
कोरोना का कहर: कोविड ने छीना इस परिवार की कमाऊ युवती को, पिता ने कहा बेटी स्कूल में स्वीपर थी घर का खर्च चलाती थी, मौत के बाद घर चलाने में हो रही दिक्कत
– नही हुआ इनका सर्वे, दस्तावेज में नही हुआ covid19 से मौत का उल्लेख, शासन के योजनाओं का कैसे मिलेगा लाभ
सुरजपुर। 25 सितम्बर 2021। कोरोना महामारी ने ना जाने कितने परिवार को बिखरा दिया, कितने बच्चों के ऊपर से माँ बाप का साया छीन लिया, कइयों की मौत अस्पतालों में हुई तो कई के मौत गावों में ही दबकर रह गई। सरकार पीड़ितों के परिजनों को लाभ पहुँचाने के लिए तमाम विभागों को अलर्ट करके रखी हुई है। तो वहीं कुछ परिवार ऐसे भी जिन्हें अंतिम संस्कार करने लिए पंचायत से मिलने वाली राशि तक उपलब्ध नही हो पाई।
कोरोना महामारी ने पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया बाकी का कसर खण्ड शिक्षा अधिकारी, स्कूल के शिक्षकों ने पूरा कर दी है। दरअसल जिले के भैयाथान विकाशखण्ड के ग्राम धर्तीपारा निवासी मृतक अजमेन प्रजापति जो कि परित्यागता थी। अपने पिता नंद लाल प्रजापति जाति कुम्हार जिसके 4 पुत्र है। जिसमें से 1 लड़का है जो शादी शुदा है। अपने जीवन यापन के लिए अम्बिकापुर के किसी निजी दुकान में कार्य कर रहा है। वहीं घर में एक छोटी बेटी जिसका नाम बिमला है 20 वर्ष की, एक और पुत्री है जिसकी शादी भटगांव में हुआ है। बेटी के ससुर ने जमीन पूरी बेच कर बेटी और दामाद को जमीन से बेदखल कर दिया है। अब बेटी अपने पापा के घर मे ही रहती है। एक बेटी परिताज्ञता थी जिसका नाम अजमेंन था जो कि स्वीपर थी। साथ में रह कर स्कूल से मिलने वाले तनख्वाह की राशि और बाकी समय मजदूरी करके घरेलू खर्च में हाथ बटाती थी। अजमेंन माध्यमिक शाला धरतीपारा में स्वीपर के पद में बीते 3 वर्षों से कार्यरत थी। इसी बीच इस वर्ष तबियत खराब होने लगी और इन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां से तबीयत और अधिक खराब होने मई – जून माह में ईलाज के लिए अम्बिकापुर मेडीकल कॉलेज ले जाया गया जहां खून की कमी बताई गई खून चढ़ा था। सप्ताह भर तक रख कर वापस घर ले गए। फिर से घर मे तबियत खराब हुई जिसके उपरांत भैयाथान अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से सुरजपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया किए 15 दिनों तक ईलाज हुआ।
तबियत में सुधार होने पर घर ले जाया गया। जिसके करीब 10 दिनों बाद तबियत खराब हुई और सांस लेने में दिक्कत होने लगी और घर मे ही 30 जुलाई 2021 को मौत हो गई। जिसका अंतिम संस्कार गाँव मे ही कराया गया। इस दौरान प्रशासन से किसी भी तरह का कोई सहायता नही मिला। नंदलाल अब बूढ़ा होंने लगे है। शरीर मे अब पहले की तरह ताकत नही रही, मजदूरी भी अब पहले की तरह नही कर पाते है। घर मे आर्थिक दिक्कत होने लगी है। खेती बाड़ी भी अच्छे से नही कर पाए बेटी के मौत ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया है। खेत खाली ही छोड़ दिए है। बेटी के मौत के बाद स्वीपर के पद पर अपनी नियुक्ति चाहते थे ताकि घर के खर्च में कोई दिक्कत मत हो, जिसके लिए आवेदन लेकर जिला शिक्षा अधिकारी के पास गुहार लगाई थी। शिक्षा अधिकारी विनोद राय ने उन्हें उनके लेटर में ही मानवीय आधार पर नियुक्ति देने की बात लिख कर आवेदन वापस कर दिया जबकि कवरिंग लेटर दिया जाना चाहिए था। इस लेटर को स्कूल में दिखाया गया स्कूल ने एक दिन काम पर रखा और 15 अगस्त के दिन बैठक बुलाकर दूसरे ग्रामीण को नियुक्ति दे दी गई। घर में पूछने पर बताते है कि श्रम पंजीयन भी नही है। घर मे कुछ आये का सहारा था वो भी छीन लिया, घर मे दरारे पड़ी हुई है। लिप छाप के रह रहे है। क्लेक्टर से गुहार लगाकर अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर कुछ रोजगार देने की मांग की है ताकि घर गृहस्थी चलाने में सहारा हो।