
पीएम-जनमन योजना से साकार हुआ सुभौतिन का पक्के घर का सपना, झोपड़ी से मिली मुक्ति
गरियाबंद जिले की विशेष पिछड़ी जनजाति की विधवा महिला सुभौतिन कमार को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत पक्का घर मिला। झोपड़ी छोड़ अब वह अपने नाती के साथ नए मकान में रह रही हैं।
पीएम-जनमन योजना से साकार हुआ सुभौतिन का पक्के घर का सपना, झोपड़ी से मिली मुक्ति
गरियाबंद जिले की विशेष पिछड़ी जनजाति की विधवा महिला सुभौतिन कमार को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के तहत पक्का घर मिला। झोपड़ी छोड़ अब वह अपने नाती के साथ नए मकान में रह रही हैं।
गरियाबंद, 21 सितम्बर 2025। जिले के सुदूर अंचल में रहने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति की विधवा महिला श्रीमती सुभौतिन कमार के जीवन में प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) ने खुशियों का नया सवेरा ला दिया है। कल तक जो आंखें पक्की छत की आस में थीं, आज उन्हीं आंखों में अपने पक्के घर का सपना साकार होने की चमक है।
फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम पंचायत गुण्डरदेही अंतर्गत बम्हनदेही (नाचनबाय) में रहने वाली सुभौतिन अपने नाती के साथ मिट्टी और खपरैल की झोपड़ी में मुश्किल हालातों में गुज़ारा कर रही थीं। पति की मृत्यु के बाद दिहाड़ी मजदूरी ही उनके लिए जीवनयापन का सहारा थी। पक्का घर बनाना उनके लिए असंभव जैसा था।
ग्राम पंचायत सचिव के माध्यम से मिली जानकारी के बाद उन्हें पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत आवास निर्माण का लाभ स्वीकृत हुआ। उन्हें 2 लाख रुपये आवास निर्माण के लिए और मनरेगा के तहत 95 दिनों की मजदूरी के लिए 23,085 रुपये की राशि मिली। निर्माण कार्य रूरल मेसन ट्रेनिंग के मास्टर ट्रेनर की देखरेख में कराया गया। किश्तों में धनराशि मिलने से मकान निर्माण सुचारू रूप से पूरा हुआ।
आज सुभौतिन अपने नाती के साथ पक्के मकान में खुशी-खुशी रह रही हैं। उनकी आंखों में खुशी के आंसू हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पास इतने पैसे कभी नहीं थे कि मैं पक्का मकान बना पाती, लेकिन सरकार की इस योजना ने मेरा सपना साकार कर दिया।”
सुभौतिन की यह कहानी पीएम-जनमन योजना की सफलता और सरकार की अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की प्रतिबद्धता को उजागर करती है। इस पहल ने न केवल उन्हें झोपड़ी से मुक्ति दिलाई, बल्कि उनके जीवन में सम्मान और सुरक्षा की भावना भी लौटाई है।