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अकेले रोने से क्या फायदा कप्तान!

दक्षिण अफ्रीका में चल रहे टी20 विश्वकप स्पर्धा में भारतीय महिला क्रिकेट टीम को 5 रन के संकीर्ण अंतर से सेमीफाइनल में पराजय देखना पड़ा। जीतने के लिए कप्तानी पारी खेलने वाली टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से रनआउट क्या हुई टीम ही टूर्नामेंट से आउट हो गयी। उनके अलावा केवल जेमिमाह रोड्रिक्स ने मेहनत किया। शीर्ष क्रम असफल रहा परिणाम हार हो गयी।
वैसे टीम को हराने में घटिया क्षेत्ररक्षण सबसे अधिक जिम्मेदार रहा। माना कि कैच कठिन होते है लेकिन क्रिकेट में कहा जाता है कि कैच लिए नही बनाये जाते है। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ जिनको जीवनदान मिला उन्होंने अर्धशतक ठोक दिया।यही से मैच हाथ से निकलना शुरू हुआ था। कैच छूटा सो छूटा, कम से कम 20 रन घटिया फिल्डिंग के कारण बने। अंतिम ओवर में लुटाए गए रन में से एक छक्का भी रुक जाता तो जीत के साथ फाइनल में होते।
खेल, में यही खूबसूरती है कि हारने के बाद दोष दिखने लगते है।इन्हें अगर नही देखे तो आगे कैसे सुधार होगा। कप्तान हरमनप्रीत कौर ने अथक कोशिश की लेकिन किन परिस्थितियों में वे रनआउट हुई ये समझ से बाहर है। दूसरे रन के लिए पर्याप्त समय था क्रीज़ तक पहुँच कर बल्ले का अटकना ही मैच के हार का कारण बना। टीम के हार के बाद हरमनप्रीत अपनी भावना को छुपाने के लिए सनग्लास पहन कर आई। 5 रन की हार सचमुच दुखद रही। बुखार होने के बाद देश के लिए कुछ करने का जज्बा हमेशा हरमनप्रीत को हर मन प्रीत बनाया है। जीत के लिए अंतिम समय तक हरमन प्रीत कौर टीम के खिलाड़ियों को समझाती है लेकिन बड़ी टीमो के साथ महत्वपूर्ण मैच खेलने के लिए जिस मनोवैज्ञानिक सक्षमता की जरूरत है वह अभी भी नीचे क्रम के खिलाड़ियों में नही है। ये बात 2017 से देखने को मिल रही है। जय शाह से उम्मीद की जा सकती है कि वे महिला क्रिकेट टीम को एक मनोवैज्ञानिक जरूर उपलब्ध कराए ताकि टीम मनोवैज्ञानिक रूप से भी सक्षम बन सके।

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रनआउट होने के बाद गुस्सा औऱ हारने के बाद दुःख हरमन प्रीत कौर के मनोस्थिति का मिश्रण रहा। वे सख्त खिलाड़ी के रूप में जानी जाती है। उनको अकेले रोने का अधिकार भले ही कप्तान होने के नाते मिला लेकिन शेफ़ाली वर्मा, यास्तिका भाटिया, स्नेह राणा, राधा यादव ,रेणुका सिंग ठाकुर को भी बैठ कर सोचना चाहिए कि वे अपना सर्वश्रेष्ठ क्यो नही दी जिसके चलते कप्तान को रोना पड़ा। आप सभी को भी आंसू बहाने की जरूरत है।

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