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प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना: जिला स्तरीय कुकिंग प्रतियोगिता में महिलाओं का शानदार प्रदर्शन, विजेता समूह राज्य स्तर पर करेंगे प्रतिनिधित्व

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना: जिला स्तरीय कुकिंग प्रतियोगिता में महिलाओं का शानदार प्रदर्शन, विजेता समूह राज्य स्तर पर करेंगे प्रतिनिधित्व

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महासमुंद, 20 मार्च 2025 – प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के तहत आयोजित जिला स्तरीय कुकिंग प्रतियोगिता 2024-25 न केवल स्वाद और पाक-कला का उत्सव थी, बल्कि पोषण और स्वच्छता के महत्व को बढ़ावा देने का एक प्रभावी मंच भी साबित हुई। इस प्रतियोगिता में जिले के पांचों विकासखंडों से दो-दो महिला स्व-सहायता समूहों ने भाग लिया। कुल 10 समूहों ने अपने उत्कृष्ट व्यंजनों के माध्यम से स्वस्थ और संतुलित आहार का संदेश दिया।

इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य स्वस्थ और पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देना था। मध्यान्ह भोजन योजना के अंतर्गत आने वाले बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने के लिए इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रतियोगिता के माध्यम से महिलाओं को पोषण से भरपूर भोजन तैयार करने और स्वच्छता मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित किया गया। यह आयोजन न केवल पाक-कला प्रतियोगिता थी, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर भी प्रदान कर रही थी।

प्रतियोगिता का आयोजन जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कलेक्टर विनय कुमार लहंगे और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) एस. आलोक थे। इन अधिकारियों ने प्रतिभागियों के व्यंजनों का स्वाद चखकर उनकी सराहना की। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि मध्यान्ह भोजन भी इसी तरह पौष्टिक और स्वच्छता से भरपूर हो, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हो और स्कूल छोड़ने की दर में कमी आए।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह प्रतियोगिता एक प्रेरणादायक पहल रही। इसमें जिले के पांचों विकासखंडों से चयनित 10 महिला स्व-सहायता समूहों ने भाग लिया। इन समूहों ने स्थानीय और पारंपरिक व्यंजनों के साथ ही पोषण तत्वों से भरपूर नए प्रयोग भी किए। हर व्यंजन को स्वच्छता, पौष्टिकता, स्वाद और प्रस्तुति के आधार पर परखा गया।

जिला शिक्षा अधिकारी मोहन राव सावंत द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले समूहों को कलेक्टर विनय कुमार लहंगे द्वारा पुरस्कृत किया गया।

प्रथम स्थान – शासकीय प्राथमिक शाला कुसगुर, जिसे जय माँ सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह, कुसगुर ने प्रतिनिधित्व किया। इस समूह को ₹6000 की पुरस्कार राशि प्रदान की गई।

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द्वितीय स्थान – शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, पासिद, जिसे कस्तुरबा महिला स्व-सहायता समूह, पासिद ने प्रतिनिधित्व किया। इस समूह को ₹4000 की पुरस्कार राशि दी गई।

तृतीय स्थान – स्वामी आत्मानंद स्कूल, सांकरा, जिसे गाँ शक्ति महिला स्व-सहायता समूह, सांकरा ने प्रस्तुत किया। इस समूह को ₹2000 का पुरस्कार प्रदान किया गया।

प्रतियोगिता में प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले समूह अब राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में महासमुंद जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे।

प्रतियोगिता के दौरान व्यंजन और उनके पोषण तत्व

प्रतियोगिता में विभिन्न पौष्टिक व्यंजनों को प्रस्तुत किया गया, जिनमें से कुछ मुख्य रूप से निम्नलिखित थे:

मिलेट्स (श्रीअन्न) से बने व्यंजन – जैसे रागी चीला, बाजरा खिचड़ी, ज्वार उपमा, जो बच्चों के लिए अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक माने जाते हैं।

हरी सब्जियों से भरपूर भोजन – जैसे पनीर और मटर की सब्जी, साग रोटी, और मिक्स वेज पुलाव।

पारंपरिक छत्तीसगढ़ी भोजन – जैसे चीला, फरा, बोरे बासी, जो स्थानीय स्तर पर प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं।

इस आयोजन ने न केवल महिला स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित किया बल्कि उनके भीतर आत्मनिर्भरता की भावना को भी मजबूत किया। यह प्रतियोगिता महिलाओं के लिए एक ऐसा मंच साबित हुई, जहां वे अपने पाक-कला कौशल का प्रदर्शन कर सकीं। साथ ही, इसे स्कूली बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य और पोषण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

जिला पंचायत सीईओ एस. आलोक ने कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएँ आगे भी आयोजित की जाएँगी ताकि अधिक से अधिक महिलाओं को पोषण के प्रति जागरूक किया जा सके और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हो।

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना के तहत आयोजित इस प्रतियोगिता ने यह दर्शाया कि स्वस्थ और संतुलित आहार केवल स्वाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण स्वास्थ्य और स्वच्छता से जुड़ा हुआ है। महिला स्व-सहायता समूहों ने न केवल अपनी पाक-कला का प्रदर्शन किया, बल्कि पोषण से भरपूर व्यंजनों को प्राथमिकता देकर बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इस प्रतियोगिता का आयोजन जिला प्रशासन द्वारा एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो न केवल स्थानीय महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करेगा बल्कि स्कूलों में पोषण युक्त भोजन की गुणवत्ता को भी सुधारने में सहायक सिद्ध होगा।

Ashish Sinha

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