शासकीय मकानों में कई वर्षो से कब्जा कर कुंडली मार कर बैठे कर्मचारी…..
रायगढ़.. पुराना पुलिस मैदान स्थित सरकारी क्वार्टर में पुलिस मे कार्ययत् कर्मचरियों द्वारा विगत कई वर्षों से शासकीय क्वार्टर में क़ब्ज़ा जमाए हुए है जिनका दूसरे जिले या जिले के दूसरे थानों में स्थानांतरण होने के बावजूद इस शासकीय क्वार्टर में ताला लगा कर या अपने किसी रिश्तेदार को सौंप कर उस सरकारी मकान को अपने कब्जे में रखे हुए है इस सरकारी मकान का मोह नहीं छूट रहा है इस सरकारी मकान को कब्जा कर के रखे अधिकतर कर्मचारियों का स्वयं का निजी मकान बना हुआ है जिसको उनके द्वारा ऊँचे किराया पर देकर इस शासकीय मकान पर कुंडली मारकर कब्जा जमाए हुए है इस शासकीय मकानों को छोड़ने के लिए कई बार नोटिस मिलने के बावजूद इस क्वार्टर का
मोह नहीं छूट रहा है इसके लिए कोई उच्चअधिकारी भी किसी प्रकार की रुचि नहीं ले रहे है जो अनेक संदेहों के दायरे में आते है
जिस समय इस सरकारी क्वार्टर का निर्माण होने के उपरांत विभाग के कर्मचारी को दिया गया उस समय तत्कालीन पुलिस महानिदेशक डी एम अवस्थी ने सौंपते हुए ये कहा था की ये 28 क्वार्टर उन पुलिस वालों को मिलेगा जिनको इसकी जरूरत हैं समय आने पर तत्काल हमे जवान उपलब्ध हो परंतु आज इस सरकारी मकान पर कुंडली मारकर कब्जा जमाए हुए लोगों को इस सरकारी मकान की मोह कब हटेगा
इस में निवास करने वाले अधिकतर लोगों का स्वयं का निजी मकान यही स्थित है जिन्हें अच्छे किराये पर देकर मुनाफा कमा रहे है और फ्री में सरकारी मकान पर कब्जा जमाए हुए है अगर इन मकान को खाली करा कर जरूरत मंद को देना उचित होगा
इस बात पर अधिकारियों को जरूर संज्ञान लेना चाहिए
इस पर उचित कार्यवाही कर शहर मे स्थित उनके निजी मकानों की जांच करने पर हर मकान किराए पर देकर मुनाफा कमा रहे हैं यह स्पष्ट हो जायेगा पहले इसकी जांच होकर सभी को आदेश दिया गया था जिस पर कुछ गिने चुने ही कर्मचारी जिनकी पकड़ ऊपर तक नहीं है वे स्वत शासकीय मकान खाली कर अपने निजी मकानों में शिफ्ट हो गए परंतु ऊंची पकड़ रखने वाला छोटे ओहदे का भी कर्मचारी अभी भी शासकीय मकानों में कई वर्षो से डेरा जमाए बैठे है उन पर सरकारी आदेश का कोई फर्क नहीं पड़ता . धन्य है अधिकारी जो छोटे ओहदे के कर्मचारी के सामने बौने नजर आते है
अभी भी यहा तैनात कई जरूरत मंद कर्मचारी इधर उधर किराए के मकान लेकर रह रहे है परंतु अधिकारी उन्हे शासकीय मकान दिलाने में असमर्थ नजर आ रहे है
इस शासकीय मकानों को बने एक युग बीत गए परन्तु अभी भी कई यहां डेरा डाले हुए है लगता है की ये लोग रिटायरमेंट होने तक इस मकान को अपने नाम कर लिये है
इसलिए उच्च अधिकारी को इस बात को जरूर गंभीरता से लेकर शासकीय मकान को कब्जा मुक्त कर जरूरत मंद कर्मचारी को देना उचित है ??????