छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिराज्यरायपुर

बहनों की स्वागत के लिए तैयार है मुख्यमंत्री निवास

रायपुर : बहनों की स्वागत के लिए तैयार है मुख्यमंत्री निवास

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM

व्यापक रूप से मनाये जाएंगे छत्तीसगढ़ के पारम्परिक त्यौहार ‘पोला व तीजा‘

के पारम्परिक त्यौहार ‘पोला
छत्तीसगढ़ में तीज, त्यौहारों की एक समृद्ध परम्परा है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के सरंक्षण और संर्वधन के लिए प्रदेश में हरेली, तीजा, माता कर्मा जयंती, छठ पूजा और विश्व आदिवासी दिवस के दिन न केवल सार्वजनिक अवकाश की शुरूआत की है, बल्कि इन लोक पर्वों के महत्व से आने वाली पीढ़ी को जोड़ने के लिए इन्हें जन सहभागिता से पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। स्थानीय त्यौहारों को जन सहभागिता के जोड़कर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ की संस्कृति का संवर्धन एवं संरक्षण करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के पारम्परिक त्यौहार पोला एवं तीज को व्यापक स्तर पर मनाने के लिए मुख्यमंत्री निवास में तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। हरेली पर्व की तरह ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर स्थित निवास पर इन दोनों पारम्परिक त्यौहारों को व्यापक स्तर पर मनाया जाएगा।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

व तीजा‘
पोला व तीज पर्व के लिए मुख्यमंत्री निवास में विशेष तैयारियां की गई हैं और तीज मना रही माताओं एवं बहनों की स्वागत के लिए ये पूरी तरह से तैयार है। मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति रिवाज के अनुसार साज सज्जा की गई है। मुख्यमंत्री निवास में पहले पोला पर्व का आयोजन होगा। इस मौके पर नंदी बैल की पूजा की जाएगी, इसी के साथ ही यहां पर तीजा महोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। तीजा महोत्सव के लिए प्रदेश के विभिन्न स्थानों से तीजहारिन माताओं एवं बहनों को मुख्यमंत्री निवास के लिए आमंत्रित किया गया है। इस अवसर पर बहनों द्वारा करूभात खाने की रस्म पूरी की जाएगी और छत्तीसगढ़ के पारम्परिक खेलों का आयोजन किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ का पोरा तिहार मूल रूप से खेती किसानी से जुड़ा पर्व है। खेती किसानी में बैल और गौवंशी पशुओं के महत्व को देखते हुए इस दिन उनके प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा है। छत्तीसगढ़ के गांवों में इस पर्व में बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है। उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं। घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़चीला, गुलगुला, भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है। इस पर्व के अवसर पर बैलों की दौड़ भी आयोजित की जाती है।
छत्तीसगढ़ में तीजा (हरतालिका तीज) की विशिष्ट परम्परा है, तीजहारिन महिलाएं तीजा मनाने ससुराल से मायके आती हैं। तीजा मनाने के लिए बेटियों को पिता या भाई ससुराल से लिवाकर लाते है। छत्तीसगढ़ में तीजा पर्व की इतना अधिक महत्व है कि बुजुर्ग महिलाएं भी इस खास मौके पर मायके आने के लिए उत्सुक रहती हैं। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए तीजा पर्व के एक दिन पहले करू भात ग्रहण कर निर्जला व्रत रखती हैं। तीजा के दिन बालू से शिव लिंग बनाया जाता है, फूलों का फुलेरा बनाकर साज-सज्जा की जाती है और महिलाएं भजन-कीर्तन कर पूरी रात जागकर शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!