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गरियाबंद:उदंती अभ्यारण्य जंगल में अवैध कब्जा और अंधाधुंध कटाई, भाग गए बाघ और वन्यप्राणी, करोड़ों खर्च फिर भी 48वां स्थान…

गरियाबंद:उदंती अभ्यारण्य जंगल में अवैध कब्जा और अंधाधुंध कटाई, भाग गए बाघ और वन्यप्राणी, करोड़ों खर्च फिर भी 48वां स्थान…

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हरेश प्रधान/न्यूज रिपोटर /गरियाबंद/भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 6 माह पहले देश भर के अभ्यारन में प्रबंधन प्रभावशिलता मूल्यांकन करना शुरू किया था. इस मूल्यांकन में वन्य प्राणियों के रहवास, वन, पर्यावरण, प्राप्त आबंटन से योजनाओं का सही क्रियान्वयन के अलावा विभिन्न गतिविधियों से जुड़ी लगभग 50 बिंदुओं को मापदंड का आधार बनाया था. मूल्यांकन को 4 कटैगरी में रखा गया था. इनमें से उदंती सीतानदी अभ्यारण्य 56.82 प्रतिशत अंक अर्जित कर तीसरे कटैगरी यानी स्वच्छता श्रेणी में ही अपना स्थान बना पाया.

भारत भर में कुल 53 टाईगर रिजर्व फारेस्ट हैं, इनमें से इस अभ्यारण्य ने 48वां स्थान प्राप्त किया है. उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के उपनिदेशक ने कहा कि विषम परिस्थितियों के बावजूद सर्वे में बताई गई उपलब्धि के बाद मिल रही प्रतिक्रिया से लग रहा था कि रेटिंग टॉप 40 में रहेगी, लेकिन यह परिणाम हमारे लिए निराशाजनक हैं.

जैन ने कहा कि अकेले विभाग के बस में जितना हो सकता है. हम उसे शत प्रतिशत पूरा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हमारे नियंत्रण से बाहर कुछ ऐसी गतिविधियां बीते कुछ सालों में बढ़ी, जिसके कारण हमारा रैंक घटा. हमारी पड़ताल में रैंकिग घटने की ये वजह सामने आई.

प्रति 4 साल में होने वाले मूल्यांकन के रिपोर्ट में उदंती अभ्यारण्य में घटते वन और बढ़ती आबादी को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक 2008 के बाद अभ्यारण्य क्षेत्र के 8 परिक्षेत्र में 3992 परिवार को 6408.44 हेक्टेयर वन भूमि का अधिकार दिया जा चुका है. इंदागाव व तौरेंगा रेंज में गलत तरीके से काबिज 1233 परिवार का आवेदन भी निरस्त किया गया है, जो 3 हजार से भी ज्यादा रकबे पर काबिज हैं

2014 के बाद काबिज करने वालो की संख्या में और इजाफा हुआ है, जो वन्य प्राणियों के विचरण, स्वच्छंदता पर खलल डालने का काम किया।सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 2004 में उदंती अभ्यारण्य में 5 बाघ थे. 2014 के सर्वे में 3 बाघ की पुष्टि हुई थी. 2022 तक 2 बाघ की मौजूदगी बताई जा रही थी, लेकिन उसमें से भी एक अक्तूबर 2022 में अपना रुख ओडिशा की ओर किया. 1 दिसंबर को सम्बलपुर जिले में मौजूद देब्रीगढ़ अभ्यारण्य को अपना नया ठिकाना बना लिया.

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सिमटते वन के चलते बढ़ी मानव वन्य प्राणी द्वंद शिकार करने के मामले भी सामने आते गया. वनों के कारण चारागाह की कमी थी. अवैध कब्जे के कारण पर्याप्त चारागाह चाह कर भी विकसित नहीं किया जा सका. इसी तरह धीरे धीरे चीतल, हिरण जैसे शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या घटती गई. ये जीव बाघ, तेंदुए के आहार के प्रमुख स्रोत है.
शाकाहारी प्राणियों की घटती संख्या ने मांसाहार प्रमुख वन्य प्राणी की संख्या को भी भारी प्रभावित किया. मूल्यांकन में पाया गया कि सिमटते वन मानव व वन्य प्राणी द्वंद की बड़ी वजह है. 10 साल पहले तक ओडिसा से आकर बाघ के एक जोड़े ने अभ्यारण्य में ठिकाना बनाया था, जो शिकारियों के भेंट चढ़ गया. आए दिन जंगली जानवरों के शिकार व ग्रामीणों पर वन्य प्राणी के हमले को घटना होते रहती है.

अभ्यारण्य के घने जंगलों में 2010 के बाद से नक्सली गतिविधियां बढ़ गई, जिसके चलते अभ्यारण्य प्रशासन नाइट पेट्रोलिंग के अलावा दिन में अंदरूनी इलाके में पेट्रोलिंग नहीं कर पाती. उत्तर व दक्षिण अभयारण्य का मुख्यालय 60 किमी दूर मैनपुर में बसा हुआ है. रेंज अफसरों को निगरानी में आ रही दिक्कत को देखते हुए प्रशासन ने निगरानी का तोड़ निकाल लिया. हाल ही में योजनाओं से लेकर प्रत्येक गतिविधियों की निगरानी सर्विलांस ड्रोन कैमरे से की जा रही है, जिसकी सीधी मॉनिटरिंग उपनिदेशक करते है

मूल्यांकन का एक अहम बिंदु आमदनी भी है. सवेदन शील इलाका होनें के कारण पार्यटको की संख्या अचानक घट गई. हलाकी पिछले 1 साल में अभयारण्य प्रशासन ने झरने व अन्य मनोरम स्थलों को बढ़ावा देने कड़ी मेहनत की गई. बोटिंग, ट्रैकिंग और जिप्सी सवारी की शुरआत की गई है, जो आने वाले दिनों में अभ्यारण्य प्रशासन के लिए आमदनी का जरिया बनेगा. वरुण जैन ने बताया की स्थानीय वन सुरक्षा समूह को काम दिया गया हैं, ताकि उनका लगाव वन्य जीवों से बना रहे.

इसके आलावा कांगेरघाटी, बारनवापारा, अचानकमार के तर्ज पर उदंती अभ्यारण्य ने अपना एक यूट्यूब चैनल तैयार कर सोसल मीडिया में इको टूरिज्म का प्रचार शुरू किया है, जिसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला है. आने वाले समय में अगर इको टूरिज्म से इजाफा हुआ तो उदंती सीतानदी अभ्यारण्य का नाम भी देश के प्रमुख अभ्यारण्य की सूची में सुमार होगा.

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