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माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया, शर्माने या झिझकने की जरूरत नहीं, इस पर खुलकर बात की जानी चाहिए

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर किशोरी बालिकाओं एवं महिलाओं को स्वच्छता प्रबंधन पर किया गया प्रेरित

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माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया, शर्माने या झिझकने की जरूरत नहीं, इस पर खुलकर बात की जानी चाहिए

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अम्बिकापुर // विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में महिला बाल विकास विभाग तथा स्वच्छ भारत मिशन के संयुक्त तत्वाधान में विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी एवं ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक द्वारा किशोरी बालिकाएं एवं महिलाओं में स्वच्छता प्रबंधन पर कार्य किया गया। इसके अतिरिक्त किशोरी बालिकाएं एवं महिलाओं को प्रमुख संदेश दिये गये जिसमें मसिक धर्म किशोरी बालिकाएं एवं महिलाओं के शरीर में होने वाली एक प्राकृतिक एवं सामान्य प्रक्रिया है, इससे शर्माने, झिझकने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब मासिक धर्म के विषय में चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है, इसके लिये लड़कों और पुरुषों को बात-चीत में जोड़ा जाना चाहिए ताकि मासिक धर्म एक सामान्य चर्चा का विषय बन सके एवं महिलाएं विभिन्न वर्जनाओं के बेड़ियों से मुक्त होकर बराबरी एवं गरिमापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकें। मासिक धर्म महिला के स्वस्थ होने का सूचक है। मासिक धर्म के कारण ही महिलाओं में गर्भावस्था संभव होता है। यह महिला एवं पुरुष दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
सीएमएचओ ने बताया कि विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस महिला स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण में “मासिक धर्म“ अथवा माहवारी’ की महत्वपूर्ण भूमिका है। महिलाओं के शरीर में हार्मोन में होने वाले परिवर्तन के कारण गर्भाशय से रक्त एवं अंदरूनी हिस्से में होने वाले स्त्राव को मासिक धर्म कहते हैं। इसे आम बोल-चाल में माहवारी, रजोधर्म, मॅस्ट्रअल साईकल या एम.सी. या ’पीरियड भी कहा जाता है। मासिक धर्म चक्र दुनिया की आधी आबादी यानी महिलाओं से संबंधित विषय है जो सामान्यतः प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को प्रभावित करता हैं। यह चक्र प्राकृतिक, शारीरिक विकास की प्रक्रिया है। ज्यादातर महिलाएं माहवारी की समस्याओं से परेशान रहती हैं परन्तु अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार समस्या से जूझती रहती हैं जो समाज में मासिक धर्म स्वच्छता को निरंतर चुनौती देते हैं।
मासिक धर्म प्रबंधन के संबंध में वर्तमान जागरूकता का स्तर कम है क्योंकि इस विषय पर व्यापक चर्चा नहीं की गई है। स्वास्थ्य प्रभावों के अतिरिक्त युवावस्था एक प्राकृतिक परिघटना है जो किसी बालिका अथवा युवती के स्वछंद आवागमन पर प्रतिबंधन, स्कूल, शिक्षा, सांस्कृतिक रूप से पक्षपातपूर्ण सामाजीकरण का प्रारंभ बिन्दु बन जाती है।

Ashish Sinha

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