देशनई दिल्ली

महंगाई से जनता परेशान है आखिर इस महंगाई का अंत कब होगा स्वामीनाथ जयसवाल।

महंगाई से जनता परेशान है आखिर इस महंगाई का अंत कब होगा स्वामीनाथ जयसवाल।

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नई दिल्ली प्रेस वार्ता में भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामीनाथ जायसवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मोदी सरकार क्या गरीबों को चुनाव जीतने के बाद महंगाई के मंजर से मौत देगी सबक सिखाने का कार्य कर रहा है कि देश के गरीबों को खत्म कर दो गरीबी मिट जाएगी आज महंगाई का कोई कंट्रोल नहीं है नित्य प्रतिदिन महंगाई दवाई से लेकर राशन तक का सिलेंडर एलपीजी और सीएनजी पीएनजी पेट्रोल डीजल सभी खाद्य पदार्थ दवाई कोई चीज नहीं है यहां तक कि नींबू 350 ₹ किलो बिक रहा है तो देश कहां जा रहा है इसका कोई मतलब नहीं है प्रधानमंत्री को बस धर्म जाति के आधार पर राजनीति कर हिंदू खतरे में कह कर लोगों को गुमराह कर कर आज बेरोजगारी अर्थव्यवस्था टूट गई है लेकिन सरकार मस्त है गरीब मजबूर है अब समय आ गया है कि आप अपनी लड़ाई खुद आत्मनिर्भर बने 950 रूपये एलपीजी सिलिंडर, 120 रूपये प्रति लीटर पेट्रोल और 103 रूपये प्रति लीटर डीजल….22 मार्च से पेट्रोल-डीजल के कीमतों में जो वृद्धि शुरू हुई है, वह आज के दिन भी जारी रहीd। मोदी जी को प्रधानमंत्री बनानेवालों, महंगाई की चौतरफा मार झेलने के लिए एक बार फिर तैयार रहिए। खाना पकाना, मोबाइल पर बात करना और अपनी कार में सफर करना सब महंगा करने की पूरी तैयार की जा रही है।तेल और गैस के दामों में इजाफा किया जा सकता है। उन्‍होंने क‍हा इन उत्‍पादों की सही कीमत तय करने की जरूरत है। तेल का आयात महंगा हो रहा है इसे ध्‍यान में रखा जाना चाहिये। भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही संसद की एक समिति ने छह लाख रुपये सालाना से अधिक आय वाले वर्ग को रसोई गैस के सिलेंडर पर दी जाने वाली सब्सिडी तत्काल बंद करने की सिफारिश कर चुकी है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार घरेलू इस्तेमाल के लिए सप्लाई किए जाने वाले एलपीजी सिलेंडर की खुदरा लागत 996 रुपये है, जबकि उसे तकरीबन 400 रुपये की कीमत पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है। इससे आपूर्तिकर्ता कंपनी को हर गैस सिलेंडर पर तकरीबन 570 रुपये का नुकसान होता है। यानी समिति की सिफारिश मान ली गई तो छह लाख रुपये सालाना से अधिक आय वालों को एक सिलेंडर के लिए करीब 1000 रुपये चुकाने होंगे।खाना पकाना और मोबाइल पर बात करना महंगा होने की आशंका के बीच सफर को महंगा करने के लिए दोहरी तैयारी की जा रही है। गाडिय़ों (मोटर वाहनों) का सस्ता रजिस्ट्रेशन की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रजिस्ट्रेशन टैक्स के रूप में वाहन मूल्य का कम से कम छह फीसदी वसूलने पर सिद्धांतत: सहमत कर लिया है। यह कैसे हो, इसके लिए राज्य के परिवहन मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति (एम्पावर्ड कमेटी) बनाई गई है जिसकी अध्यक्षता राजस्थान के परिवहन मंत्री करेंगे। समिति के अन्य सदस्यों में हरियाणा, पंजाब, गुजरात, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत तकरीबन 12 राज्य शामिल हैं। इस मसले पर कानून मंत्रालय से भी सुझाव लिया जा रहा है।घरेलू सिलेंडर के दाम बढ़ने से रसोई का बजट गड़बड़ाकर रह गया है। समझ नहीं आ रहा कि ये दाम कहां जाकर रूकेंगे। घर में हर माह एक सिलेंडर की खपत होती है। सब्सिडी भी न के बराबर ही है। हर माह सिलेंडर खरीदना दुश्वार साबित हो रहा है। अगर इसी तरह से दाम बढ़ते रहे तो घर चूल्हा जलाना भी मुश्किल साबित हो जाएगा। सरकार को चाहिए कि सिलेंडर के दाम कम किए जाएं।
केंद्र की मोदी सरकार की गलत नीतियों के कारण बेतहाशा महंगाई बढ़ रही है,और हर वर्ग का इससे बुरा हाल है,महंगाई की मार से आमजन बुरी तरफ पीस रहा है,लोगो का जीना मुहाल हो गया है,वैश्विक महामारी कोरोना के कारण वैसे ही गरीबो पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है उपर से उन पर महंगाई की मार यह केंद्र की मोदी सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता को दर्शाता है,वंही इस दौर में महंगाई से सब परेशान है,मोदी सरकार को अब गरीबो का ध्यान कँहा है,आप कब तक करेंगे अत्यचार हम कब तक सहेंगे महंगाई की मार बस करो मोदी सरकार,लालू राठौर ने कहा कि एक तरफ जनता अगर कोरोना से अपनी जान बचाती है तो कमर तोड़ महंगाई उन्हें मार डालेगी,कोरोना के बाद अब महंगाई भी भाजपा राज में राष्ट्रीय आपदा साबित हो रही है,पिछले डेढ़ साल से भारत की जनता कोरोना महामारी की मार झेल रही है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अदूरदर्शी व जनविरोधी नीतियों ने कोरोना काल मे आम जनता का जीवन और कठीन कर दिया है,
चाहे वो अचानक किया हुआ लाकडॉउन हो,अस्पताल से लेकर आक्सीजन तक का इंतजाम हो,या फिर वैक्सिनेशन की नीति हो,मोदी सरकार हर जगह फैल साबित हुई है।
जिस बढ़ती महंगाई ने देश के आम और गरीब लोगों का जीना दूभर कर रखा है उसे लेकर सरकारों और राजनीतिक दलों की उदासीनता हैरान करने वाली है। हास्यापद बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की बात करते नहीं थक रहे हैं जबकि देश भूख सूचकांक में पाकिस्तान नेपाल और बांग्लादेश को भी पीछे छोड़ चुका है। देश में पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सत्ता में बैठे लोग पेट्रोल और डीजल पर भारी भरकम टैक्स वसूली को ही अपनी आय का जरिया मान बैठे हैं उनकी सोच है कि विकास कार्यों को जारी रखने के लिए यह जरूरी है। उनकी बात और तर्क को अगर सही भी मान लिया जाए तो क्या यह विकास देश के उन 15 करोड़ लोगों की जान की कीमत पर किया जाना चाहिए जिनकी प्रतिदिन की आय (दो डालर) डेढ़ सौ रूपये से भी कम है। गरीबी रेखा के नीचे जीने वाले यह लोग भला कैसे 80 रूपये किलो की गोभी और 70 रूपये किलो का टमाटर प्याज खा सकते हैं? कैसे यह गरीब लोग दो सौ रूपये लीटर का खाघ तेल और तीस रूपये प्रति किलो का आटा और सौ— डेढ़ सौ रूपये प्रति किलो की दालें खा सकते हैं? नारों और शगुफों से देश भले ही आत्मनिर्भर न बने और किसानों की आय भले ही दोगुनी न हो लेकिन सत्ता में बैठे लोगों का तुष्टीकरण जरूर हो रहा है। देश में गरीबों की संख्या जरूर बढ़ रही है सामाजिक असंतुलन जरूर बढ़ रहा है जिसका दूरगामी परिणाम अच्छा नहीं हो सकता है। भारत आत्मनिर्भर बनेगा या नहीं यह अलग बात है लेकिन बढ़ती महंगाई देश के गरीबों को जरूर मार डालेगी।

Ashish Sinha

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