
नेशनल लोक अदालत में न्याय का महाकुंभ: 3,150 मामलों का निपटारा, ₹5.87 करोड़ के अवार्ड जारी
नेशनल लोक अदालत में न्याय का महाकुंभ: 3,150 मामलों का निपटारा, ₹5.87 करोड़ के अवार्ड जारी
न्याय की नई सुबह: महासमुंद में ऐतिहासिक लोक अदालत का सफल आयोजन
महासमुंद, 8 मार्च 2025 –न्याय को त्वरित और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से महासमुंद जिले में आज नेशनल लोक अदालत का ऐतिहासिक आयोजन किया गया, जिसमें 3,150 लंबित मामलों का निपटारा किया गया और ₹5.87 करोड़ के अवार्ड पारित किए गए। इस आयोजन में जिले के विभिन्न न्यायालयों में 24 खंडपीठों का गठन किया गया, जहां प्री-लिटिगेशन मामलों से लेकर दीवानी और आपराधिक प्रकरणों तक की सुनवाई हुई।
न्याय के इस पर्व में किन-किन मामलों का हुआ निपटारा?
इस विशेष लोक अदालत में निम्नलिखित प्रकार के मामलों को प्राथमिकता दी गई:
बैंक ऋण वसूली प्रकरण:
4,005 प्रकरणों में ₹23.20 लाख की राशि के अवार्ड पारित।
विद्युत बकाया एवं विवाद:
11,390 मामलों में ₹5.59 करोड़ की वसूली।
मजदूरी से जुड़े श्रम विवाद:
8 मामलों में ₹32,300 का अवार्ड जारी।
मोटर दुर्घटना दावा (एमएसीटी):
33 प्रकरणों में ₹2.64 करोड़ का भुगतान तय।
धोखाधड़ी व चेक बाउंस (एनआई एक्ट-138):
35 प्रकरणों में ₹80.65 लाख की राशि का निपटारा।
अन्य सिविल मामले:
35 मामलों में ₹2.31 करोड़ का अवार्ड।
राजीनामा योग्य आपराधिक प्रकरण:
3,029 मामलों का आपसी सुलह के आधार पर समाधान।
राजस्व न्यायालयों में समाधान:
36,306 मामलों का निपटारा।
कैसे हुई लोक अदालत की तैयारियां?
इस राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल संचालन करने के लिए महासमुंद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने पहले से ही व्यापक तैयारियां की थीं। न्यायालय ने पक्षकारों को पूर्व में नोटिस भेजकर राजीनामा हेतु प्रोत्साहित किया, ताकि लोक अदालत में विवादों का त्वरित निपटारा संभव हो सके।
इस हाईब्रिड लोक अदालत में महासमुंद जिले के सिविल, श्रम, बैंक, मोटर दुर्घटना, विद्युत विवाद, राजस्व प्रकरण, चेक बाउंस, आपराधिक प्रकरण और पारिवारिक मामलों को त्वरित निपटान के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
24 खंडपीठों में हुआ सुनवाई का अनूठा अनुभव
लोक अदालत के तहत जिले के मुख्य न्यायालय परिसर सहित तहसील पिथौरा, सरायपाली, बसना और बागबाहरा में कुल 24 खंडपीठों का गठन किया गया था। इन खंडपीठों में न्यायाधीश, अधिवक्ता, लोक अभियोजक, बैंक प्रतिनिधि, बिजली विभाग के अधिकारी और संबंधित विभागों के कर्मचारी उपस्थित रहे।
महासमुंद लोक अदालत की विशेषताएँ
हाइब्रिड मॉडल: इस बार की लोक अदालत पूरी तरह से हाईब्रिड मोड में संचालित की गई, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से सुनवाई की सुविधा दी गई।
समझौते की भूमिका: राजीनामे पर आधारित मामलों में तेजी से समाधान हुआ, जिससे पक्षकारों को न्यायालय के लंबे चक्करों से राहत मिली।
न्यायिक अधिकारियों की विशेष निगरानी: न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए न्यायाधीशों की विशेष टीमों ने निगरानी की।
लोक अदालत में क्यों मिलती है त्वरित न्याय?
नेशनल लोक अदालत की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ मामलों का निपटारा आपसी सहमति से, बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया और खर्च के किया जाता है। यह अदालत विवादों को सुलझाने का सबसे तेज़, किफायती और प्रभावी माध्यम है।
अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस लोक अदालत के सफल आयोजन में महासमुंद के अधिवक्ताओं, न्यायाधीशों और न्यायालय कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। न्याय प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ने पूरे आयोजन पर कड़ी निगरानी रखी।
देशभर में हुआ नेशनल लोक अदालत का सफल आयोजन
आज, 8 मार्च 2025 को पूरे देशभर में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस दौरान उच्चतम न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक के न्यायालयों में हजारों मामलों का निपटारा किया गया।
लोक अदालत से मिली राहत: पक्षकारों की प्रतिक्रियाएँ
लोक अदालत में अपने प्रकरण का निपटारा करवाने आए पक्षकारों ने तेजी से मिले न्याय पर संतोष व्यक्त किया। कई लोगों ने कहा कि अगर लोक अदालत नहीं होती तो उन्हें वर्षों तक मुकदमेबाजी में फंसे रहना पड़ता।
एक पक्षकार ने कहा:
“मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरा मामला इतनी जल्दी सुलझ जाएगा। लोक अदालत ने हमें न्याय दिलाने में बड़ी मदद की। यह पहल गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है।”
न्यायपालिका की पहल से आम जनता को लाभ
लोक अदालत के इस सफल आयोजन से यह साबित हो गया कि न्यायपालिका त्वरित और सुलभ न्याय देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इस पहल से आम जनता को समय पर न्याय मिलने के साथ-साथ वित्तीय बोझ से भी राहत मिलती है।
महासमुंद में आयोजित नेशनल लोक अदालत में लंबित मामलों के निपटारे की ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई। कुल 3,150 मामलों का निपटारा कर ₹5.87 करोड़ के अवार्ड पारित किए गए। इस आयोजन में न्यायपालिका, अधिवक्ताओं, बैंक प्रतिनिधियों और अन्य अधिकारियों का विशेष योगदान रहा।
लोक अदालत ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि त्वरित और किफायती न्याय संभव है। इस तरह के प्रयासों से जनता को न्यायपालिका में विश्वास और मजबूती मिलेगी। भविष्य में भी ऐसी अदालतों का आयोजन जनता को न्याय सुलभ कराने में सहायक सिद्ध होगा।