
रामनवमी पर सरगुजा राजपरिवार की परंपरा: टीएस सिंहदेव ने की प्रथम पूजा
रामनवमी पर सरगुजा राजपरिवार की परंपरा का निर्वहन: श्रीराम मंदिर में महाराज टीएस सिंहदेव ने की प्रथम पूजा, भंडारे का हुआ आयोजन
सरगुजा, 6 अप्रैल। छत्तीसगढ़ के उत्तरी अंचल में स्थित सरगुजा अपनी ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक आयोजनों के लिए जाना जाता है। यहां के राजपरिवार की परंपराएं न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि आज भी सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को जीवंत बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रही हैं। ऐसी ही एक परंपरा है रामनवमी के दिन प्रभु श्रीराम के मंदिर में राजपरिवार के मुखिया द्वारा की जाने वाली प्रथम पूजा, जो बीते 95 वर्षों से निरंतर चली आ रही है।
सन 1930 में तत्कालीन सरगुजा महाराज स्वर्गीय मदनेश्वर शरण सिंहदेव के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण कराया गया था। यह मंदिर सरगुजा राज्य की धार्मिक आस्थाओं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अगाध श्रद्धा का प्रतीक है। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि रामनवमी के दिन सबसे पहली पूजा राजपरिवार के मुखिया या उनके प्रतिनिधि के द्वारा ही की जाती है।
परंपरा का निर्वहन करते हुए पहुंचे महाराज टीएस सिंहदेव
इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष भी रामनवमी के पावन अवसर पर सरगुजा राजपरिवार के वर्तमान मुखिया एवं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री महाराज टीएस सिंहदेव आज सुबह 11:30 बजे श्रीराम मंदिर पहुंचे। मंदिर परिसर में पहुँचते ही भक्तों और श्रद्धालुओं ने उनका आत्मीय स्वागत किया। वैदिक मंत्रोच्चार और ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच महाराज सिंहदेव ने विधिविधान से प्रभु श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की पूजा-अर्चना की।
पूजा के बाद महाराज ने कहा, “यह परंपरा हमारे पूर्वजों की भक्ति और जन आस्था का प्रतीक है। श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करना आज के समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है। मुझे गर्व है कि मैं इस परंपरा को निभा रहा हूं।”
मंदिर परिसर में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
रामनवमी के इस अवसर पर मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था। भगवा झंडों, फूलों की मालाओं और रंग-बिरंगी रोशनी से मंदिर परिसर की शोभा देखते ही बन रही थी। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ पड़ी थी। महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग – सभी आस्था और भक्ति में लीन दिखे। मंदिर प्रबंधन समिति द्वारा भक्तों के लिए दर्शन, पूजन और प्रसाद वितरण की व्यवस्था सुचारू रूप से की गई थी।
भंडारे का आयोजन, हजारों श्रद्धालुओं ने किया प्रसाद ग्रहण
पूजा के उपरांत मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भक्तों को पूड़ी, सब्जी, चावल, खीर और पंचामृत का वितरण किया गया। भंडारे की व्यवस्था इतनी सुसंगठित थी कि किसी को कोई असुविधा नहीं हुई। स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं और युवाओं ने इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
राजपरिवार और जनता के बीच मजबूत रिश्ता
सरगुजा राजपरिवार का यहां की जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव सदियों पुराना है। आज भी जब राजपरिवार के सदस्य मंदिर में आते हैं या किसी धार्मिक अथवा सामाजिक आयोजन में भाग लेते हैं, तो आम लोग उन्हें श्रद्धा और सम्मान से देखते हैं। यह रिश्ता सिर्फ सत्ता या प्रशासन का नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान और परंपरा का है।
धार्मिक पर्यटन को भी मिल रहा बढ़ावा
सरगुजा में स्थित यह ऐतिहासिक श्रीराम मंदिर धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। प्रत्येक वर्ष रामनवमी और अन्य प्रमुख पर्वों पर यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। राजपरिवार की उपस्थिति इस आयोजन को और भी गरिमामय बना देती है। पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन भी इस आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
भविष्य में और विस्तारित होगा आयोजन
इस बार के आयोजन को देखकर स्थानीय नागरिकों और धार्मिक संगठनों ने यह मांग उठाई कि आने वाले वर्षों में इसे और भी भव्य रूप में मनाया जाए। इसके लिए मंदिर परिसर के विकास, सड़क एवं पार्किंग सुविधा, जल व्यवस्था, और सुरक्षा इंतजामों को और बेहतर बनाने की आवश्यकता जताई गई है। राजपरिवार और मंदिर समिति ने इस दिशा में सहयोग का आश्वासन दिया है।
राजनीतिक व्यक्तित्व के साथ सामाजिक सरोकार भी
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव सिर्फ एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि वह सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में भी देखे जाते हैं। उन्होंने प्रदेश में स्वास्थ्य, शिक्षा और पंचायत स्तर के विकास कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई है। इस तरह के धार्मिक आयोजनों में उनकी सक्रिय भागीदारी जनता के साथ उनके जुड़ाव को और भी मजबूत बनाती है।