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Chhattisgarh News: परिस्थितियाँ चाहें जैसी भी हों किसानों को खुशहाल बनाने के फैसले पर अडिग रहेंगे: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर : परिस्थितियाँ चाहें जैसी भी हों किसानों को खुशहाल बनाने के फैसले पर अडिग रहेंगे: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

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“महात्मा गांधी के सपने के अनुरूप छत्तीसगढ़ में सुराजी गांव की हो रही स्थापना”
“छत्तीसगढ़ सरकार और छत्तीसगढ़िया मिलकर कर रहे गौ-माता की सेवा”
“गाय, गोबर और स्वच्छता को हमने अर्थव्यवस्था से जोड़ा है”
“हमारी नीतियों की वजह से प्रदेश में डीएपी की कमी नहीं होगी”
किसान सम्मेलन और सम्मान समारोह के आयोजन में शामिल हुए मुख्यमंत्री

रायपुर 6 दिसंबर 2021मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि परिस्थितियाँ चाहें जैसी भी हों छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के किसानों और ग्रामीणों के हित में लिए गए निर्णय पर अडिग रहेगी। छत्तीसगढ़ के किसानों, ग्रामीणों, आदिवासियों, महिलाओं सहित सभी वर्गों को खुशहाल और स्वावलंबी बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता में है। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, बारदाने की आपूर्ति, कस्टम मिलिंग सहित कई अड़चनें केन्द्र सरकार द्वारा जानबूझकर पैदा की जा रही हैं, इसके बावजूद भी हम किसानों के हित पर आंच नहीं आने देंगे और राज्य में धान समर्थन मूल्य पर खरीदी जारी रहेगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर के एक निजी होटल में आयोजित किसान सम्मेलन एवं सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा विशेष रूप से मौजूद थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि, अभी कुछ दिन उनकी सरकार के तीन साल पूरे हो जाएंगे। यह सफर हमने छत्तीसगढ़ के हर वर्ग और समुदाय के लोगों के साथ मिलकर पूरा किया है। उन्होंने कहा कि, उनकी सरकार ने जनता का विश्वास जीता है। किसानों की ऋणमाफी, सिंचाई कर की माफी के साथ-साथ अपने वायदे के मुताबिक समर्थन मूल्य पर धान की लगातार खरीदी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में एक रुपए किलो में 65 लाख परिवारों को हर महीने 35 किलोग्राम चावल का वितरण किया जा रहा है। वहीं राज्य में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 25 सौ रुपए से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा के संग्रहण दर का भुगतान किया जा रहा है। राज्य में प्रतिवर्ष 600 करोड़ रुपए तेंदूपत्ता संग्राहकों को भुगतान किया जा रहा है। हमने लघुवनोपज की खरीदी भी 7 से बढ़ाकर 52 कर दी है, साथ ही इसका वैल्यू एडिशन भी किया जा रहा है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्जवलित कर कृषक सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का शुभारंभ किया।  
मुख्यमंत्री ने कहा कि, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने, फसल उत्पादकता बढ़ाने एवं फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को आदान सहायता राशि प्रदान की जा रही है। इस योजना में हमने खरीफ की सभी फसलों के साथ ही उद्यानिकी फसलों एवं वृक्षारोपण को भी शामिल किया है। खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 के किसानों को इस योजना के तहत तीन किश्त का भुगतान कर दिया गया है, चौथी किश्त का भुगतान मार्च तक कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर दीपावली से ठीक पहले 1 नवंबर को तीसरी किश्त के रूप में किसानों को किए गए भुगतान का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों, ग्रामीणों, मजदूरों के साथ-साथ व्यापारियों की भी दीपावली अच्छी रही।
    

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मुख्यमंत्री ने इस मौके पर छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा धान खरीदी के लिए भारत सरकार से 5.25 लाख गठान बारदाने की मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि अब तक राज्य को एक लाख गठान बारदाने भी नहीं मिल पाए हैं। इसके बावजूद भी हमने धान खरीदी की शुरुआत की और बारदाने का इंतजाम हम किसान भाइयों, राइस मिलर्स एवं पीडीएस दुकानों के माध्यम से कर रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य से इस साल केन्द्र सरकार ने उसना चावल लेने से इनकार कर दिया है। केन्द्र सरकार का यह फैसला छत्तीसगढ़ के किसानों, मिलर्स एवं मजदूरों के हक में सही नहीं है। इससे धान के निस्तारण में व्यवधान आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते साल हमने 92 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी, इस साल एक करोड़ पांच लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की उम्मीद है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य है जहां कोदो-कुटकी और रागी की भी समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था हमने की है। राज्य सरकार द्वारा इसका समर्थन मूल्य घोषित किया गया है।

    मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का कहना था कि हिंदुस्तान गांवों में बसता है। उनके ग्राम स्वराज के सपने के अनुरूप हम छत्तीसगढ़ में नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी कार्यक्रम के माध्यम से सुराजी गांव की स्थापना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव में गौ-माता की सेवा और जतन के लिए 7777 गौठान स्थापित किए जा चुके हैं। इन गौठानों में 2 रुपए किलो में गोबर की खरीदी की जा रही है। अब तक 57 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी कर हमने पशुपालक किसानों और ग्रामीणों को 114 करोड़ रुपए का भुगतान किया है। गौठानों में गोबर से हमारी महिला समूह की बहनें वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट बना रही हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में डीएपी उर्वरक की कमी को लेकर हाहाकार मचा था, छत्तीसगढ़ राज्य को भी केन्द्र सरकार ने पर्याप्त डीएपी की सप्लाई नहीं की, डिमांड के अनुरूप केवल 70 प्रतिशत डीएपी ही छत्तीसगढ़ को मिल पायी, लेकिन इसकी कमी को हमने गौठानों में बनी वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट से पूरा किया।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि डीएपी की आपूर्ति को लेकर जो वर्तमान परिस्थितियाँ हैं, उसे देखकर यह अनुमान है कि आने वाले समय में इसकी कीमतों में वृद्धि एवं आपूर्ति में कमी बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार डीएपी की कमी को लेकर पूरी तरह से चुप्पी साधे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को डीएपी न मिलने से खाद्यान उत्पादन में कमी आएगी और इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में डीएपी की कमी को हम वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट से पूरा करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने गौठानों में पशुधन के चारे के व्यवस्था के लिए पैरा दान की किसानों की गई अपील का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे राज्य में पराली जलाने पर रोक लगी है। गौठानों में पशुधन के लिए पर्याप्त चारा एकत्र होने लगा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य ने गौ-माता की सेवा के इस अभिनव कार्यक्रम को ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं रोजगार से जोड़ा है। गोबर बेचने से लोगों को अतिरिक्त आय होने लगी है, जिससे ग्रामीण अपनी आवश्यकता की पूर्ति तो कर रहे हैं, साथ ही उनके जीवनस्तर में भी सकारात्मक बदलाव आ रहा है।
    मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राज्य के उन्नतशील कृषकों एवं कृषि एवं उससे संबद्ध उत्पादन एवं व्यवसाय के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले स्व-सहायता समूहों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया। इस अवसर कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन, संचालक कृषि श्री यशवंत कुमार, जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा, वरिष्ठ पत्रकार प्रभु चावला सहित अन्य अधिकारी एवं बड़ी संख्या में किसानगण मौजूद थे।

Ashish Sinha

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