
मथुरा में यातायात पुलिस की तानाशाही: गरीब दंपत्ति की गुहार भी अनसुनी, बंद मिला कार्यालय
मथुरा में ट्रैफिक पुलिस के रवैये पर उठे सवाल। ई-रिक्शा चालक गरीब दंपत्ति न्याय की आस में पहुँचा एसपी ट्रैफिक कार्यालय, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दरवाज़े पर गुहार लगाते रहे, फिर भी दरवाज़ा नहीं खोला गया।
मथुरा में यातायात पुलिस की तानाशाही: गरीब दंपत्ति की गुहार भी अनसुनी, बंद मिला कार्यालय
मथुरा। संवाददाता ।सुषमा ठाकुर। मथुरा में यातायात पुलिस की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। आम जनता के टैक्स के पैसों से वेतन पाने वाली ट्रैफिक पुलिस अब खुद को जनता से ऊपर समझने लगी है। इसका ताजा उदाहरण उस वक्त सामने आया जब एक गरीब दंपत्ति अपनी समस्या लेकर पुलिस अधीक्षक (यातायात) मथुरा के कार्यालय पहुँचा, लेकिन कार्यालय का दरवाज़ा बंद मिला और कोई भी अधिकारी या कर्मचारी उनकी बात सुनने सामने नहीं आया।
वीडियो में देखा जा सकता है कि यह दंपत्ति कार्यालय के बाहर खड़े होकर बार-बार दरवाज़ा खटखटाता है और महिला लगातार कहती है, “हम गरीब लोग हैं, सुनिए हमारी बात।” लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती। यह दृश्य न केवल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि जनता की समस्याओं को लेकर पुलिस कितनी जिम्मेदार है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस का यह व्यवहार कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है कि जरूरतमंदों की फरियाद को अनदेखा कर दिया गया।
‘वीडियो देखें’:
मथुरा ट्रैफिक पुलिस की तानाशाही का वीडियो