
अम्बिकापुर मे हो रहा अनूठा सत्याग्रह…..
२१ वी सदी मे सड़क के लिए सत्याग्रह
अम्बिकापुर मे हो रहा अनूठा सत्याग्रह…..
P.S.YADAV/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// संभाग की ख़राब सड़कों के विरुद्ध आम जनता के ग़ैरराजनीतिक संगठन सड़क सत्याग्रह के बैनर तले विशाल सत्याग्रह मार्च का आयोजन कल 28 November को शाम 4:00 बजे अम्बिकापुर घड़ी चौक से किया जाएगाl इस कार्यक्रम में आमजनो द्वारा घड़ी चौक से अम्बेडकर चौक तक मार्च किया जाएगा और वंहा से वापस आकर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास मोम बत्ती जलाने का कार्यक्रम निश्चित किया गया है ।सड़क सत्याग्रह के संयोजक़ो ने आमजनो से सपरिवार इस सत्याग्रह मार्च मे शामिल होने का अहव्हान किया है ।
सभी आमजनो से संयोजक मंडल द्वारा यह अपील भी की गयी है कि कार्यक्रम के दौरान कोविड प्रोटोकोल के पालन हेतु मास्क व समाजिक दूरी का अवश्य पालन करें और ठंड से सुरक्षा के लिए उचित वस्त्र धारण करें और यह सत्याग्रह किसी ग्राम या मुह्हले की सड़क के लिए नहीं बल्कि स्टेट और राष्ट्रीय राज मार्ग के लिए हो रहा हैl ग़ौरतलब है की सरगुज़ा संभाग दवाई, पढ़ाई और कमाई के लिए रायपुर बनारस राँची आदि पर निर्भर है । रेल और हवाई मार्ग के अभाव में सड़क ही सरगुज़ा के सम्पर्क का मुख्य माध्यम है । सरगुज़ा से निकलने वाला हर प्रमुख मार्ग पिछले ५-६ साल से या तो ख़राब है या निर्माणाधीन है !
निर्माण कार्य की गति इतनी धीमी है की जंहा देश के अन्य भागों मे रिकार्ड समय में विमान उतरने लायक़ सड़के तैयार हो रही है तो सरगुज़ा में ६ साल मे भी नहीं बन पा रहींl इससे सरगुज़ा का आमजन ठगा हुआ सा महसूस कर रहा है, जंहा तक प्रमुख राजनीतिक दलो का सवाल है दोनो ही दल एक दूसरे पर दोषारोपण कर कर्तव्य की इति मान लेते हैं और ईमानदार प्रयास की कमीं के कारण क्षेत्र छला हुआ महसूस करता हैl इसलिए सरगुज़ा के आम जन व प्रबुद्ध वर्ग ने स्वयं एक अभियान चलाया है जिसका नाम है सड़क सत्याग्रह ।
इस अभियान मे चिकित्सक है , वकील हैं , सामाजिक कार्यकर्ता हैं , राजनीतिक दलो के कार्यकर्ता भी हैं , मज़दूर भी है , ट्रांसपोर्टर है , बस मालिक है ,दुकानदार हैं , धार्मिक गुरु हैं , समाज प्रमुख हैं, बस एक चीज़ नहीं है वह है श्रेय और राजनीतिक उद्देश्य की लालसाl यह लोकतंत्र है और इसमें सबका हिस्सा है ,सब भागीदार हैं इस भावना के साथ यह आंदोलन खड़ा हुआ है । इस सत्याग्रह की सफलता ज़रूरी है सिस्टम को बताने के लिए आम जनता भी स्वयं खड़े होकर अधिकार माँग सकती है। जनता को तकनीकी ज्ञान से संतोष नहीं होता उसको सुविधा चाहिए और सुविधा समय से चाहिए। उसे नहीं मालूम की मामला राज्य का है या केंद्र का ( उसे जानना भी नहीं), लेकिन उसे मालूम है की मामला इन दोनो के बीच का है और वह चाहती है की मामला सुलझेl