
टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम: सामूहिक प्रयास से स्वस्थ भविष्य की ओर
टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम: सामूहिक प्रयास से स्वस्थ भविष्य की ओर
टीबी (क्षय रोग) एक संक्रामक बीमारी है, जो दुनियाभर में स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत “प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान” चलाया जा रहा है, जिसमें सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। इसी क्रम में सूरजपुर जिले में जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र द्वारा व्यापक स्तर पर गतिविधियों का आयोजन किया गया।
जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र की भूमिका
सूरजपुर जिले में टीबी मुक्त भारत अभियान को प्रभावी बनाने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के मार्गदर्शन में जिला क्षय उन्मूलन केन्द्र द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें टीबी मरीजों के लिए नि-क्षय मित्र योजना के तहत फूड बास्केट वितरण, जागरूकता अभियान, कार्यशालाएं और सामाजिक सहभागिता को बढ़ावा दिया गया।
कार्यक्रम का आयोजन
जिले में सबसे बड़े निजी अस्पताल, एसआरपीआर सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें टीबी मरीजों को नि-क्षय मित्र योजना के तहत पोषण आहार किट प्रदान की गई। इस आयोजन में एसआरपीआर सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, पांडेय पैथोलैब और साधुराम विद्या मंदिर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने सहयोग किया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कपीलदेव पैकरा ने कहा कि टीबी मुक्त भारत के निर्माण में सभी का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक और अस्पताल अपनी सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं, लेकिन समाज को भी इस अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेना होगा।
नि-क्षय मित्र योजना का प्रभाव
नि-क्षय मित्र योजना के अंतर्गत स्वस्थ समाज की दिशा में योगदान देने के लिए सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में एसआरपीआर सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने 10 मरीजों, साधुराम विद्या मंदिर ने 10 मरीजों और पांडेय पैथोलैब ने 11 मरीजों को पोषण आहार किट प्रदान की। यह पहल टीबी मरीजों के शीघ्र स्वस्थ होने में सहायक होगी और समाज में उनकी पुनःस्थापना को सुनिश्चित करेगी।
टीबी मरीजों की सफलता की कहानियाँ
इस आयोजन के दौरान, कई टीबी मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए, जिनमें बताया गया कि किस प्रकार उन्होंने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से निशुल्क इलाज प्राप्त किया और आज पूरी तरह स्वस्थ हैं। इन प्रेरक कहानियों से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा और अन्य मरीजों को भी इलाज के प्रति जागरूक करने में मदद मिलेगी।
सामाजिक भागीदारी और योगदान
टीबी मुक्त भारत अभियान में समाज की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस कार्यक्रम में अस्पतालों, पैथोलॉजी लैब और शिक्षण संस्थानों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
एसआरपीआर सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के ट्रस्टी और समाजसेवी श्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि टीबी मुक्त भारत के निर्माण में नि-क्षय मित्र बनकर सहयोग करना एक पुण्य कार्य है। पांडेय पैथोलैब के संचालक श्री ओमकार पांडेय ने कहा कि टीबी के आधुनिक इलाज अब आसानी से उपलब्ध हैं और इसके लिए कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं है।
टीबी के लक्षण और उपचार
टीबी के सामान्य लक्षणों में लंबे समय तक खांसी, बुखार, वजन घटना और कमजोरी शामिल हैं। इस अवसर पर जिला चिकित्सालय के आवासीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश पैंकरा ने बताया कि जैसे ही कोई व्यक्ति इन लक्षणों का अनुभव करे, उसे तुरंत बलगम जांच करवानी चाहिए। टीबी का पूरा इलाज संभव है और यह पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध है।
सरकार की अन्य योजनाएँ
सरकार टीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएँ चला रही है, जिनमें ‘नि-क्षय पोषण योजना’ के तहत मरीजों को पोषण सहायता, ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा’ अभियान के तहत जागरूकता कार्यक्रम और नए डायग्नोस्टिक उपकरणों की स्थापना शामिल है।
आगे की राह और चुनौतियाँ
टीबी उन्मूलन में सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक जागरूकता की कमी और इलाज में अनियमितता है। लोगों को इस बीमारी के प्रति संवेदनशील बनाना और शुरुआती लक्षणों को पहचानकर समय पर इलाज करवाना अत्यंत आवश्यक है।
टीबी मुक्त भारत अभियान में सरकारी और सामाजिक भागीदारी से बेहतर परिणाम देखने को मिल रहे हैं। सूरजपुर जिले में आयोजित यह कार्यक्रम टीबी उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यदि इस मॉडल को अन्य जिलों में भी प्रभावी रूप से लागू किया जाए, तो भारत जल्द ही टीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हो सकता है।