छत्तीसगढ़राज्य

कॉर्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार की निगाह गरीब जनता की थाली पर : स्वामीनाथ जायसवाल

कॉर्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार की निगाह गरीब जनता की थाली पर : स्वामीनाथ जायसवाल

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नई दिल्ली भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामीनाथ जयसवाल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पेट्रोल और डीजल और गैस सिलेंडर पर लगातार धाम बढ़ाते हुए मोदी सरकार देश की गरीब जनता पर दोहोरी मार कर रही है पहले ही से ही करो ना कॉल के चलते लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं छोटे दुकानदार श्रमिक किसान रोजी-रोटी को तरस रहे हैं मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते देश आज विकट संकट के दौर से गुजर रहा है स्वामीनाथ ने कहा कि राहुल गांधी जी ने सही कहा था मोदी सरकार सिर्फ और सिर्फ पूंजीपतियों के इशारे पर उनके फायदे के लिए काम कर रही है इनको जनता से कोई लेना-देना नहीं है

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जयसवाल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारतीय अर्थव्यस्था को बुरी तरह नुकसान हुआ. कोरोना आने के बाद अर्थव्यवस्था धराशायी हो गई. सरकार के पास अब पैसा नहीं है. पेट्रोल और डीज़ल के जरिए सरकार चलाने के लिए वो ज़बरदस्ती आपकी जेब से पैसे ले रहे हैं.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, “पिछले 4-5 सालों के आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं. आपको एक रणनीति की जरूरत है. यह वह जगह है जहां हम एक समस्या में घिरे हैं. कुप्रबंधन काफी गहरा है. भारत के लिए इससे बाहर आना मुश्किल होगा.”अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में कमी के बावजूद पेट्रोल व डीज़ल के मूल्य में वृद्धि को लेकर किए गए सवाल पर जायसवाल ने कहा, “हमारा मानना है कि अर्थव्यवस्था को शुरू करने का तरीका यह है कि उपभोग शुरू किया जाए. लोगों को पैसा देने से वे चीज़ों का उपभोग करना और सामान खरीदना शुरू कर देंगे.” उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के काम करने के लिए सद्भावना का माहौल होना अनिवार्य है।
स्वामीनाथ जयसवाल ने कहा, “ आपको सद्भाव, शांति और सुकून की जरूरत है और आपको एक रणनीति चाहिए. इसी वजह से समस्या है.” जायसवाल ने कहा, मोदी सरकार ने विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज कर दिया था, इसने ऑक्सीजन, चिकित्सा और वेंटिलेटर के लिए आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने से इनकार कर दिया. सरकार हमारे लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समय पर टीकों के लिए पर्याप्त आदेश देने में भी विफल रही. इसके बजाय, सरकार ने जानबूझकर गैर-जरूरी परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित करने का विकल्प चुना जिसका लोगों की भलाई से कोई लेना-देना नहीं है.

Ashish Sinha

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