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भारत-न्यूजीलैंड मैच में जनता के 5000 करोड़ डूबे

रायपुर। राजधानी रायपुर के शहीद वीरनारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में बीते 21 जनवरी को खेले एक दिवसीय क्रिकेट मैच में सटोरियो की चांदी रही। इस मैच में भारत के पक्ष में जोरदार सट्टा लगा। खबर के अनुसार इस मैच में अकेले रायपुर में ही लोगों के 5हजार करोड़ से ज्यादा डूबे। इसका असर यह हुआ कि बाजार में नगदी का संकट हो गया है और कारोबारी रकम जुटाने हाथ-पांव मार रहे हैं। वन-डे मैच खेले जाने के पहले से ही राजधानी में देशभर के नामी सटोरियों से लेकर खाईवालों के एजेंट रायपुर में कैम्प जमा चुके थे। राजधानी के प्राय: हर होटल में सटोरियों ने डेरा जमा लिया था। अहमदाबाद-राजकोट, मुंबई-थाने से लेकर दूसरे बड़े शहरों और आनलाइन बैंटिग के हब दुबई से सट्टा आपरेट हो रहा था। सटोरिए अमर रावलानी, कमल रुपरेला से लेकर रायपुर के बड़े सटोरिये अनिल आलू के एजेंट भी राजधानी में इस मैच के दौरान कैम्प किए हुए थे। रात भर मना जीत का जश्न वन-डे मैच में भारत की जीत के बाद पूरी रात सटोरियों-खाईवालों ने एजेंट के साथ होटलों में पार्टी की। जश्न का पूरा दौर पुलिस की निगरानी में चला। डीजे-डांस और जाम के साथ बुकियों-खाईवालों ने भारत की जीत सेलिब्रेट किए। कैसे चलता है सट्टेबाजी का धंधा संचार के नए साधनों के आने के साथ ही सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग इतना बड़ा धंधा हो गया है कि सोचा नहीं जा सकता। इसका नेटवर्क बुहत ही व्यापक है। कराची, जोहानसबर्ग और लंदन जैसे शहर इसके प्रमुख गढ़ हैं। 80 और 90 के दशक में जब वन-डे क्रिकेट के आयोजन शारजाह में शुरू हुए तो इसे और पंख लगे।रेट कैसे तय होते हैं भारत में क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है। इसके रेट दुबई या पाकिस्तान में तय होते हैं। वहां से रेट की जानकारी भारतीय उपमहाद्वीप के सटोरियों और अन्य जगहों पर धंधे से जुड़े लोगों को पहुंचाई जाती है। ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं। फिर वहां से बड़े बुकिज़ और फिर वहां से छोटे बुकिज़ के पास पहुंचते हैं। अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रुपए मिलेंगे। दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते हैं। लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है, वो अगर हार गई तो लगाया  में कैसे चलता है ये ‘खेलÓ सट्टे पर पैसे लगाने वाले को पंटर कहते हैं। वहीं सट्टे के स्थानीय संचालक को बुकी कहा जाता है। सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टा लगाने वाले पंटर दो शब्दों खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी टीम को फेवरेट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाया कहते हैं। ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं। क्या होता है सट्टेबाजी का डिब्बा जिस इंस्ट्रूमेंट में ये रेट आते हैं, उसे सट्टेबाजी की दुनिया में डिब्बा कहा जाता है। ये दरअसल संचार का ही एक उपकरण होता है। जो टेलीफोन लाइन या मोबाइल के जरिए चलता है। इस डिब्बे पर सट्टेबाजी के रेट आते हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लाइन का ही करोड़ों, अरबों का व्यवसाय है। ये डिब्बा आमतौर पर सटोरियों और मुख्य सटोरियों के पास होता है लेकिन पंटर भी ये कनेक्शन ले सकते हैं। इसके बदले उन्हें इसका कनेक्शन और किराया देना होता है। डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर से होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है।  क्या होता रेट का कोड वर्ड मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है। जीत तक भाव चढ़ते उतरते हैं। एक लाख को एक पैसा, 50 हजार को अठन्नी, 25 हजार को चवन्नी कहा जाता है। अगर किसी ने दांव लगा दिया और वह कम करना चाहता है तो फोन कर एजेंट को ‘मैंने चवन्नी खा ली कहना होता है। कहां तय होते हैं कोड वर्ड करोड़ों के सट्टे में बुकीज कोड वर्ड के जरिए हर गेंद पर दांव चलते हैं। हैरानी की बात है कि ये कोड नेम हिंदुस्तान से नहीं बल्कि जहां से सट्टे की लाइन शुरू होती है, वहीं इन कोड नेम का नामकरण किया जाता है। जी हां, ये कोड दुबई और कराची में रखे जाते हैं। कोड वर्ड का ये सारा खेल मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच से बचने के लिए किया जाता है। सट्टे की अनिवार्य शर्तें क्रिकेट मैच में सट्टा आंख बंद करके नहीं लगाया जाता। बुकीज और पंटर दोनों भाव लगाने व खोलने से पहले यह भी देखते हैं कि मैच किन दो टीमों के बीच खेला जाएगा। यही नहीं मैच किस जगह खेला जाएगा, पिच किस प्रकार की होगी, वहां का तापमान कैसा होगा तथा टीम में कौन-कौन खिलाड़ी होंगे। ये सब जानने के बाद किसी मैच में सट्टा भाव तय होता है। फिक्सिंग से अलग है सट्टेबाजी कई लोगों को लगता है कि सट्टेबाजी का मैच फिक्सिंग से गहरा ताल्लुक होता है, लेकिन सट्टेबाजी व फिक्सिंग दो अलग बातें हैं। खेलों में अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग का कारोबार करीब पांच साल पहले सीबीआई के एक सेमिनार में वो तीन नाम उजागर किए गए थे। जो एशिया में बैठकर पूरी दुनिया में खेलों की अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग को अंजाम देते हैं। ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा धंधा खड़ा किया। ये इतने सुव्यवस्थित तरीके से चलता है कि सोचा भी नहीं सकते। खेलों में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा कारोबार भी संगठित और संरचनात्मक ढंग से एशिया में जड़ें जमा चुका है। वर्ष 2014 में खेलों में सट्टेबाजी 38 लाख डॉलर की मानी गई थी। ये तीन नाम हैं खेलों की सट्टेबाजी के दिग्गज इस धंधे के एशिया के बड़े माफियाओं में जिस तीन चार लोगों का नाम उभरता है- उनके नाम पेरूमल, सेंतिया और कुरुसामी हैं। पुलिस, इंटरपोल उन्हें तलाश रही है। लेकिन वो उनके आसपास भी नहीं पहुंच पातीं। खेलों का अवैध फिक्सिंग औऱ सट्टेबाजी का धंधा उतना छोटा और स्थानीय नहीं है, जैसा हम सोचते हैं बल्कि कहीं ज्यादा बड़ा और संगठित है। पहला अंतराष्ट्रीय मैच: बीसीसीआई से राज्यपाल अनुसुईया उईके खफा राजधानी में भारत न्यूज़ीलैंड के मध्य हुए पहला अंतराष्ट्रीय मैच में राज्यपाल अनुसुईया उईके को आमंत्रण नहीं मिला। क्चष्टष्टढ्ढ ने राज्यपाल को निमंत्रण नहीं दिया था। राजभवन की तरफ से इस पर आपत्ति जताई जा सकती है। इस पर राज्यपाल ने कहा कि प्रोटोकॉल के तहत बुलाना चाहिए था, जो भी परिस्थितियां रही होंगी, उनका ध्यान आकर्षित करूंगी। जब अपने यहां कोई कार्यक्रम करवा रहा है, तो व्यवहारिक होती है। दरअसल, 21 जनवरी को भारतीय क्रिकेट टीम के लिए रायपुर का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम शुभ रहा। भारत ने न्यूजीलैंड को 8 विकेट से शिकस्त देकर एक दिवसीय मैचों की श्रृंखला में अजेय बढ़त हासिल की थी। स्टेडियम में खेले गए पहले अंतरराष्ट्रीय मैच को देखने बड़ी संख्या में प्रदेश के कोने-कोने से जुटे दर्शकों का पूरा पैसा वसूल हो गया।

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