
रामलला का दैनिक भोग, आरती, और अलौकिक श्रृंगार: अयोध्या दर्शन समय और प्रक्रिया
रामलला सरकार का अलौकिक श्रृंगार, बाल भोग से शयन तक की पूरी प्रक्रिया। जानें सुबह 6.30 बजे की पहली आरती, दोपहर 12 बजे की भोग आरती, 7.30 बजे तक दर्शन और 8.30 बजे शयन का समय। अयोध्या राम मंदिर की रसोई में तैयार विशेष व्यंजन और मौसम के अनुसार वस्त्र।
अयोध्या: रामलला की दिव्य दिनचर्या और कार्तिक शुक्ल तृतीया का अलौकिक श्रृंगार
अयोध्या धाम। संपूर्ण ब्रह्मांड के स्वामी, प्रभु श्री रामलला का प्रतिदिन भव्य श्रृंगार होता है और भक्तों को उनके अलग-अलग रूप के दर्शन प्राप्त होते हैं। राम मंदिर की रसोई में बने विशेष व्यंजनों का भोग उन्हें चार समय लगता है, जिसकी शुरुआत सुबह ‘बाल भोग’ से होती है।
रामलला की दैनिक चर्या: प्रभु रामलला की दिनचर्या सुबह 6:30 बजे पहली आरती से शुरू होती है। सबसे पहले उन्हें जगाया जाता है, जिसके बाद लेप लगाकर स्नान करवाया जाता है और फिर वस्त्र पहनाए जाते हैं। मौसम के अनुरूप उन्हें अलग-अलग वस्त्र पहनाए जाते हैं; गर्मियों में सूती और हल्के, तो जाड़े में स्वेटर और ऊनी वस्त्र।
आरती और शयन का समय: प्रभु की सेवा में दोपहर 12 बजे ‘भोग आरती’ और शाम 7:30 बजे ‘संध्या आरती’ होती है। इसके बाद, रामलला को रात्रि 8:30 बजे शयन करवाया जाता है। भक्तों के लिए रामलला के दर्शन का समय शाम 7:30 बजे तक ही रहता है।
26 अक्टूबर का विशेष श्रृंगार: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (विक्रम संवत 2082, 26 अक्टूबर, शुक्रवार) को ब्रह्मांड नायक श्री रामलला सरकार का शुभ और अलौकिक श्रृंगार हुआ। उनके लिए फूलों की मालाएं भी विशेष रूप से दिल्ली से मंगाई जाती हैं, जो उनके दिव्य स्वरूप में चार चांद लगाती हैं।












