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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा, राहुल गांधी के भविष्य वक्ता तथा दूरदर्शी होना सिद्ध करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा, राहुल गांधी के भविष्य वक्ता तथा दूरदर्शी होना सिद्ध करता है:स्वामीनाथ जायसवाल

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अभी कुछ ही दिन पहले हमारे नेता माननीय श्री राहुल गांधी जी ने यह कहा था कि मुझे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर पूरा विश्वास है कि वह यह तीनों कृषक कानून अवश्य ही वापस ले लेंगे और आज का यह दिन माननीय राहुल गांधी जी के भविष्य वक्ता तथा दूरदर्शी होना सिद्ध करता है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा कर दी है।

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पिछले कई महिनों से राजधानी दिल्ली की सीमा पर पंजाब, हरियाणा और कुछ दूसरे राज्य के किसानों का प्रदर्शन जारी था। ये किसान अध्यादेश के ज़रिए बनाए गए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे। इन किसानों ने बीते आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया था जिसे करीब दो दर्जन विपक्षी राजनीतिक पार्टियों और विभिन्न किसान संगठनों का समर्थन मिला था। किसान आंदोलन की वजह से रेलवे को काफ़ी आर्थिक नुकसान हुआ था। उत्तर रेलवे के जनरल मैनेजर आशुतोष गंगल ने बताया था कि 8 दिसंबर 2020 से लेकर 10 दिनों तक रेलवे को करीब 2400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। इतना ही नहीं किसान आंदोलन से 2020-21 की तीसरी तिमाही में 70,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था। किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली व एनसीआर को अभी तक 27 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा था। इस प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच कई राउंड की बातचीत हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसान संगठनों के कुछ प्रतिनिधियों से गृहमंत्री अमित शाह की मुलाक़ात से भी कोई रास्ता नहीं निकला। दिल्ली के बॉर्डर पर दिन रात बैठे किसान तीनों क़ानून को वापस लेने की मांग कर रहे थे जबकि केंद्र सरकार क़ानून के कुछ विवादास्पद हिस्सों में संशोधन के लिए तैयार थी। सरकार यह भी दावा कर रही थी कि नए क़ानूनों से किसानों का कोई नुकसान नहीं होगा। मगर यह बात तो गौर करने वाली थी कि किसानों के आंदोलन की वजह से रोजाना 3000 से 3500 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज किया जा रहा था। मोदी जी की राजनीतिक अपरिपक्वता पूरी तरह से झलक रही थी। आज मोदी जी ने यह तीनों काले कृषक कानून रद्द करने के बाद अब तक भारतीय अर्थव्यवस्था के गिरने की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर है। प्रधानमंत्री ने बड़ी ही चालाकी से इस अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पिछले साल भर में गैस और पेट्रोल के दाम बढ़ाए डीजल के दाम बढ़ाए। मगर बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए। कहावत सिद्ध होती नजर आ रही थी और अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अपनी गलती समझ में आई और उन्होंने यह तीनों कृषक कानून वापस लेने की घोषणा की। मगर भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से यह सवाल जरूर पूछेगा कि लगभग 700 किसानों की जान जाने के बाद आखिर में उन्होंने जो निर्णय लिया है, उसके लिए उसका स्वागत किया जाए कि देरी से निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी अपनी जवाबदारी को स्वीकारते हुए अपने पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
अंत में एक बार फिर सभी आंदोलनकारी किसानों का अभिनंदन करते हुए जो 700 किसान इस आंदोलन में शहीद हुए उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
भवदीय।
स्वामीनाथ जायसवाल
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारतीय राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक)

Ashish Sinha

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