
ABHA योजना फेल? भोपाल-रायसेन स्टडी में सिर्फ 2.8% कवरेज, 97% लोगों तक नहीं पहुंची डिजिटल हेल्थ ID
ICMR की एक स्टडी में सामने आया है कि भोपाल-रायसेन में सिर्फ 2.8% लोगों के पास ही ABHA नंबर है, जबकि 97% आबादी योजना से बाहर है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पहुंच और शहरी क्षेत्रों में जागरूकता की कमी मुख्य बाधा है। ABHA नंबर एक 14 अंकों की डिजिटल हेल्थ आईडी है।
ABHA योजना की धीमी प्रगति पर गंभीर सवाल: भोपाल-रायसेन स्टडी में 97% आबादी अभी भी दायरे से बाहर
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA), जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की डिजिटल पहुंच बढ़ाना है, मध्य प्रदेश के भोपाल और रायसेन जिलों में ज़मीन पर धीमी गति से चल रही है। गांधी मेडिकल कॉलेज, हमीदिया अस्पताल और ICMR के सहयोग से किए गए एक हालिया अध्ययन ने इस योजना की वास्तविक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
“ब्रिजिंग दी हेल्थकेयर गैप” शीर्षक के तहत हुए इस अध्ययन में कुल 5,709 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें 50.1% शहरी और 49.9% ग्रामीण क्षेत्रों से थे।
- ABHA कवरेज (सिर्फ 2.8%): अध्ययन के अनुसार, 5,709 लोगों में से सिर्फ 162 लोगों (2.8%) के पास ही ABHA नंबर था। इसका अर्थ है कि 97% से अधिक आबादी अभी भी इस योजना के दायरे से बाहर है।
- ग्रामीण बनाम शहरी डेटा:
- ग्रामीण क्षेत्र: 3.4% लोगों के पास ABHA नंबर था (शहर से बेहतर)।
- शहरी क्षेत्र: केवल 2.3% लोगों के पास ABHA नंबर था।
रिपोर्ट ने ABHA योजना की कम पहुंच के पीछे ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर’ और ‘जागरूकता’ की कमी को मुख्य कारण बताया है:
- ग्रामीण समस्या: ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की कमी, डिजिटल उपकरणों की सीमित पहुंच, मोबाइल-आधार लिंकिंग की समस्या और जागरूकता की कमी सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। लोग ऑनलाइन हेल्थ सर्विस से जुड़ नहीं पा रहे हैं।
- शहरी समस्या: शहरी इलाकों में लोगों के पास साधन (मोबाइल/इंटरनेट) तो हैं, लेकिन योजना के बारे में जानकारी या रुचि नहीं है।
ABHA क्या है?
आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (ABHA) एक यूनीक 14 अंकों का डिजिटल आईडी नंबर है, जो किसी व्यक्ति के सभी हेल्थ रिकॉर्ड्स को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ता है। यह स्वास्थ्य मंत्रालय के आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का हिस्सा है।
ABHA के लाभ:
- जांच रिपोर्ट
- डॉक्टर की पर्ची
- टीकाकरण रिकॉर्ड
- अन्य स्वास्थ्य संबंधी दस्तावेज
ये सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन सुरक्षित रूप से एक्सेस किए जा सकते हैं।
रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम ने योजना के अच्छे उद्देश्य के बावजूद कमजोर ग्राउंड-इंप्लीमेंटेशन पर चिंता जताई और सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:
- डिजिटल साक्षरता: ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में डिजिटल साक्षरता को बढ़ाना।
- सरल पंजीकरण: पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाना, खासकर मोबाइल और आधार लिंकिंग को आसान बनाना।
- स्थानीय सहयोग: हेल्थ वॉलंटियर्स, पंचायत और नगरीय निकायों को योजना के प्रचार-प्रसार और पंजीकरण में जोड़ना।
- युवाओं पर फोकस: स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल हेल्थ आईडी की जानकारी देना ताकि युवा वर्ग से शुरुआत की जा सके।
अध्ययन ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल हेल्थ क्रांति तभी सफल होगी जब तकनीक (इन्फ्रास्ट्रक्चर) और लोगों तक उसकी पहुँच (जागरूकता) दोनों समान गति से आगे बढ़ें।












