छत्तीसगढ़बेमेतराराज्य

भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को दे रही नई पहचान – आशीष छाबड़ा

भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को दे रही नई पहचान – आशीष छाबड़ा

बेमेतरा – विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर के पिकरी एवं सिंघौरी में आयोजित पोला महोत्सव में मुख्य अतिथि बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा शामिल हुए। नांदिया बैला की पूजा-अर्चना कर क्षेत्र की निरंतर उन्नति और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए बधाई एवं शुभकामनाएं दिए। इस अवसर पर विधायक आशीष छाबड़ा ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। तीजा पोरा तिहार हमारी छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्यौहार में से एक हैं, राज्य सरकार छत्तीसगढ़ की संस्कृति को बढ़ावा देने तीज त्यौहारों जैसे तीजा, हरेली, कर्मा जयंती में शासकीय अवकाश घोषित कर लोगों को बड़ी सौगात दी है, इससे कामकाजी महिलाएं भी तीजा जैसे त्यौहार में अपने मायके में रहकर मना रही हैं। आज के वर्तमान परिवेश में जगह-जगह तीजा पोरा मिलन के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, यह देखकर बड़ी प्रसन्नता होती है कि हम अपनी गौरवशाली परंपरा और संस्कृति से आज भी जुड़े हुए हैं और उसे आगे बढ़ा रहे हैं। प्रदेश में जब से कांग्रेस की सरकार बनी हैं तभी से ही प्रदेश के युवाओं को माटी एवं संस्कृति से जुड़ने का एवं गौरवशाली परंपरा को करीब से जानने का अवसर प्राप्त हुआ हैं। पूर्ववर्ती सरकारों में लगातार छत्तीसगढ़ी तीज त्योहारों एवं लोक कलाकारों एवं परंपरा की उपेक्षा की गई, किन्तु अब हरेली, तीजा, पोरा जैसे त्योहार मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश भर में मनाए जाते हैं। कभी सांस्कृतिक कार्यक्रम में फ़िल्म इंडस्ट्री से कलाकार बुलाए जाते थे, पर अब छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को अवसर मिलता हैं। विश्व आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध करने वाले पोरा तिहार का अपना महत्व हैं। कृषि प्रधान देश में धान का कटोरा कहलाने वाले प्रदेश में बैलों की जोड़ी से बने खिलौने बच्चों को भी पशुधन के महत्व को सहजता से समझाते हैं। पोरा तिहार में हमारे बैलों की मुख्य भूमिका होती हैं, दरअसल हमारा छत्तीसगढ़ प्रदेश पूर्ण रूप से कृषि प्रधान राज्य हैं, जहां किसान साथी साल भर खेती करता हैं। बैल खेती का मुख्य साधन जो खेतों में जुताई से लेकर, खेतों के सम्पूर्ण कार्य में अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं, किसान साथी अपने बैलों के प्रति समर्पण का भाव व्यक्त करने के लिए व सम्मान देने के लिए इस पर्व में बैलो को सुबह-सुबह नहला धुला कर बैलों का साज श्रृंगार कर पूजा अर्चना करता हैं। छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति हमारी धरोहर हैं, छत्तीसगढ़ की पहचान न केवल भारत वर्ष में अपितु विदेशो में भी हैं। प्रदेश में जब से यसस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने है तब से प्रदेश की खुशहाली, एकजुटता, विकास हमारी बोली भाख़ा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। पूरे विश्व में प्रसिद्ध हमारे भारत की सस्कृति हैं। देश में हमारे छत्तीसगढ़ की सस्कृति की अलग ही पहचान हैं। इस अवसर पर शकुन्तला मंगत साहू अध्यक्ष नगर पालिका परिषद बेमेतरा, सुमन गोस्वामी अध्यक्ष शहर कांग्रेस कमेटी बेमेतरा, मनोज शर्मा, ललित विश्वकर्मा, रश्मि मिश्रा, मिथलेश वर्मा, आशीष ठाकुर, रेहाना रवानी, जया साहू, जनता साहू, कन्हैया वर्मा, जयप्रकाश साहू, रीता पाण्डे, देवशरण गोसाई, बहल वर्मा, ऋषि गुप्ता, ध्रुव गुप्ता, लक्ष्मी डेहरे, इतवारी वर्मा, यासिफ खान, गुरेंद्र वर्मा, जितेंद्र ढीमर, इंदु सजूला, रूबी सलूजा, सुरेन्द्र वर्मा, गोलू वर्मा, कुमार वर्मा, भानु साहू सहित बड़ी संख्या में नगरवासी उपस्थित रहें।

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM
Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!