
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकारों को किया सम्मानित
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकारों को किया सम्मानित
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित 12 पुस्तकों का किया विमोचन
मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा: छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के गाड़ा-गाड़ा बधई!
आज राजधानी के न्यू सर्किट हाउस म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के कार्यक्रम म सामिल होयेंव।
ये सुग्घर बेरा म छत्तीसगढ़ी भाखा के सेवा करईया, कवि-लेखक मन के रचना के विमोचन करे हन, संगे-संग छत्तीसगढ़ के मान बढ़ईया विभूति मन ला सम्मानित करे हन।
कार्यक्रम म रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, राजभाषा आयोग के पूर्व सचिव पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे, पूर्व सदस्य डॉ. रामेंद्र नाथ मिश्र संग अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहिन।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकारों को किया सम्मानित
रायपुर /छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ी भाषा को सुधारने वाले छह साहित्यकारों को शॉल-श्रीफल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उनके अलावा, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ी में लिखित बारह पुस्तकों का विमोचन हुआ। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में डॉ. सुरेन्द्र दुबे और डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा को विकसित करने में योगदान देने वाले छह वरिष्ठ साहित्यकारों को सम्मानित किया. ये लोग धमतरी के सुरजीत नवदीप, रायपुर के डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, धमतरी के पुनीत गुरुवंश, रायपुर के डॉ. सुखदेव राम साहू सरस, सरगुजा के शिवब्रत सिंह पावले और दंतेवाड़ा की श्रीमती शकुंतला शेंडे थे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में डॉ. पी. सी. लाल यादव की पुस्तक ‘‘लोरिक चंदा’’, सुशील भोले की पुस्तक ‘‘कोंदा-भैरा के गोठ’’, अनिल जांगड़े की रचना ‘‘चहकत चिरइया’’, डॉ. जय भारती चन्द्राकर की पुस्तक ‘‘छत्तीसगढ़ी महिला कलमकार ले मुहांचाही’’, श्री सेवकराम बांधे की पुस्तक ‘‘डोकरी दाई के कहिनी’’, गिरवर दास मानिकपुरी की पुस्तक ‘‘गिरवर गोठ गीत गजल’’, डॉ. शैलचन्द्रा की पुस्तक ‘‘गोदावरी’’, डॉ. किशन टंडन की पुस्तक ‘‘कठवा’’, ओमप्रकाश साहू की पुस्तक ‘‘पुरखा के सुरता’’, लोकनाथ साहू ललकार की पुस्तक ‘‘पुरखौती’’, श्रीमती धनेश्वरी सोनी गुल की पुस्तक ‘‘रिया के चाय’’, अमोलदास टंडन की पुस्तक ‘‘सौंजिया के दिन बहुरेंगे’’ की पुस्तक का विमोचन किया।