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झारखंड: चाईबासा में एक ही गोत्र में विवाह पर ‘हो’ दंपति को समाज से आजीवन बहिष्कृत

झारखंड के चाईबासा जिले में 'हो' जनजाति के एक युवा दंपति को 26 अक्टूबर को ग्राम सभा के फैसले से आजीवन समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। यह फैसला एक ही गोत्र में विवाह करने के कारण लिया गया, जिससे परंपरा बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बहस शुरू हो गई है।

झारखंड: ‘हो’ जनजाति में गोत्र विवाह पर सख्त फैसला, दंपति को समाज से आजीवन बहिष्कृत किया गया

झारखंड के चाईबासा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने एक बार फिर परंपरा बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस को जन्म दे दिया है। यहाँ ‘हो’ जनजाति से संबंधित एक युवा दंपति को एक ही गोत्र में विवाह करने के कारण समाज से आजीवन बहिष्कृत (Social Boycott) कर दिया गया है।

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मामले का विवरण

  • स्थान: चाईबासा जिला, झारखंड।
  • समुदाय: ‘हो’ जनजाति।
  • निर्णय: यह सख्त फैसला रविवार, 26 अक्टूबर को जगन्नाथपुर में आयोजित ग्राम सभा की बैठक में लिया गया।
  • कारण: दंपति ने उस सामाजिक नियम का उल्लंघन किया, जिसके तहत एक ही गोत्र के सदस्यों के बीच विवाह को वर्जित माना जाता है।

परंपरा बनाम व्यक्तिगत स्वतंत्रता

जनजातीय समाजों में गोत्र प्रणाली का पालन विवाह संबंधों को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण और पुराना तरीका है। इसका मुख्य उद्देश्य सगोत्र विवाह (Incest) को रोकना और आनुवंशिक विविधता बनाए रखना होता है।

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हालांकि, वर्तमान आधुनिक परिवेश में, जहाँ युवा अपनी व्यक्तिगत पसंद को प्राथमिकता दे रहे हैं, समाज और व्यक्ति के बीच इन सख्त पारंपरिक नियमों को लेकर टकराव बढ़ रहा है।

  • समाज का पक्ष: ‘हो’ जनजाति की ग्राम सभा ने अपने फैसले के माध्यम से यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि उनकी सदियों पुरानी सामाजिक संरचना और नियम बने रहें।
  • दंपति का पक्ष: यह फैसला दंपति को उनके सामाजिक और सामुदायिक जीवन से स्थायी रूप से अलग कर देता है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है।

यह घटना दिखाती है कि कानूनी रूप से मान्य होने के बावजूद, सामाजिक और पारंपरिक बंधन अभी भी ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं।

Ashish Sinha

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