
पशुओं में लम्पी रोग के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश
पशुओं में लम्पी रोग के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश
नई दिल्ली, पशुओं में लम्पी रोग के बढ़ते मामलों पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पशुओं की यह विनाशकारी बीमारी भैंस और अन्य पशुओं को अपना शिकार बनाती है। केंद्र सरकार द्वारा खासतौर पर दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के पशुपालकों की चिंताओं को दूर करने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
क्षेत्र से सत्यापन के अनुसार, दार्जिलिंग और कलिम्पोंग में एलएसडी के कारण मवेशियों की मौत नहीं हुई है। दार्जिलिंग में लगभग 400 और कलिम्पोंग में 2000 गैर-टीकाकृत मवेशी संक्रमित थे, जिनमें से क्रमश 200 और 1200 पहले ही स्वस्थ हो चुके हैं।
रोग के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मवेशियों के रिंग टीकाकरण सहित अन्य संक्रमित मवेशियों का उपचार चल रहा है। दोनों जिलों में भेड़, बकरियों में एलएसडी की कोई रिपोर्ट नहीं है और संक्रमण मुख्य रूप से गैर-टीकाकृत मवेशियों में पाया गया है, स्थिति नियंत्रण में है।
केन्द्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी (एफएएचडी) मंत्री परशोत्तम रुपाला ने पश्चिम बंगाल के कलिम्पोंग और दार्जिलिंग जिलों में लम्पी रोग (एलएसडी) के बढ़ते मामलों को लेकर दार्जिलिंग लोकसभा सीट से सांसद राजू बिस्टा के पत्र में अपनी चिंताओं से अवगत कराने के बाद त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
इसके बाद पशुपालन और डेयरी विभाग ने कार्रवाई करते हुए राज्य और जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय से उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक इस बीमारी के नियंत्रण के लिए विभिन्न उपायों को लागू कर रहा है। वहीं निगरानी विभाग ने निकास योजना के माध्यम से निगरानी रणनीति तैयार कर ली है और सभी राज्यों को इसे भेज दिया गया है।
नैदानिक सुविधाएं इस क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध हैं और क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (आरडीडीएल), कोलकाता को एलएसडी के पीसीआर परीक्षण के माध्यम से मवेशियों की निगरानी के लिए अधिकृत और वित्तीय रूप से समर्थित किया गया है और इसकी सूचना राज्य को दी गई थी। टीकाकरण कार्यक्रम राज्यों को नियमित रूप से नियंत्रित और निवारक रणनीति के अनुसार टीकाकरण करने की सलाह दी गई है।
टीकों की खरीद के लिए एक समान दरों के बारे में राज्य को सूचित कर दिया गया है। एएससीएडी के तहत पश्चिम बंगाल सहित राज्यों को 60 अनुपात 40 के हिस्से के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
मंत्रालय के मुताबिक प्रभावित क्षेत्र का आकलन करने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (एनईआरडीडीएल), गुवाहाटी और पूर्वी क्षेत्रीय रोग निदान प्रयोगशाला (ईआरडीडीएल), कोलकाता के एक-एक अधिकारी वाली केंद्रीय टीम का जमीनी स्थिति और निश्चित समय सीमा में एलएसडी के नियंत्रण, रोकथाम और राज्य एएचडी का सहयोग करने के लिए गठन किया गया है।