
रिपोर्ट-रिखीराम नागेश ब्यूरो चीफ/गरियाबंद जिले के विकासखण्ड मैनपुर क्षेत्र के धान खरीदी केन्द्रों में अब धान खरीदी कार्य पूर्ण होेने के बाद बदहाल और अव्यवस्था का आलम है, धान खरीदी केन्द्रों में लगातार हो रही रूक रूक के बारिश से लाखों क्विंटल धान के बोरे जंहा पानी में भीग जाने से धान के खराब होने की संभावना है तो वही कई धान खरीदी केन्द्रों में धान के बोरे बारिश के पानी में भीेगने से अंकुरण भी हो रहा है, जिससे भारी नुकसान होने की संभावना है साथ ही धान के बोरों को चुहों के दलो के द्वारा कुतर देने से भी भारी नुकसान हो रही है, मिली जानकारी के अनुसार मैनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में 15 धान खरीदी केन्द्र मैनपुर, जिड़ार, शोभा, बम्हनीझोला, उरमाल, तेतलखुंटी, ढोढर्रा, काण्डेकेेला, खोखमा, धौराकोंट, गोहरापदर,मुडगेमलाल, झरगांव, सीनापाली, अमलीपदर में धान की खरीदी की गई है लेकिन धान खरीदी के बाद परिवाहन की स्थिति बेहद धीमी है, धान के उठावा नही होने के कारण लाखों क्विटल धान जाम पडे हूए है, सिर्फ मैनपुर उपार्जन केन्द्र में 18 हजार 517 क्विंटल धान की अब तक परिवाहन नही हो पाया है बम्हनीझोला में 6 हजार 508 क्विंटल, शोभा में 7932 क्विंटल, जिडार में 10484 क्विंटल, कांण्डेकेला में 19423 क्विंटल, खोखमा में 9791 क्विंटल, उरमाल में 2955 क्विंटल, धौराकोंट में 6358 क्विंटल, गोहरापदर में 8189 क्विंटल, अमलीपदर में 20391क्विंटल , मुडगेलमाल में 25034 क्विंटल, तेतलखुंटी में 6732 क्विंटल, ढोढर्रा में 30579 क्विंटल, झरगांव में 8296 क्विंटल एंव सीनापाली में 11207 क्विंटल कुल 1 लाख 92 हजार 361 क्विंटल धान का परिवाहन अब तक तीन माह में नही हुआ है, और धान खरीदी केन्द्रो में लगातार पिछले एक माह से आठ से दस बार हुई रूक रूककर बारिश से लाखों बोरा धान पानी में भीग जाने से धान के बोरों कई जगह अंकुरण हो गया है यही स्थिति पुरे विकासखण्ड क्षेत्र के अन्य धान खरीदी केन्द्रों में भी देखने को मिल रहा है, जिससे भारी नुकसान होने की संभावना है धान खरीदी केन्द्रों में कई स्थानों पर आंधी तुफान से धान के बोरियों को ढांक कर रखे गए पालिथिन त्रिपाल फट जाने से अब खुले आसमान के नीेचे धान की बोरिया पडी हुई है बावजूद इसके धान के उठावा के लेकर कोई गंभीरता नही दिखाई जा रही है साथ ही धान खरीदी केन्द्रों में चुहे के दलों के द्वारा भारी नुकसान पहुचाया जा रहा है धानों के बोरियों को चुहों के द्वारा काट देने से भी भारी नुकसान हो रहा है, जिससे इसका नुकसान समितियो को उठाना पडेगा, और समिति अध्यक्ष व सदस्यो में भारी नराजगी देखी जा रही है, लगातार धान की उठावा की मांग को लेकर पत्र भेजे जा रहे है, लेकिन इस ओर ध्यान नही दिया जा रहा है।