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झारखंड/छत्तीसगढ़: छठ पूजा अब आदिवासी अंचल लावा में भी महापर्व, पुरुष भी रख रहे निर्जला व्रत
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा अब ग्रामीण और आदिवासी बहुल ग्राम पंचायत लावा में भी धूमधाम से मनाया जा रहा है। पहले सीमित लोगों द्वारा किया जाने वाला यह व्रत अब आदिवासी माता-बहनों और पुरुषों द्वारा भी बढ़-चढ़कर किया जा रहा है, जो आस्था के फैलाव को दर्शाता है।
आस्था का फैलाव: छठ पूजा अब ग्रामीण और आदिवासी अंचल में भी बनी महापर्व
लावा (रामचंद्रपुर), छत्तीसगढ़: हिंदू आस्था का महापर्व छठ पूजा अब केवल शहरी या पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि इसका प्रभाव ग्रामीण और आदिवासी बहुल अंचल में भी तेजी से बढ़ रहा है। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत लावा में भी छठ महापर्व को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।
आदिवासी समुदाय का जुड़ाव
लावा पंचायत, जो एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, वहां भी छठ पर्व को लेकर श्रद्धा बढ़ रही है।
- बदलती आस्था: पहले यहां कुछ सीमित मात्रा में पिछड़े और सामान्य वर्ग के लोगों द्वारा ही यह व्रत किया जाता था।
- बढ़ता प्रभाव: लेकिन अब छठ पर्व की श्रद्धा और मनवांछित फल प्राप्ति के विश्वास को देखते हुए आदिवासी माता-बहनों द्वारा भी इस निर्जला उपवास और उपासना में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जा रहा है। यह नजारा ग्रामीण अंचल में सामाजिक और धार्मिक समरसता की नई तस्वीर पेश कर रहा है।
पुरुषों में भी बढ़ा छठ व्रत का प्रचलन
रिपोर्ट्स के अनुसार, छठ व्रत का यह कठिन उपवास अब केवल महिलाओं तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि पुरुष वर्ग में भी इसे अपनाने का प्रचलन बढ़ा है।
- स्थानीय उदाहरण: प्रदेश खबर जिला संवाददाता विमलेश कुमार कुशवाहा और उनके मित्र भांजे राजू मानिकपुरी भी लगातार कई वर्षों से पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ इस कठिन छठ व्रत का उपवास कर रहे हैं।
लोग 2 दिनों तक निर्जला उपवास रखकर भगवान सूर्य की उपासना में पूरी भक्ति के साथ हिस्सा ले रहे हैं।











