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अंबिकापुर में नई नगर सरकार का आगाज: शपथ, संकल्प और सियासी संग्राम!

लोकतंत्र के नवयुग का शुभारंभ: अंबिकापुर में नवनिर्वाचित नगर सरकार का शपथ ग्रहण और सियासी संग्राम

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अंबिकापुर, 2 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर नगर निगम के नवनिर्वाचित महापौर और पार्षदों का भव्य शपथ ग्रहण समारोह आज पीजी कॉलेज हॉकी स्टेडियम में आयोजित हुआ। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह की उपस्थिति ने इसे और खास बना दिया। लेकिन समारोह से पहले और बाद में विवादों की आंधी ने नगर सरकार की नई पारी की शुरुआत को सियासी उथल-पुथल में तब्दील कर दिया।

शपथ ग्रहण समारोह: भव्यता और संकल्प का प्रतीक

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर नगर सरकार को जनता के विश्वास और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “जनता ने जिन प्रतिनिधियों को चुनकर भेजा है, वे जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें। अंबिकापुर को स्वच्छ, स्मार्ट और समृद्ध नगर बनाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।”

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने नव-निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को शुभकामनाएँ दीं और नगर के विकास में पारदर्शिता और प्रभावी प्रशासन की आवश्यकता पर बल दिया।

इस भव्य कार्यक्रम में कृषि मंत्री श्री राम विचार नेताम, सरगुजा सांसद श्री चिंतामणि महाराज, अंबिकापुर विधायक श्री राजेश अग्रवाल, लुण्ड्रा विधायक श्री प्रबोध मिंज, छत्तीसगढ़ राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष श्री विश्व विजय सिंह तोमर, अन्य जनप्रतिनिधिगण और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

महापौर मंजूषा भगत के बयान पर विवाद: कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन

भाजपा की नवनिर्वाचित महापौर मंजूषा भगत के एक कथित बयान ने पूरे अंबिकापुर में राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया। आरोप है कि उन्होंने पूर्ववर्ती आदिवासी महापौर और कांग्रेस शासनकाल को ‘अशुद्ध’ बताया, साथ ही शहर को भी ‘अशुद्ध’ कहकर गंगाजल से शुद्धिकरण की बात कही। कांग्रेस ने इसे अपमानजनक और सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी बताते हुए उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

कांग्रेस का मोर्चा: एफआईआर की मांग और विरोध रैली

जिला कांग्रेस कमेटी, सरगुजा के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजीव भवन से कोतवाली तक रैली निकाली और महापौर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन सौंपा। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि यह बयान अस्पृश्यता, धार्मिक भेदभाव और संविधान के अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा, “यह बयान केवल कांग्रेस के कार्यकाल पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि भाजपा की आदिवासियों के प्रति हीनभावना को उजागर करता है। हमने पुलिस से एफआईआर की मांग की है और अगर उचित कार्रवाई नहीं होती है, तो न्यायालय का रुख करेंगे।”

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मंजूषा भगत से सार्वजनिक माफी की मांग की थी, लेकिन जब उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तो विरोध प्रदर्शन का रास्ता अपनाया गया।

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पुलिस की प्रतिक्रिया और कांग्रेस का अगला कदम

कोतवाली थाना ने कांग्रेस नेताओं को लिखित आश्वासन दिया है कि वह मामले की जांच के बाद कार्रवाई करेगी। कांग्रेस ने महापौर के बयान का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड भी पुलिस को सौंपा है।

कांग्रेस का कहना है कि अगर पुलिस ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो वे न्यायालय में याचिका दायर करेंगे।

शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार: कांग्रेस पार्षदों की अलग शपथ

महापौर के बयान को लेकर कांग्रेस पार्षदों ने भी शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर दिया। नगर निगम में विपक्ष के नेता शफी अहमद ने कहा,

“हमने अनुरोध किया था कि महापौर अपने नफरती बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी माँगें। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए हम इस समारोह का बहिष्कार कर रहे हैं। हम कलेक्टर से अनुरोध करेंगे कि कांग्रेस के पार्षदों के लिए पृथक रूप से शपथ ग्रहण की व्यवस्था करें।”

कांग्रेस ने ऐलान किया कि उसके सभी पार्षद 3 मार्च को कलेक्टर के कक्ष में शपथ ग्रहण करेंगे।

भाजपा की प्रतिक्रिया: कांग्रेस का आरोप बेबुनियाद

भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को पूरी तरह राजनीतिक हथकंडा करार दिया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस अपनी हार की हताशा में निराधार आरोप लगा रही है। भाजपा का कहना है कि मंजूषा भगत ने केवल शहर को स्वच्छ और सुव्यवस्थित बनाने की बात कही थी, जिसे कांग्रेस ने तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की।

शहर की जनता की प्रतिक्रिया: विकास बनाम राजनीति

इस पूरे विवाद पर शहर की जनता की मिश्रित प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग कांग्रेस के विरोध को सही ठहरा रहे हैं, तो कुछ इसे जरूरत से ज्यादा तूल देने की कोशिश बता रहे हैं। कई स्थानीय नागरिकों का मानना है कि नेताओं को विकास पर ध्यान देना चाहिए, न कि धार्मिक और जातिगत मुद्दों को उछालना चाहिए।

आगे क्या?

1. महापौर मंजूषा भगत पर लगे आरोपों की जांच होगी।

2. कांग्रेस 3 मार्च को अलग शपथ ग्रहण करेगी।

3. अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करती है, तो कांग्रेस कोर्ट जाएगी।

4. भाजपा इस पूरे मामले को राजनीतिक साजिश बताकर बचाव की रणनीति अपनाएगी।

5. यह विवाद नगर निगम की राजनीति को लंबे समय तक प्रभावित कर सकता है।

अंबिकापुर नगर निगम के लिए यह शपथ ग्रहण समारोह नए युग की शुरुआत बन सकता था, लेकिन यह राजनीतिक विवादों का अखाड़ा बन गया। जहां एक ओर महापौर ने नगर को स्वच्छ और विकसित बनाने का संकल्प लिया, वहीं दूसरी ओर उनका बयान नफरत और विभाजन के आरोपों में घिर गया।

अब देखना यह है कि क्या यह विवाद सिर्फ राजनीतिक विरोध तक सीमित रहेगा, या फिर कानूनी कार्रवाई तक पहुंचेगा। आने वाले दिनों में इस मामले में भाजपा, कांग्रेस और प्रशासन की भूमिका पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।

Ashish Sinha

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