
बस्तर का धुड़मारास गांव बना बेस्ट टूरिज्म विलेज, सौर ऊर्जा से हुआ रोशन
बस्तर जिले का धुड़मारास गांव अब वैश्विक मानचित्र पर एक मॉडल टूरिज्म विलेज के रूप में उभरा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर सौर ऊर्जा परियोजनाएं लागू कर इसे आत्मनिर्भर बनाया गया है।
सौर ऊर्जा से जगमगाया बस्तर का बेस्ट टूरिज्म विलेज ‘धुड़मारास’
रायपुर, 10 जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले का छोटा आदिवासी गांव धुड़मारास अब विश्व मानचित्र पर एक प्रेरणादायक और टिकाऊ पर्यटन मॉडल के रूप में उभरा है। इस गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा दुनिया के 20 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में शामिल किया गया है।
धुड़मारास न केवल अपने प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक जीवनशैली के लिए जाना जाता है, बल्कि अब यह सौर ऊर्जा आधारित आत्मनिर्भरता के लिए भी चर्चा में है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर, गांव में क्रेडा (छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी) द्वारा कई सौर ऊर्जा परियोजनाएं लागू की गई हैं।
सौर ऊर्जा परियोजनाओं की प्रमुख उपलब्धियां:
- 3 सोलर ड्यूल पंप: ये गांव में शुद्ध पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं।
- 2 हाईमास्ट सोलर लाइट: गांव में रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था को बेहतर बनाते हैं।
- सोलर स्ट्रीट लाइट्स: गांव की गलियों को रोशन करती हैं।
- स्कूलों में सोलर पावर सप्लाई: इससे शिक्षण गतिविधियों में कोई बाधा नहीं आती है।
इन परियोजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए क्रेडा अध्यक्ष भूपेंद्र सवन्नी और सीईओ राजेश राणा द्वारा नियमित निरीक्षण किया गया।
राष्ट्रीय सम्मान और ईको-टूरिज्म विकास
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने धुड़मारास और चित्रकोट को विश्व पर्यटन दिवस पर ‘सर्वश्रेष्ठ गांव’ का पुरस्कार प्रदान किया है।
धुड़मारास में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए ट्रैकिंग ट्रेल, कैंपिंग साइट और होम-स्टे जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। स्थानीय शिल्पकारों और कलाकारों को जोड़कर हस्तशिल्प को बाजार से जोड़ा जा रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिल रहा है। साथ ही, सड़क और परिवहन व्यवस्था का भी विस्तार हो रहा है।
साहसिक पर्यटन और आजीविका के अवसर
ईको टूरिज्म समिति द्वारा कांगेर नदी में कयाकिंग और बांस राफ्टिंग जैसी साहसिक गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं। इन गतिविधियों से स्थानीय युवाओं को आजीविका के नए अवसर मिल रहे हैं।
धुड़मारास गांव अब बस्तर अंचल के लिए एक आदर्श उदाहरण बन गया है। यह दर्शाता है कि जब सरकारी योजनाएं सामुदायिक सहभागिता के साथ लागू की जाती हैं, तो विकास के नए आयामों को प्राप्त करना संभव है।