
सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री का पूजा कर पतियों का लंबी उम्र के कामना की
गोपाल सिंह विद्रोही विश्रामपुर – सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा की
आज बट सावित्री की पूजा नगर की विभिन्न कालोनियों की सुहागिन महिलाओं ने वट सावित्री की पारंपरिक परिधान में पूजा अर्चना करने वटवृक्ष के पास पहुंची तथा अपने पतियों की दीर्घायु के लिए बरगद के पेड़ में लाल कलेवा अक्षत चंदन आदि पूजन सामग्रियों का समर्पण कर लंबी उम्र की दुआएं की। इस कड़ी में गौरी शंकर मंदिर स्थित बरगद के पेड़ में पूजा अर्चना करने सुहागिनों की भीड़ देखी गई ।
पुरानी परंपरा के अनुसार वट सावित्री के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर बरगद के पेड़ की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं. प्राचीन कथाओं की मानें तो इस दिन माता सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस ले आई थीं. इसलिए इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं और बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं।
नगर में बरगद पेड़ का टोटा
विकास के नाम पर नगर के पुराने वटवृक्ष काट दिए गए हैं, कुछ पुराने वृक्ष लोगों के बाड़ियों में कैद है। सार्वजनिक स्थल पर दूर तक बरगद के पेड़ देखने को नहीं मिलते । कहीं-कहीं बहुत खोजने पर वट वृक्ष का दर्शन हो पाता है। इसी कड़ी में गौरी शंकर मंदिर परिसर में एक बरगद का वृक्ष स्थित है जहां पर नगर की महिलाओं ने पूजा अर्चना कर अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना की। अमर वृक्ष माने जाने वाला बरगद का पेड़ गायब हो गए है।पर्यावरण प्रेमी, आम जनमानस, वन विकास निगम या वन विभाग कोई इस ओर पहल नहीं कर पा रहा है। यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में वट वृक्ष केवल किताबों में ही आने वाली नई पीढ़ियों को पढ़ने और समझने के लिए रह जायेगा ।