
भू-अर्जन घोटाले में बड़ी कार्रवाई: जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय कुमार साहू निलंबित
भू-अर्जन घोटाले में बड़ी कार्रवाई: जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय कुमार साहू निलंबित
भूमि अधिग्रहण में अनियमितता का मामला, शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप
रायपुर, 4 मार्च 2025: छत्तीसगढ़ शासन ने एक बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई के तहत नगर निगम आयुक्त, जगदलपुर निर्भय कुमार साहू को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने रायपुर-विज़ाग (विशाखापत्तनम) इकोनॉमिक कॉरिडोर के अंतर्गत भारतमाला परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में अनियमितता बरती, जिससे निजी भूस्वामियों को अवैध लाभ पहुंचा और शासन को आर्थिक क्षति हुई।
राज्य सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए साहू को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय बस्तर संभाग, जगदलपुर में रहेगा, और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना रायपुर-विज़ाग इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण कार्य भारतमाला परियोजना के तहत किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत अभनपुर क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही थी।
शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, निर्भय कुमार साहू, जो उस समय अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं सक्षम प्राधिकारी (भू-अर्जन), अभनपुर के पद पर कार्यरत थे, ने इस भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में भारी अनियमितताएँ कीं। जांच में पाया गया कि साहू ने वास्तविक मुआवजे से अधिक भुगतान किया, जिससे निजी भूस्वामियों को अनुचित लाभ मिला और शासन को बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ी।
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए जिला स्तरीय समिति गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस घोटाले की पुष्टि की। रिपोर्ट में कहा गया कि भू-अर्जन प्रक्रिया में कई गंभीर गड़बड़ियां थीं और साहू ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अधीनस्थ अधिकारियों के कार्यों का उचित पर्यवेक्षण नहीं किया।
कैसे हुआ घोटाला?
सूत्रों के अनुसार, इस भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में कई प्रकार की अनियमितताएँ सामने आईं:
1. असली कीमत से ज्यादा मुआवजा:
ज़मीन की वास्तविक बाज़ार कीमत से अधिक मुआवजा दिया गया।
भूमि मालिकों को कई गुना अधिक भुगतान कर फायदा पहुंचाया गया।
2. फर्जी दस्तावेजों का उपयोग:
कुछ मामलों में ज़मीन की फर्जी कागज़ात तैयार कर उन्हें ऊंची कीमत पर बेचा गया।
अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने से बड़ी धनराशि निकाली गई।
3. अधीनस्थ अधिकारियों की लापरवाही:
साहू ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया।
4. जांच रिपोर्ट में खुलासा:
जांच समिति ने बताया कि ज़मीन अधिग्रहण में सरकारी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
भारतमाला परियोजना के लिए खरीदी गई भूमि में बिचौलियों को फायदा पहुंचाया गया।
साहू पर कौन-कौन से नियमों का उल्लंघन करने का आरोप?
सरकारी आदेश के मुताबिक, निर्भय कुमार साहू पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3(1) और 3(2) का उल्लंघन करने का आरोप है। ये नियम सरकारी अधिकारियों को ईमानदारी, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा से काम करने के लिए बाध्य करते हैं।
उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही और अनियमितता बरती, जिससे शासन को आर्थिक नुकसान हुआ।
राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल कार्रवाई की और साहू को उनके पद से निलंबित कर दिया।
शासन द्वारा जारी आदेश में कहा गया है:
1. साहू का तत्काल निलंबन:
उन्हें तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
वे अब नगर निगम आयुक्त, जगदलपुर के रूप में कार्य नहीं कर पाएंगे।
2. मुख्यालय का निर्धारण:
निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय आयुक्त, बस्तर संभाग, जगदलपुर होगा।
3. जीवन निर्वाह भत्ता:
उन्हें छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों के तहत जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा
सरकार के लिए बड़ा झटका
यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की अहम बुनियादी ढांचा परियोजना है, जिसका उद्देश्य तेजी से सड़क नेटवर्क तैयार करना है। इस परियोजना में भ्रष्टाचार की खबरें सामने आने से प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस घोटाले की विस्तृत जांच होती है, तो कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।
क्या होगा आगे?
1. आगे की जांच:
सरकार इस मामले में विस्तृत जांच करा सकती है।
यदि साहू दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
2. अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच:
इस भू-अर्जन घोटाले में और भी कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध हो सकती है।
जांच समिति अन्य अधिकारियों को भी तलब कर सकती है।
3. प्रशासनिक सख्ती:
राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
अन्य विभागों में भी भू-अर्जन की प्रक्रिया की निगरानी बढ़ाई जा सकती है।
इस निलंबन के बाद राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की उम्मीद बढ़ी है। आम जनता और राजनीतिक दल इस मामले में अधिक पारदर्शिता और कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं।
विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ-साथ नेताओं की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए।
निर्भय कुमार साहू का निलंबन छत्तीसगढ़ शासन की भ्रष्टाचार विरोधी नीति का हिस्सा माना जा रहा है। इस मामले ने भू-अर्जन प्रक्रियाओं में व्याप्त अनियमितताओं को उजागर किया है और यह संकेत दिया है कि सरकार भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की जांच में और कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं और क्या राज्य सरकार इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों को कठोर दंड दिलाने में सफल हो पाएगी या नहीं।