा वे मिर्ची, बैंगन, टमाटर आदि साग सब्जी भी लगाते हैं।डेढ़ एकड़ बाड़ी के साथ ही सुकुलधर के पास छोटी डबरी भीहै, जिसमें वे मछली पालन करते है। वहीं घर के मवेशियों औरमुर्गियां भी उनके अतिरिक्त आय का स्त्रोत है। उन्होंने सिंचाईसुविधा के लिए कृषि विभाग से अनुदान पर विद्युत पंप बोर एवंक्रेडा विभाग से सौर सुजला योजना से सोलर पंप के साथ ड्रीपसिंचाई स्थापित कराया है। सुकुलधर की बाड़ी में करीब 15आम के पेड़ हैं, जिससे उन्हें सालाना 20 हजार तक की आयहोती है। वहीं चार नारियल के पेड़ भी है, नारियल को वहस्थानीय बाजार और दुकानों में विक्रय कर लगभग 10 से 15हजार कमाते है। हर सप्ताह शनिवार के दिन स्थानीय बाजार मेंअपनी बाड़ी में उगाई साग सब्जी बेचकर वे अच्छी आमदनीप्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि बाड़ी से वे हर वर्ष 40 से 50हजार की अतिरिक्त आय अर्जित कर लेते है।

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गोधन न्याय योजना से हुए प्रोत्साहित
कृषक सुकुलधर ने बताया कि उनके पास करीब 10 गाय है।गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने से पूर्व वे घर के मवेशियों का गोबर का प्रयोग कण्डे के रूप में किया करते थे। जिससे उनकोकोई खास आय नहीं होती थी। फिर राज्य शासन कीमहत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना अंतर्गत पाकेलागोठान से उन्होंने लगभग 50 किलो वर्मी कम्पोस्ट क्रय करउसका उपयोग बाड़ी में किया जिससे भूमि की उर्वरता क्षमता मेंसुधार हुआ और फसलों की अच्छी पैदावार होने लगी। इससेप्रभावित होकर स्वयं वर्मी कम्पोस्ट निर्माण करने लगे एवं स्वयंके कृषि कार्य हेतु इस खाद का उपयोग किया। जिससे फसलोंकी लागत में कमी हुई साथ ही मिट्टी की दशा में सुधार हो रहाहै। स्वयं द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर सुकुलधरने अपनी बाड़ी में इस वर्ष मूंग की फसल लगाई। कृषि विभागद्वारा समय-समय पर तकनीकी सुझाव कृषक को आधुनिककृषि प्रणाली की जानकारी मिलती रहती है। जिससे सुकुलधरके साथ-साथ ग्राम के अन्य कृषक भी विभागीय योजनाओं कालाभ लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे है।

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Haresh pradhan

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