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नोएडा ड्रग्स सिंडिकेट : क्रिप्टो करेंसी से हुआ लेनदेन, टेरर फंडिंग से भी जुड़े कनेक्शन

नोएडा ड्रग्स सिंडिकेट : क्रिप्टो करेंसी से हुआ लेनदेन, टेरर फंडिंग से भी जुड़े कनेक्शन

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ग्रेटर नोएडा/ गौतमबुद्ध नगर पुलिस को बुधवार को बड़ी कामयाबी हाथ लगी थी। पुलिस ने 300 करोड़ की ड्रग्स को रिकवर करते हुए अफ्रीकी मूल के 9 नागरिकों का एक गिरोह पकड़ा है जो ग्रेटर नोएडा में रहकर बड़े पैमाने पर ड्रग्स बना रहे थे। इस गिरोह की अपनी एक लैब भी थी। पुलिस इस मामले को लेकर कई पहलुओं पर जांच कर रही है जिनमें ड्रग्स कार्टेल, क्रिप्टो करेंसी और टेरर फंडिंग शामिल है। साथ ही अब इस मामले की जांच जल्द ही एनसीबी समेत अन्य एजेंसियां भी कर सकती हैं। नोएडा पुलिस कमिश्नर के मुताबिक जिस हालत में यह लैबोरेटरी पकड़ी गई है, उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां लंबे समय से ड्रग्स बनाया जा रहा था। पुलिस ये भी जांच कर रही है कि उत्तर भारत समेत देश के अन्य राज्यों और शहरों में कहां-कहां यह ड्रग सप्लाई की जा रही थी। पुलिस कमिश्नर ने यह भी संभावना जताई है कि ग्रेटर नोएडा में ड्रग्स फैक्ट्री से ड्रग्स विदेशों में भी भेजे जा सकते हैं।

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इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात पता चली है कि पकड़े गए सभी विदेशी नागरिकों के पास से ना कोई एटीएम ना कोई बैंक खाता बरामद हुआ है। जिसके बाद पुलिस इस नतीजे पर भी पहुंची है कि सारा लेनदेन क्रिप्टो करेंसी से हुआ होगा। कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के मुताबिक अफ्रीकी मूल के नागरिकों के पास कोई बैंक खाता, एटीएम या वित्तीय दस्तावेज नहीं मिला है। शुरूआती पूछताछ में पता चला है कि क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसों का लेन-देन किया जा रहा था। यही वजह है कि उनके पास बैंक खाता और एटीएम जैसे कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं। ये लोग पैसे कैसे ले रहे थे और उस पैसे को कहां ट्रांसफर कर रहे थे? इन सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। उनके वित्तीय लेनदेन और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का पता लगाया जाएगा।

लक्ष्मी सिंह ने यह भी बताया कि नार्को और टेरर कनेक्शन एक आम बात रही है। दोनों में कनेक्शन हो सकता है। पुलिस ने इस बारे में सूचना केंद्रीय एजेंसियों को दे दी है। लखनऊ स्थित सेंट्रल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) को पूरी जानकारी भेज दी गई है। दोनों एजेंसियां जांच में सहयोग करेंगी।

Ashish Sinha

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