
Vladimir Putin India Visit 2025: मोदी–पुतिन मुलाकात से भारत-रूस संबंधों में आएगी नई गर्माहट
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को लेकर दोनों देशों के बीच बड़े समझौतों की उम्मीद। अमेरिका और चीन की नजरें भी इस मुलाकात पर टिकी हैं।
मोदी–पुतिन मुलाकात: वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत-रूस संबंधों को नई दिशा देने वाला दौरा
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच लगाए गए कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा को एक बड़ा रणनीतिक कदम माना जा रहा है। चार साल बाद पुतिन दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचे, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पर स्वयं पहुंचकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
इस दौरे की खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन एयरपोर्ट से एक ही वाहन में निकले, जिसे आपसी विश्वास, सादगी और गहरे मित्रवत संबंधों का संदेश माना जा रहा है।
Ilyushin IL-96-300: पुतिन का ‘चलता-फिरता दफ्तर’
राष्ट्रपति पुतिन का विमान Ilyushin IL-96-300, जिसे दुनिया “Flying Office” के नाम से भी जानती है, अत्याधुनिक तकनीक से लैस है:
- लंबाई: 55.35 मीटर
- विंगस्पैन: 60.12 मीटर
- इंजन: 4 × Aviadvigatel PS-90A टर्बोफैन
- अधिकतम टेकऑफ भार: 250 टन
- क्रूज स्पीड: 900 किमी/घंटा
- क्षमता: 262 यात्री
- विशेष सुविधा: ऑटोमेटिक लैंडिंग सिस्टम
इस उड़ान को दुनिया में जबरदस्त रुचि मिली।
Flightradar24 के अनुसार, 45,349 लोगों ने इसे लाइव ट्रैक किया। रूस से भारत आने के लिए पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस भी खोला, जिसके जरिए विमान दिल्ली पहुंचा।
क्यों है यह यात्रा वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण?
यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव चरम पर है।
अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों की नजरें इस दौरे पर टिकी हैं।
अमेरिका की चिंता
- भारत की स्वतंत्र विदेश नीति
- रूस से ऊर्जा खरीद
- रक्षा साझेदारी
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
- भारत पर रूस से व्यापार कम करने का दबाव
हाल के महीनों में भारत–अमेरिका संबंधों में कुछ तनाव भी देखने को मिला है—
जिनमें शामिल हैं नई टैरिफ नीति, ऊर्जा मामलों में दबाव और रूस से आयात कम करने की अमेरिकी मांग।
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं।
मोदी–पुतिन वार्ता: किन मुद्दों पर होगी बड़ी डील?
द्विपक्षीय वार्ता अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मुख्य क्षेत्रों में समझौते की संभावना है:
🔹 रक्षा सहयोग
- संयुक्त उत्पादन
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
- नई पीढ़ी की हथियार प्रणालियाँ
🔹 ऊर्जा सुरक्षा
- कच्चे तेल और गैस की दीर्घकालिक आपूर्ति
- एटॉमिक ऊर्जा सहयोग
🔹 व्यापार और आर्थिक साझेदारी
- व्यापार संतुलन सुधार
- भारतीय निर्यात बढ़ाने के उपाय
- रूसी प्रतिनिधिमंडल के साथ व्यापारिक वार्ता
🔹 क्षेत्रीय सुरक्षा
- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नया रणनीतिक संतुलन
- बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में समन्वय
रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा है, इसलिए इसे और अधिक संवेदनशील और रणनीतिक माना जा रहा है।
मोदी–पुतिन की मुलाकात: भविष्य के लिए एक निर्णायक मोड़
यह दौरा केवल औपचारिकता नहीं है, बल्कि
भारत–रूस संबंधों के आने वाले दशक की दिशा तय करने वाला निर्णायक क्षण है।
भारत लगातार यह दोहरा रहा है कि वह अपने
स्वतंत्र विदेश नीति सिद्धांत पर अडिग है, और ऊर्जा, रक्षा व आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेता रहेगा।
मोदी–पुतिन की इस मुलाकात से वैश्विक समीकरणों में हलचल तेज होना तय है।











