
SSC घोटाले के बाद नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों ने की ब्रत्य बसु से मुलाकात, सरकार से मांगी राहत
कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 25,000 SSC नियुक्तियाँ रद्द। नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से की मुलाकात, मांगा पुनर्वास।
SSC घोटाले में नियुक्तियाँ रद्द: शिक्षकों का दर्द और गुस्सा, शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से विकास भवन में की मुलाकात
रिपोर्ट: प्रदेश खबर डिजिटल टीम | दिनांक: 12 अप्रैल 2025 | स्थान: कोलकाता
पश्चिम बंगाल की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था में भूचाल लाने वाले स्कूल सेवा आयोग (SSC) घोटाले से जुड़े एक बड़े घटनाक्रम के बाद आज कोलकाता के विकास भवन में एक अहम दृश्य देखने को मिला। स्कूल सेवा आयोग द्वारा भर्ती किए गए 25,000 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति रद्द होने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को जब सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा, तो नौकरी गंवा चुके 12 शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मिलने पहुंचा।
इन शिक्षकों के चेहरों पर निराशा, असमंजस और पीड़ा साफ झलक रही थी। यह सिर्फ नौकरियों की बात नहीं थी, यह उन सपनों की बात थी जो वर्षों की मेहनत और प्रतीक्षा के बाद पूरे हुए थे – और अब एक अदालती आदेश से छिन गए।
क्या है मामला?
पश्चिम बंगाल में 2016 और उसके बाद के वर्षों में स्कूल सेवा आयोग (SSC) द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षाओं में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। आरोप थे कि योग्य उम्मीदवारों की अनदेखी कर अपात्र या पैसे देकर नियुक्तियाँ पाने वाले लोगों को नौकरी दे दी गई।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच के बाद SSC द्वारा की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया। यह आदेश टीचिंग और नॉन-टीचिंग – दोनों ही श्रेणियों के कर्मचारियों पर लागू हुआ। सुप्रीम कोर्ट में जब इस आदेश के खिलाफ अपील की गई, तो शीर्ष अदालत ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए दखल देने से इनकार कर दिया।
विकास भवन में भावनात्मक मुलाकात
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, 12 प्रभावित शिक्षकों का एक समूह शुक्रवार को कोलकाता के साल्ट लेक स्थित विकास भवन पहुंचा, जहां उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से मुलाकात की। इस मुलाकात में उन्होंने अपनी व्यथा सुनाई, दस्तावेज सौंपे और सरकार से अपील की कि वे उनके भविष्य के लिए कोई वैकल्पिक रास्ता निकालें।
एक शिक्षक की आंखों में आंसू छलक आए जब उन्होंने कहा –
“हमने कोई गलती नहीं की। हम तो सिर्फ परीक्षा देकर आए थे, इंटरव्यू में पास हुए और जॉइनिंग ली। अगर कोई गड़बड़ी हुई, तो वह आयोग की ओर से हुई। हमें क्यों सजा मिल रही है?”
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल कुछ शिक्षकों ने बताया कि वे बीते चार-पांच साल से सेवा में हैं। किसी ने शादी की, किसी ने घर खरीदा, किसी ने बूढ़े माता-पिता की जिम्मेदारी संभाली – और अब सब कुछ अधर में लटक गया है।
ब्रत्य बसु का आश्वासन
मुलाकात के बाद शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने मीडिया से बातचीत में कहा –
“हम इन शिक्षकों की पीड़ा समझते हैं। सरकार की मंशा किसी को अनावश्यक रूप से नुकसान पहुंचाने की नहीं है। हम कानूनी राय ले रहे हैं और देख रहे हैं कि कैसे इन योग्य शिक्षकों को न्याय मिल सके।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जल्द ही एक ठोस कार्ययोजना के साथ सामने आएगी, ताकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए भी उन शिक्षकों को राहत दी जा सके जो धोखाधड़ी का हिस्सा नहीं थे।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
यह मुद्दा अब केवल प्रशासनिक या न्यायिक नहीं रह गया, बल्कि तीव्र राजनीतिक विवाद का कारण भी बन गया है।
-
भाजपा ने टीएमसी सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि राज्य सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार ने हजारों युवाओं का भविष्य बर्बाद कर दिया।
-
सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने कहा, “यह घोटाला युवाओं के सपनों के साथ किया गया विश्वासघात है। अब सरकार राहत देने की बात कर रही है, लेकिन पहले इस भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी तो ले।”
-
टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने जवाब में कहा कि सरकार कोर्ट के आदेश का पालन कर रही है और निर्दोषों को राहत देने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिक्षकों की दुहाई – “हम दोषी नहीं, लेकिन सजा हमें”
नौकरी गंवाने वाले कई शिक्षक सोशल मीडिया पर भावनात्मक पोस्ट कर रहे हैं। कुछ ने लिखा कि वे मानसिक तनाव में हैं, कुछ ने अपने आर्थिक संकट का ब्योरा दिया, तो कुछ ने आत्महत्या जैसे कदमों का इशारा भी किया।
एक महिला शिक्षिका ने रोते हुए कहा –
“मेरे पति भी स्कूल में टीचर हैं। हमने दो बच्चों का स्कूल और लोन की ईएमआई चलाने के लिए दोनों की सैलरी पर भरोसा किया था। अब मैं क्या करूं?”
क्या विकल्प हैं इन शिक्षकों के पास?
कानूनी जानकारों के अनुसार, यदि सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियाँ रद्द करने का आदेश बरकरार रखा है, तो नियुक्तियों को बहाल करना अब असंभव है। लेकिन राज्य सरकार यदि चाहे, तो नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया चला सकती है जिसमें इन शिक्षकों को वरीयता दी जाए – बशर्ते वे योग्य पाए जाएं।
कुछ सुझाव यह भी हैं कि सरकार एक विशेष परीक्षण या मूल्यांकन करवा सकती है, जिससे यह तय हो कि कौन से शिक्षक वास्तविक योग्यता के आधार पर चयनित हुए थे।
जनता और सिविल सोसायटी की प्रतिक्रिया
इस घटनाक्रम के बाद शिक्षक संगठनों और नागरिक समाज के कई वर्गों ने भी सरकार से आग्रह किया है कि इस निर्णय से प्रभावित शिक्षकों को पुनर्वास दिया जाए।
प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. सुब्रतो मुखर्जी ने कहा –
“यह न्याय की प्रक्रिया है, लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि इसका मानवीय पहलू क्या है। यदि कोई शिक्षक पिछले 5 सालों से काम कर रहा है और उसने कुछ गलत नहीं किया, तो उसके लिए कोई व्यावहारिक समाधान जरूर निकाला जाना चाहिए।”
SSC घोटाले ने न केवल पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार किया है, बल्कि हजारों योग्य-अयोग्य सभी को एक ही चक्रव्यूह में उलझा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानूनी रास्ता भले ही संकीर्ण हो गया हो, लेकिन सरकार और समाज की जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रभावितों को अकेला न छोड़ें।
शिक्षकों की आज की मुलाकात एक संकेत है कि वे अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं – और सरकार से न्याय की आस में हैं।